वात, पित्त और कफ हमारे शरीर की प्रकृति तय करता है। जहां वात दोष वायु से होता है, कफ दोष पानी से तो वहीं पित्त दोष का अग्नि से संबंध होता है। इसलिए जरूरी हैं कि इसका बैलेंस बना रहेगा। अगर इन त्रिदोष में कोई भी थोड़ा सा बिगड़ा तो आपकी बॉडी इनबैलेस हो जाती है। जिससे आपको कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
स्वामी रामदेव के अनुसार वात पित्त और कफ को त्रिदोष कहते हैं। आयुर्वेद के अनुसार कफ दोष में 28 रोग, पित्त रोग में 40 रोग और वात दोष में 80 प्रकार के रोग होते हैं। जहां कफ की समस्या छाती के ऊपरी हिस्से में होती है। वहीं पित्त की समस्या छाती के नीचे और कमर में होती है। इसके अलावा वात की समस्या कमर के नीचे हिस्से और हाथों में होती है। इस त्रिदोष की समस्या को आयुर्वेदिक उपायों के द्वारा काफी हद तक सही किया जा सकता है।
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त्रिदोष के लिए आयुर्वेदिक उपाय
वात के लिए
- गिलोय का सेवन करने से फायदा मिलेगा। इसके लिए सुबह गिलोय का जूस या फिर काढ़ा पी सकते हैं।
- अष्टवर्ग का सेवन करे।
- मेथी अंकुरित करके खाएं
- सुबह काली पेट लहसुन का सेवन करे। अगर आपको इसकी तासीर गर्म सह नहीं पाते हैं तो रात को पानी में बिगोकर इसका सेवन करे। इसके अलावा थोड़ा सा घी में भुनकर सेंधा नमक डालकर खा सकते हैं।
कफ की समस्या के लिए
- त्रिकटू का सेवन करें। इसके लिए सौंठ, पिपल और काली मिर्च को बराबर मात्रा में लेकर पाउडर बना लें। इसके साथ ही इसमें सीतोपलादि और श्वसारि का सेवन करे।
- रात को सोने से पहले दूध में हल्दी, शिलाजीत और च्यवनप्राश को डालकर सेवन करे।
पित्त के लिए
व्हीटग्रास के साथ एलोवेरा और लौकी का जूस पिएं। इसके अलावा आप चाहे तो लौकी का सूप पी सकते हैं।
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