बॉलीवुड अभिनेता अर्जुन कपूर इन दिनों अपनी सेहत को लेकर कई खुलासा किया है। उन्होने बताया है कि वे पिछले कुछ सालों से अवसाद और हाशिमोटो नामक बीमारी से पीड़ित हैं। इस बीमारी के कारण उन्हें वजन संबंधी समस्याओं से लगातार जूझना पड़ा है। उनकी मां और बहन अंशुला कपूर भी इसी ऑटो-इम्यून बीमारी से पीड़ित हैं। चलिए जानते हैं इस ऑटोइम्यून डिसऑर्डर के लक्षण और बचाव के उपाय
हाशिमोटो रोग क्या है?
हाशिमोटो थायरॉयड ग्रंथि से जुड़ी एक बीमारी है। थायरॉयड गर्दन में एक छोटी, तितली के आकार की ग्रंथि है जो मेटाबॉलिज़्म सहित कई शारीरिक गतिविधियों को नियंत्रित करती है। हाशिमोटो रोग तब होता है जब रोग प्रतिरोधक क्षमता गलती से थायरॉयड ग्रंथि पर हमला करती है और आपकी कोशिकाओं और अंगों को नष्ट करती है।
हाशिमोटो रोग के कारण:
हाशिमोटो रोग उन लोगों में सबसे आम है जिनके परिवार में थायरॉयड रोग का इतिहास रहा हो। हाशिमोटो बीमारी धीरे-धीरे शुरू होता है। इस स्थिति का पता लगने में महीनों या सालों लग सकते हैं। यह समस्या थायरॉयड हार्मोन का स्तर सामान्य से कम होने पर भी होता है। बता दें, रोग प्रतिरोधक क्षमता आपके शरीर को बैक्टीरिया और वायरस से बचाती है लेकिन रोग प्रतिरोधक क्षमता जब एंटीबॉडी का प्रोडक्शन कर, थायरॉयड ऊतक पर हमला कर देती है जिससे यह बीमारी हो सकती है। साथ ही आपके थायरॉयड में बड़ी मात्रा में सफ़ेद रक्त कोशिकाएं (विशेष रूप से, लिम्फोसाइट्स) जमा होने की वजह से भी यह परेशानी हो सकती है।
हाशिमोटो रोग के लक्षण
हाशिमोटो रोग वाले लोगों को शुरू में कोई लक्षण नहीं दिखाई दे सकते हैं। जैसे-जैसे थायरॉयड ग्रंथि बढ़ती है (जिसे गोइटर के रूप में जाना जाता है)। गोइटर हाशिमोटो रोग का प्रारंभिक संकेत है। इससे दर्द नहीं होना चाहिए, हालांकि यह निचली गर्दन में भारीपन महसूस करा सकता है। इससे आपकी गर्दन का अगला हिस्सा बड़ा दिखाई दे सकता है। जब हाशिमोटो रोग हाइपोथायरायडिज्म में बदल जाता है, तो समय के साथ ये लक्षण दिख सकते हैं।
- थकान और अत्यधिक नींद
- हल्का वजन बढ़ना
- कब्ज
- सूखी त्वचा
- ठंड लगना
- सामान्य से कम हृदय गति
- जोड़ों में अकड़न और मांसपेशियों में दर्द
- सूखे बाल या बालों का झड़ना
- कम या उदास मूड
- सूजी हुई आंखें और चेहरा
- याददाश्त संबंधी समस्याएं
- मासिक धर्म अनियमित
- महिला या पुरुष बांझपन
हाशिमोटो का उपचार:
हाशिमोटो बीमारी का ट्रीटमेंट इसपर निर्भर होता है कि आपका थायरॉयड कितना क्षतिग्रस्त हुआ है कि उससे हाइपोथायरायडिज्म उत्पन्न हो जाए। डॉक्टर लक्षणों और थायरॉयड हार्मोन के स्तर की निगरानी कर गोली, जेल कैप्सूल या लिक्विड के रूप में दवा देते हैं।