खाना, खाना बनाने का तरीका और खाना किसमें बनाया जा रहा है इसका हमारे शरीर पर बहुत असर पड़ता है। तभी तो कहा गया है जैसा खाओगे अन्न, वैसा रहेगा मन। यानि आप जो खाना खाते हैं उसका आपके मन और सेहत पर असर दिखता है। आजकल खाने-पीने में मिलावट हो रही है और खाना बनाने के बर्तनों में भी बड़ा बदलाव हो रहा है। पहले मिट्टी और लोहे के बर्तनों में खाना बनाया जाता था, जो आपको स्वस्थ रखने में मदद करते थे। लेकिन अब प्लास्टिक, नॉन स्टिक और एल्युमिनियम का इस्तेमाल किया जाने लगा है जिससे कैंसर जैसी खतरनाक बीमारियों का खतरा बढ़ रहा है। जी हां आपकी रसोई में ऐसी कई चीजें मौजूद हैं जो कैंसर के खतरे को बढ़ा रही हैं। इन चीजों को तुरंत अपनी किचन से हटा दें।
ये चीजें पैदा करती हैं कैसर का खतरा
नॉन स्टिक बर्तन- आजकल खाना बनाने के लिए लोग नॉन स्टिक बर्तनों का इस्तेमाल करने लगे हैं। लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि ये बर्तन आपके परिवार को कैंसर की चपेट में ला सकते हैं। तेज फ्लेम पर नॉन-स्किट कुकवेयर का इस्तेमाल करने पर इसमें इस्तेमाल होने वाली PFCs कोटिंग पर असर डालती है। यह खाने के जरिए पेट में जाती है और कैंसर जैसी बीमारी का कारण बन सकती है।
एल्युमीनियम फॉयल- आजकल लोग खाना पैक करने के लिए और लंबे समय तक गर्म रखने के लिए एल्युमीनियम फॉयल का इस्तेमाल करते हैं। फॉयल में पैक्ड खाने में करीब 2 से 5 मिलीग्राम एल्युमीनियम होता है, जिससे शरीर को जिंक ठीक से ग्रहण करने में परेशानी होती है। इससे कैंसर का खतरा तेजी से बढ़ता है। फॉयल में पैक खाना खाने से बोन डेंसिटी भी कम होती है।
प्लास्टिक- हमारी लाइफ में प्लास्टिक का इस्तेमाल बहुत तेजी से बढ़ा है। घर में पानी की बोतल से लेकर टिफिन और खाना बनाने के लिए लोग प्लास्टिक के सामानों का इस्तेमाल करते हैं। लो क्वालिटी के प्लास्टिक के सामान का इस्तेमाल करने से सेहत पर बुरा असर होता है। प्लास्टिक के डब्बों में खाना गर्म करने से टॉक्सिंस इंसुलिन बढ़कर फैट सेल्स को रिलीज करते हैं, जिससे कैंसर का खतरा बढ़ता है।
एल्युमीनियम के बर्तन- कुछ लोग खाना पकाने के लिए एल्युमीनियम की कड़ाही और कुकर का इस्तेमाव करते हैं। एल्युमीनियम धीर-धीरे घिसता है जो शरीर में पहुंच कर धीमा जहर घोलता है। एल्युमीनियम के बर्तनों में बना खाना खाने से किडनी और फेफड़ों की समस्या होती है। एल्युमीनियम के ये कण शरीर में जमा होने पर कैंसर का खतरा बढ़ाते हैं।