Cancer Patients & Fertility: क्या कैंसर पीड़ित मरीज भी बच्चे पैदा कर सकते हैं, अगर हां तो उनसे होने वाले बच्चों में क्या कैंसर की बीमारी हो सकती है। कीमोथेरेपी और रेडियोथेरेपी का प्रजनन पर क्या असर पड़ता है?...आपने कभी ऑन्कोफर्टिलिटी के बारे में सुना है, ये क्या होती है?... कैंसर पीड़ित मरीजों में प्रजनन क्षमता और इलाज के दौरान प्रजनन को होने वाले नुकसान से लेकर सावधानी के बारे में आपको पूरी जानकारी दी जाएगी। ताकि आप यह समझ सकें कि कैंसर मरीज भी क्या अपनी आने वाली जिंदगी को खुशहाल बना सकते हैं या फिर कैंसर होने के बाद उन्हें प्रजनन से बचना चाहिए।
वैज्ञानिकों के अनुसार कैंसर से पीड़ित सभी ऑस्ट्रेलियाई लोगों को वह प्रजनन देखभाल नहीं मिल रही है, जिसकी उन्हें जरूरत है। ऐसा अनुमान है कि 2022 में 40 वर्ष से कम- अपने प्रजनन वर्षों में-आयु के 8,200 से अधिक ऑस्ट्रेलियाई लोगों को कैंसर होने के बारे में पता चलेगा। यह 1980 के दशक की दर से दोगुने से भी अधिक है। अच्छी खबर यह है कि पहले से कहीं ज्यादा पुरुष, महिलाएं और बच्चे कैंसर से बचे हैं। यह शुरुआत में ही बीमारी का पता चल जाने और अधिक सफल कैंसर उपचार के कारण है।
क्या कैंसर रोगियों में नहीं होती प्रजनन क्षमता
वैज्ञानिकों के अनुसार अब 40 वर्ष से कम आयु के 85 प्रतिशत से अधिक रोगी अपने कैंसर के निदान के पांच साल बाद भी जीवित रहेंगे। हालांकि, उनमें से कई को कैंसर के उपचार के बाद प्रजनन क्षमता में संभावित कमी और बच्चे पैदा करने की उनकी भविष्य की क्षमता की हिफाजत के लिए उनके विकल्पों के बारे में शायद पता न हो। कुछ अनुमान बताते हैं कि कैंसर से पीड़ित लोगों में से केवल आधे लोग ही प्रजनन संरक्षण पर बात कर पाते है। कैंसर का इलाज प्रजनन क्षमता को कैसे प्रभावित कर सकता है कैंसर और इसके उपचार दोनों ही सभी लिंगों की प्रजनन क्षमता को कम कर सकते हैं। कीमोथेरेपी, विकिरण और सर्जरी से अंडे और शुक्राणु कोशिकाओं की संख्या स्थायी रूप से कम हो सकती है, जिससे भविष्य में गर्भधारण करने में कठिनाई हो सकती है। अंडे का भंडार जन्म से पहले भरा जाता है, और आज तक कोई ऐसा सबूत नहीं है जो यह बताता हो कि अंडे के इस भंडार को फिर से भरा जा सकता है।
कीमोथेरेपी से अंडे व शुक्राणुओं को पहुंचता है नुकसान
कीमोथेरेपी - रासायनिक दवा उपचार जो कैंसर कोशिकाओं पर हमला करते हैं। मगर इनसे नाजुक अंडे और शुक्राणु कोशिकाओं को भी नुकसान पहुंचा सकते हैं। इससे उनकी संख्या कम हो सकती है। इसी तरह, रेडियोथेरेपी - कैंसर कोशिकाओं पर निर्देशित विकिरण ऊर्जा - शरीर में इधर-उधर फैल सकती है और अंडाशय और वृषण ऊतक को प्रभावित कर सकती है। कभी-कभी, कीमोथेरेपी या रेडियोथेरेपी की बढ़ी हुई खुराक से, सभी अंडे, शुक्राणु कोशिकाएं और सहायक ऊतक नष्ट हो सकते हैं। प्रजनन अंगों की सीधी सर्जरी से प्रजनन क्षमता कम हो सकती है। अक्सर, यह ज्ञात नहीं होता है कि कैंसर के उपचार का पूर्ण प्रभाव प्रजनन क्षमता पर क्या होगा, और प्रभाव प्रत्येक व्यक्ति के लिए भिन्न हो सकता है। ऑन्कोफर्टिलिटी क्या है, और यह कैसे मदद कर सकती है? ऑन्कोफर्टिलिटी अपेक्षाकृत हाल ही में स्थापित चिकित्सा क्षेत्र है जो प्रजनन संरक्षण के विकल्प प्रदान करता है।
जानें क्या है ऑन्कोफर्टिलिटी
