कई बार रात में सोते वक्त पैरों में दर्द, ऐंठन और हड़कल बनी रहती है। कुछ लोगों को पैरों में खुजली, झुनझुनी या पैरों के अंदर कुछ रेंगने जैसी फीलिंग आती है। ऐसे में कई बार पैरों को हिलाते रहने की आदत बन जाती हैं। यह कोई नॉर्मल कंडीशन नहीं है इसे 'रेस्टलेस लेग सिंड्रोम' यानी RLS कहते हैं। ये न्यूरोलॉजिकल समस्या है, इससे लोगों में बेचैन और काफी दर्द महसूस होता है। ज्यादातर रात में सोते वक्त ये समस्या होती है। लेग सिंड्रोम करीब 30 से 60 मिनट तक रहता है। हालांकि इसके कारणों का सही पता नहीं चल पाया है, लेकिन माना जाता है डोपामाइन नामक एक न्यूरोट्रांसमीटर का लेवल कम ज्यादा होने पर ऐसा होता है। वहीं कुछ विटामिन की कमी से भी पैरों में ऐंठन की समस्या होती है।
सोते वक्त पैरों में ऐंठन के कारण
- विटामिन बी की कमी- कई रिसर्च में ये पता चला है कि शरीर में विटामिन बी कम होने पर रेस्टलेस लेग सिंड्रोम का खतरा बढ़ जाता है। इसलिए आपको डाइट में विटामिन बी6 और बी12 से भरपूर चीजें जरूर खानी चाहिए। इसके लिए खाने में संतरा, अंगूर, सेब और कीवी जैसे फलों को शामिल करें। इसके अलावा डेयरी प्रोडक्ट्स को डाइट में शामिल करें। अगर आप नॉनवेज खाते हैं तो ये विटामिन बी 12 का अच्छा सोर्स है।
- विटामिन सी की कमी- शरीर में विटामिन सी कम होने से भी ऐसा होता है। खासतौर से किडनी के मरीज को रेस्टलेस लेग सिंड्रोम होने का खतरा बढ़ जाता है। इसके लिए विटामिन सी का भरपूर डाइट लें। इससे किडनी हेल्दी रहेगी और RLS को कंट्रोल किया जा सकता है। विटामिन सी से भरपूर आहार जैसे नींबू, संतरा, आंवला, नारंगी, टमाटर, अंगूर जैसे फल रोजाना खाएं।
- विटामिन डी की कमी- विटामिन डी कम होने पर डोपामाइन डिसफंक्शन होने का खतरा रहता है। जिससे पैरों में ऐंठन की समस्या हो सकती है। इसलिए रोजाना धूप से विटामिन डी लें। अगर धूप नहीं मिल रही तो डाइट में दूध, साबुत अनाज, संतरा, बेरीज, फैटी फिश, फिश ऑयल, मशरूम जैसी चीजें शामिल करें।
- विटामिन ई की कमी- किडनी रोग RLS की बीमारी को ट्रिगर करती है। इसलिए जरूरी है कि किडनी के मरीज इसका खास ख्याल रखें। क्रोनिक किडनी डिजीज से पीड़ित लोगों के लिए विटामिन ई अहम है। विटामिन ई की कमी के लिए बादाम, एवोकाडो, टमाटर, पालक, कीवी, कद्दू और सूरजमुखी के बीज खाएं।
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