Monday, December 23, 2024
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ब्लड कैंसर के मरीजों को कोविड-19 वैक्सीन से मिलती है सुरक्षा, एक स्टडी में हुआ खुलासा

अध्ययन से यह भी पता चला है कि जो रोगी एंटीबॉडी बना सकते हैं वे विशेष रूप से उच्च गुणवत्ता वाले एंटीबॉडी का उत्पादन करते हैं। अपने दूसरे टीकाकरण के बाद, वे पहले से ही बेअसर करने में सक्षम हैं और इस प्रकार विभिन्न SARS-CoV-2 वेरिएंट को निष्क्रिय कर देते हैं।

Edited By: Sudhanshu Gaur @SudhanshuGaur24
Published : Dec 24, 2022 9:53 IST, Updated : Dec 24, 2022 10:31 IST
कोविड वैक्सीन
Image Source : FILE कोविड वैक्सीन

आमतौर पर देखने में आता है कि ब्लड कैंसर से पीड़ित व्यक्ति का इम्यून सिस्टम बहुत ही कमजोर होता है। ब्लड कैंसर से ग्रसित व्यक्ति अक्सर कई तरह की बीमारियों से घिरा हुआ रहता है। इस वजह से इन लोगों को कोरोना होने का खतरा और भी बढ़ जाता है। इसके साथ ही कैंसर के कई इलाजों की वजह से रोगियों में एंटीबॉडी नहीं बन पाती हैं। हालांकि कोरोना से बचाव के लिए लगाई गई वैक्सीन शरीर में मौजूद T कोशिकाओं को सक्रिय कर सकता है, जो लंबे समय तक प्रतिरक्षा क्षमता को बनाए रखता है।

मेडिकल सेंटर-यूनिवर्सिटी ऑफ फ्रीबर्गैंड और एलएमयू म्यूनिख के डॉक्टरों के नेतृत्व में एक टीम ने ब्लड कैंसर के उन रोगियों की इम्यून सिस्टम को कई महीनों के तक स्टडी किया, जिन्होंने COVID-19 से बचाव के लिए 3 वैक्सीन ली थी। एलएमयू म्यूनिख के मेडिकल सेंटर-यूनिवर्सिटी ऑफ फ्रीबर्गैंड वायरोलॉजिस्ट प्रो. ओलिवर टी. केप्लर ,डॉ. एंड्रिया केपलर-हाफकेमेयर और डॉ. क्रिस्टीन ग्रील ने इस स्टडी का नेतृत्व किया। इस स्टडी में पाया गया कि कोविड वैक्सीन इन रोगियों को SARS-CoV2 जैसी गंभीर बीमारी से बचाता है।

कोविड-19 टीकाकरण के लिए मजबूत टी सेल प्रतिक्रिया

डॉ. एंड्रिया केपलर-हाफकेमेयर ने बताया कि स्टडी दो प्रकार के ब्लड कैंसर - बी-सेल लिंफोमा और मल्टीपल मायलोमा के रोगियों पर केंद्रित था और हमने पाया कि लगभग सभी में कोविड-19  वैक्सीनेशन के लिए एक मजबूत टी सेल रिस्पॉन्स था। डॉ. क्रिस्टीन ग्रील ने बताया, "यह एक कारण हो सकता है कि इस स्टडी में हिस्सा लेनेवाले प्रतिभागियों में शुरुआती संक्रमण हल्के से मध्यम रूप से गंभीर हो गए, यहां तक ​​कि उन लोगों में भी जिनके शरीर में इलाज के चलते किसी किस्म की एंटीबॉडी नहीं बन पाई थी।  

प्रोफेसर ओलिवर टी. केपलर के नेतृत्व में रिसर्च ग्रुप न केवल वैक्सीनेशन के बाद एंटीबॉडी की सघनता का विश्लेषण करने में बल्कि उसकी गुणवत्ता का भी विश्लेषण करने में माहिर है। यह विशेष रूप से एंटीबॉडी और वायरल स्पाइक प्रोटीन के बीच के बंधन की ताकत पर निर्भर करता है। इसके अलावा, सेल कल्चर में विभिन्न SARS-CoV-2 वेरिएंट को बेअसर करने के लिए एंटीबॉडी की क्षमता का अहम रोल होता है। इसलिए, अगले कदम के रूप में, वैज्ञानिकों ने कोरोना के दो और तीन वैक्सीनेशन के बाद ब्लड कैंसर रोगियों और स्वस्थ लोगों के बीच स्पाइक प्रोटीन के एंटीबॉडी और टी सेल प्रतिक्रियाओं की मात्रा और गुणवत्ता की तुलना की।

विभिन्न SARS-CoV-2 वेरिएंट के खिलाफ उच्च गुणवत्ता वाले एंटीबॉडी

अध्ययन से यह भी पता चला है कि जो रोगी एंटीबॉडी बना सकते हैं वे विशेष रूप से उच्च गुणवत्ता वाले एंटीबॉडी का उत्पादन करते हैं। अपने दूसरे टीकाकरण के बाद, वे पहले से ही बेअसर करने में सक्षम हैं और इस प्रकार विभिन्न SARS-CoV-2 वेरिएंट को निष्क्रिय कर देते हैं। टीका लगा चुके स्वस्थ लोगों की तुलना में इस रोगी समूह में यह क्षमता काफी अधिक स्पष्ट है। प्रो. ओलिवर टी. केपलर ने कहा, “विभिन्न प्रकार के रक्त कैंसर वाले रोगियों में कोविड-19 टीकाकरण बहुत व्यापक एंटीवायरल प्रतिरक्षा उत्पन्न कर सकता है – जिसमें अत्यधिक शक्तिशाली न्यूट्रलाइजिंग एंटीबॉडी शामिल हैं। नतीजतन, बी-सेल लिंफोमा या मल्टीपल मायलोमा वाले रोगियों के लिए बिना किसी रुकावट के कई वैक्सीन डोज की सिफारिश की जा सकती है।"

 

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