दिल्ली एनसीआर में हर साल लोग प्रदूषण की मार झेलते हैं। हर साल हवा में घुलने वाले इस जहर की गंभीरता को शायद ही लोग समझ रहे हैं। बढ़ता प्रदूषण आपकी कई पीढ़ियों को बीमार बना रहा है। प्रदूषित शहर में रहने से न केवल आपके फेफड़ों को नुकसान हो रहा है बल्कि इससे नींद भी प्रभावित हो रही है। एक नए रिसर्च में पता चला है कि वायु प्रदूषण और ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया (ओएसए) के बीच संबंध है, ये ऐसी स्थिति होती है जिसमें नींद के दौरान सांस बार-बार रुकती और शुरू होती है।
इंटरनेशनल न्यूरोटॉक्सिकोलॉजी एसोसिएशन जर्नल में प्रकाशित शोध में बताए गए इस लिंक को समझने के लिए बारह अलग-अलग अध्ययनों के आंकड़ों को देखा गया। शोधकर्ताओं का कहना है कि वायु प्रदूषण, विशेष रूप से नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (NO2), स्लीप एपनिया के खतरे को बढ़ा रहा है। अध्ययन से पता चलता है कि NO2 के संपर्क में आने से स्लीप एपनिया के मरीज की स्थिति और खराब हो सकती है और दूसरे लोगों को ये बीमारी हो सकती है।
प्रदूषण से स्लीप एपनिया का खतरा!
हालांकि शोधकर्ताओं ने इसके पीछे के पूरे मैकेनिज्म को नहीं बताया है, लेकिन कुछ संभावनाएं बताई हैं जिसमें कहा गया है कि वायु प्रदूषण सांस लेने में जलन और सांस की नली में सूजन पैदा कर सकता है, जिससे नींद के दौरान मौत होने की संभावना भी बढ़ जाती है। इस स्थिति को OSA कहा जाता है। इसके अलावा प्रदूषण नर्व सिस्टम और सांस लेने के कंट्रोल को भी डिस्टर्ब करता है।
जान को खतरे में डाल रही है गंदी हवा
रिसर्च में कहा गया है, ये पैथोफिजियोलॉजिकल बदलाव सांस संबंधी विकारों को पैदा करने और उन्हें बढ़ाने में योगदान देते हैं। ओएसए के मामले में वायु प्रदूषण ऊपरी वायुमार्ग में सूजन और डिसफंक्शन को बढ़ा सकता है, जिससे नींद के दौरान सांस बार-बार टूटती है। हालांकि रिसर्च में कहा गया है कि वायु प्रदूषण के प्रकार, समय और उम्र, जेंडर और आपकी मेडिकल कंडीशन के हिसाब से जोखिम अलग-अलग हो सकते हैं। हालांकि ये हम सभी को पता है कि प्रदूषित हवा में सांस लेने से हमारे फेफड़े और स्वास्थ्य बुरी तरह से प्रभावित हो रहा है।