कोरोना महामारी के बीच ब्लैक, व्हाइट के बाद अब येलो फंगस के भी मामले सामने आए है। येलो फंगल का पहला मामला गाजियाबाद से सामने आया है। मरीज का इलाज इस समय जाने-माने ईएनटी सर्जन बृज पाल त्यागी के अस्पताल में चल रहा है। कहा जा रहा है कि यह ब्लैक और व्हाइट से भी ज्यादा खतरनाक है।
येलो फंगस के लक्षण
- सुस्ती
- भूख कम लगना या बिल्कुल भी भूख न लगना
- वजन कम होना
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येलो फंगस के गंभीर मामलों में, मवाद के रिसाव और खुले घाव के धीमी गति से उपचार के साथ सभी घावों की धीमी गति से भरना के साथ कुपोषण या फिर ऑर्गन डैमेज तक हो सकते हैं। कई लोगों को आंखों में इंफेक्शन को सकता है।
येलो फंगस एक घातक बीमारी है क्योंकि यह आंतरिक रूप से शुरू होती है और इसलिए यह महत्वपूर्ण है अगर आपको कोई भी लक्षण दिखें तो उपचार शुरू कर दें।
येलो फंगस होने का कारण
हमारे आसपास अधिक गंदगी का होना ही येलो फंगस का मुख्य कारण बताया जा रहा है। इसलिए जरूरी है कि अपने घर के आसपास साफ़ रखें। जिससे कि किसी भी तरह का बैक्टीरिया या फंगस का विकास ना हो। इसके साथ ही अगर कहीं पर लगा होतो तुंरत उसे हटा दें। इसके साथ ही घर पर मौजूद पुरानी खाने की चीजों हटा दें। जिसमें फंगस लगने का खतरा हो।
येलो फंगस से बचाव
माना जा रहा है कि ह्यूमिडिटी फंगस को उत्पन्न करने में काफी महत्वपूर्ण है। बढ़ी हुई ह्यूमिडिटी बैक्टीरिया और फ़ंगस के विकास को बढ़ावा दे सकती है। इसके साथ ही अगर आपकी इम्यूनिटी अच्छी होगी तो इस फंगस से बचा जा सकता है।