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इस बीमारी के चलते गई बप्पी दा की जान, नींद में हो जाती है मौत, जानिए लक्षण

इस बीमारी में नींद के दौरान सांस लेने में बार-बार रुकावट होती है। इसके कुछ कारणों में अधिक वजन, जीभ का बड़ा आकार और टॉन्सिल प्रमुख होते हैं।

Written by: India TV Health Desk
Updated on: February 16, 2022 12:06 IST
बप्पी लहरी - India TV Hindi
Image Source : INST/BAPPILAHIRI_OFFICIAL बप्पी लहरी 

मशहूर गायक और संगीतकार बप्‍पी लहरी का 69 वर्ष की आयु में निधन हो गया है। डॉक्टर्स के मुताबिक, ऑब्स्ट्रक्टिव स्लीप एपनिया की वजह से उनकी जान गई। यह बेहद कॉमन स्लीपिंग डिसऑर्डर है। ऑब्स्ट्रक्टिव स्लीप एपनिया में सोते वक्त मरीज का गला चोक हो जाता है। इस वजह फेफड़ों तक ऑक्सीजन पहुंचाने में सीने की मांसपेशियों को काफी मेहनत करनी पड़ती है।आइए जानते है कि क्या होती है ऑब्स्ट्रक्टिव स्लीप एपनिया की बीमारी और क्या है इसके खास लक्षण और बचाव के उपाय-

क्या है ऑब्स्ट्रक्टिव स्लीप एपनिया-

इस बीमारी में नींद के दौरान सांस लेने में बार-बार रुकावट होती है। इसके कुछ कारणों में अधिक वजन, जीभ का बड़ा आकार और टॉन्सिल प्रमुख होते हैं। ओएसए की वजह से रक्त में ऑक्सीजन का स्तर घट जाता है और नींद में बाधा पड़ने से हृदय रोग और उच्च रक्तचाप का जोखिम भी बढ़ने लगता है। ओएसए की वजह से रक्त में ऑक्सीजन का स्तर घट जाता है।यह एक संभावित गंभीर स्लीप डिसऑर्डर है, जिसमें बार-बार सांस लेना बंद हो जाता है और शुरू हो जाता है। यदि आप जोर से खर्राटे लेते हैं और पूरी रात की नींद के बाद भी थकान महसूस करते हैं, तो आपको स्लीप एपनिया हो सकता है। ऑब्स्ट्रक्टिव स्लीप एपनिया उम्रदराज़ पुरुषों में सबसे ज़्यादा देखा जाता है, लेकिन यह बच्चों सहित किसी को भी प्रभावित कर सकता है।

इस बीमारी के सामान्य लक्षण-
-दिन के वक्त ज्यादा नींद आना।
-सोते वक्त सांस रुकना या गला चोक हो जाना।
-सांस रुकने या गला चोक होने से नींद खुल जाना।
-सोते वक्त मुंह सूखना और गला चिपकना।
-सुबह के वक्त सिर में दर्द।
-हाई ब्लड प्रेशर।
-तेज खर्राटे लेना।

स्लीप एपनिया का उपचार-

स्लीप एपनिया के उपचार के लिए सीपीएपी मशीन का उपयोग आवश्यक है। स्लीप एपनिया से पीड़ित रोगी को सोते समय टंग रिटेनिंग और माउथपीस का उपयोग करने की सलाह दी जाती है। यह श्वसन पथ के ऊपरी वायुमार्ग में रुकावट को कम करने और खोलने में मदद करता है। डॉक्टर की सलाह पर मुंह और जीभ की थेरेपी से मांसपेशियां मजबूत होती हैं। यह थेरेपी स्लीप एपनिया के इलाज में कारगर साबित होती है।

मेलाटोनिन से भरपूर फलों का सेवन करें। अनार, अंगूर, चेरी, खीरे आदि का सेवन करने से अच्छी नींद आती है। फाइबर वाली डाइट और साबुत अनाज का सेवन करें। लेकिन इन्हें खाने के दौरान यह ध्यान रखें कि आपका वजन न बढ़े। कम वसा वाले प्रोडक्ट का सेवन करें। घी की जगह जैतून का तेल, सूरजमुखी या फ्लेक्स सीड्स वाले ऑयल का प्रयोग करें।

Disclaimer: यह जानकारी आयुर्वेदिक नुस्खों के आधार पर लिखी गई है। इंडिया टीवी इनके सफल होने या इसकी सत्यता की पुष्टि नहीं करता है। इनके इस्तेमाल से पहले चिकित्सक का परामर्श जरूर लें।

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