राम मंदिर में भगवान राम लला की प्राण प्रतिष्ठा हो चुकी है। पूजन के अंत में पीएम मोदी को रामलला के सामने साष्टांग प्रणाम करते हुए देखा गया। ये पहली बार नहीं है जब पीएम मोदी मे ये किया है बल्कि, इससे पहले काशी विश्वनाथ समेत कई मंदिरों में उन्होंने साष्टांग प्रणाम किया है। पर आपको बता दें कि ये एक प्रकार की योग मुद्रा है जिसका एक बड़ा अर्थ है। लेकिन, बहुत से लोगों को इसका अर्थ नहीं मालूम होता। न ही लोग जानते हैं कि पूजा के अंत में लोग साष्टांग प्रणाम (sashtang dandvat pranam) करते हैं। तो, आइए जानते हैं इस बारे में विस्तार से।
साष्टांग प्रणाम क्या है-What is Sashtang Pranam
साष्टांग प्रणाम का मतलब है वो प्रणाम जिसमें पूरा शरीर शामिल हो। इसे ऐसे समझें कि साष्टांग यानी स + अष्ट + अंग प्रणाम यानी कि आठ अंगों के द्वारा किया गया प्रणाम। इन अंगों में सिर, हाथ, पैर, हृदय, आंख, घुटने, वचन और मन इन आठों से युक्त होकर और जमीन पर सीधा लेटकर प्रणाम किया जाता है। साष्टांग दंडवत प्रणाम का अर्थ होता है ईश्वर के सामने अपने अहंकार त्यागकर खुद को भगवान को सौंप देना।
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क्यों खास है योग की ये मुद्रा
दरअसल, साष्टांग प्रणाम योग की एक मुद्रा है जिसमें पूरे शरीर को इस्तेमाल करके शरीर को एक सीध में खींचना होता है। इसे करते समय ब्रेन में ब्लड सर्कुलेशन तेज होता है और पूरे शरीर में खून का संचार होता है। इससे बुद्धि तेज होती है और दिमाग तेज गति से काम करता है।
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इसके अलावा ये जोड़ों के दर्द को कम करता है और हड्डियों को मजबूती देता है। साथ ही रेगुलर इसे करना आपके शरीर की तमाम मांसपेशियों और नसों के लिए भी फायदेमंद है। तो, इन तमाम कारणों से साष्टांग प्रणाम एक खास योग है और हर किसी को ये करना चाहिए।