जैविक, मनोवैज्ञानिक और सामाजिक दृष्टिकोण से जीवन की गुणवत्ता पर पड़ने वाला प्रभाव कैंसर से उबरने वाले एक व्यक्ति पर बहुत असर डालता है। इससे प्रजनन क्षमता में आने वाली कमी को भी समझा जा सकता है। सहायक प्रजनन तकनीक में प्रगति, जैसे कि विट्रीफिकेशन (फास्ट फ्रीजिंग), का अर्थ है कि हम भविष्य में उपयोग के लिए अंडे, भ्रूण, डिम्बग्रंथि ऊतक, शुक्राणु और वृषण ऊतक को संरक्षित कर सकते हैं। इसे चिकित्सा प्रजनन संरक्षण के रूप में जाना जाता है। भविष्य में जैविक बच्चों के लिए प्रजनन संरक्षण किसी के लिए सबसे अच्छा अवसर हो सकता है। ऑन्कोफर्टिलिटी कैंसर के उपचार के साथ-साथ परिवार और पितृत्व के लिए किसी व्यक्ति के भविष्य के लक्ष्यों पर विचार करती है। 4 नई बातें जो हम ऑन्कोफर्टिलिटी के बारे में जानते हैं इस साल, क्लिनिकल ऑन्कोलॉजी सोसाइटी ऑफ़ ऑस्ट्रेलिया (सीओएसए) ने कैंसर से पीड़ित लोगों के लिए प्रजनन संरक्षण के लिए अपने दिशानिर्देशों को अपडेट किया। यह चिकित्सा विशेषज्ञों, वैज्ञानिक शोधकर्ताओं, मनोवैज्ञानिकों, स्वास्थ्य प्रबंधकों और नर्सों, सार्वजनिक परामर्श सहित ऑस्ट्रेलियाई विशेषज्ञों की सलाह पर आधारित है। सीओएसए दिशानिर्देश प्रजनन उपचार विकल्पों, रेफरल मार्ग और मनोवैज्ञानिक सहायता पर चर्चा करते हैं। वे कैंसर के उपचार के दौरान गर्भनिरोध (उपचार के नियमों में व्यवधान से बचने के लिए), गर्भ धारण करने के लिए हार्मोन उपचार को रोकना, प्रजनन में सहायता करना, और कैंसर की पुनरावृत्ति का जोखिम समाप्त करने जैसे उपायों को कवर करते हैं। इस दिशानिर्देश का उद्देश्य कैंसर से बचे लोगों में गर्भाधान और गर्भावस्था में सहायता करना है।
शुक्राणुओं पर क्या है वैज्ञानिकों की राय
ऑस्ट्रेलिया के मेडिकल जर्नल में आज प्रकाशित पेपर के अनुसार अंडे को फ्रीज करने के बाद गर्भावस्था की दर भ्रूण को फ्रीज करने के बाद के समान होती है, जिसमें जीवित बच्चा पैदा होने की दर क्रमशः 46 प्रतिशत और 54 प्रतिशत होती है। महिलाओं के लिए ओवेरियन टिश्यू फ्रीजिंग और ग्राफ्टिंग को अब ‘‘प्रयोगात्मक’’ नहीं माना जाता है, हालांकि 13 साल से कम उम्र की लड़कियों के लिए विशेष निरीक्षण की सिफारिश की जाती है। ऐसा इसलिए है क्योंकि प्रजनन संरक्षण के समय 20 वर्ष या उससे कम उम्र के रोगियों का नैदानिक अनुभव सीमित रहता है माइक्रोसर्जरी द्वारा वृषण ऊतक से शुक्राणु निकालने पर उन पुरुषों के लिए विचार किया जा सकता है जो पहले से ही कैंसर का इलाज करवा चुके हैं और जिनके बारे में पहले सोचा गया था कि उनमें शुक्राणु नहीं हैं। किशोर लड़कों में वृषण ऊतक फ्रीजिंग को वर्तमान में ‘‘प्रायोगिक’’ माना जाता है क्योंकि यह परिपक्व शुक्राणु कोशिकाएं नहीं होती हैं। प्रजनन के लिए नए तरीकों का परीक्षण करते समय इन प्रारंभिक कोशिकाओं का उपयोग करने के संबंध में नैदानिक नैतिक निरीक्षण की आवश्यकता है। समय महत्वपूर्ण है एक बार कैंसर का पता लगने के बाद, प्रजनन क्षमता के बारे में चर्चा और निर्णय तत्काल लेना जरूरी होता है। उसके बाद एक ओंकोफर्टिलिटी इकाई के लिए रेफरल, उचित परामर्श और निर्णय लेना जरूरी होता है। प्रजनन संरक्षण की योजना बनाने और उसे अमल में लाने में समय लगता है।
अंडे को बढ़ने में लगते हैं 14 दिन
अंडे को बढ़ने और जमने के लिए इकट्ठा होने में लगभग 14 दिन लग सकते हैं। इसलिए कैंसर के उपचार में देरी को रोकने के लिए तत्परता महत्वपूर्ण है। रोगियों को शिक्षित करना बच्चे पैदा करने वाली उम्र के सभी लोग जिन्हें कैंसर होने के बारे में पता चलता है, उन्हें तुरंत ऑन्कोफर्टिलिटी स्वास्थ्य सेवाओं के लिए संदर्भित नहीं किया जाए तो बाद में पछतावे के अलावा और कुछ हाथ नहीं आता है। रॉयल वुमन और रॉयल चिल्ड्रन हॉस्पिटल्स के फर्टिलिटी विशेषज्ञों की हमारी टीम ने कैंसर के रोगियों को इस संबंध में जागरूक करने के लिए एनिमेटेड रोगी शिक्षा वीडियो तैयार करने के लिए पश्चिमी और मध्य मेलबर्न एकीकृत कैंसर सेवा के साथ सहयोग किया। द फर्टिलिटी आफ्टर कैंसर वीडियो - कई भाषाओं में उपलब्ध है और इसकी कैंसर रोगियों और सहायता समूहों द्वारा समीक्षा की गई है। यह प्रजनन संरक्षण विकल्पों, जोखिमों, लाभों और विकल्पों पर चर्चा करता है। हमारा लक्ष्य यह है कि कैंसर से पीड़ित सभी ऑस्ट्रेलियाई लोगों को उनकी भविष्य की प्रजनन क्षमता पर कैंसर के उपचार के प्रभाव के बारे में जानकारी और सहायता प्राप्त हो।