लंबे समय तक एक जगह बैठे रहने, गैजेट्स का ज्यादा इस्तेमाल करने से आंखों के साथ-साथ रीढ़ की हड्डी पर अधिक प्रभाव पड़ता है। इसी कारण कमर दर्द और गर्दन में दर्द की समस्या हो जाती है। अगर आपके भी गर्दन-कंधे में हमेशा जकड़न बनी रहती हैं तो वह स्पॉन्डिलाइटिस के कारण हो सकती है। इसमें गर्दन और रीढ़ की हड्डी सबसे ज्यादा प्रभावित होती है।
रीढ़ की हड्डी में प्रभाव पड़ने के कारण स्लिप डिस्क, सर्वाइकल, वर्टिगो, आस्टियो, अर्थराइटिस, स्पॉनिलाइटिस, स्पाइनल स्टेनोसिस, साइटिका जैसी बीमारियों का समस्या करना पड़ता है। ऐसे में आप योग के साथ-साथ इस पीड़ांतक तेल का इस्तेमाल कर सकते हैं। यह बाजार में भी आसानी से मिल जाता है। इसके अलावा आप चाहे तो घर पर कुछ जड़ी बूटियों को मिलाकर इसे बना सकते हैं। स्वामी रामदेव से जानिए बनाने की विधि।
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पीड़ांतक तेल बनाने के लिए सामग्री
- आधा लीटर तिल का तेल
- 1 लीटर पानी
- थोड़ी अजवाइन
- थोड़ी सी मेथी
- लहसुन 6-8 कली
- अमरबेल थोड़ी
- आक का पत्ता
- रसना
- निर्गुडी
- गिलोय की डंडी
- सौंठ
- पिपला मूल
- चित्रक मूल
- अरंड के पत्ते और बीज
- अर्क मूल
- टेसू के फूल
- धतूरा
- पुष्कर मूल
- हल्दी
- मुलेठी
- जटामासी
होममेड आयुर्वेद तेल बनाने की विधि
सबसे पहले सौंठ, अमर बेल, गिलोय, लहसुन, सहित अन्य चीजों इमामदस्ता पर डालकर कूट लें। इसके बाद कढ़ाई में तिल का तेल डालकर गर्म करेंगे। गर्म हो जाने के बाद इसमें सभी चीजें डाल दें। इसके साथ ही इसमें पानी डाल देंगे। इसके बाद इसे धीमी आंच में पकाएंगे। जब पानी बिल्कुल पक जाए तो गैस बंद कर दें। इसके बाद इसे ठंडा होने के बाद किसी बोतल में भर लें। आपका पीडांतक तेल बनकर तैयार है। इसे रोजाना दिन में 2 बार मालिश करे। इसके अलावा एक्यूप्रेशर प्वाइंट्स दबाने समय इसे लगाकर हल्का सा मालिश कर लें। इससे आपको दोगुना लाभ मिलेगा।