हर पुरुष की चाहत होती है कि वो हमेशा स्वस्थ और सेहतमंद रहे। लेकिन सामान्य तौर पर 40 साल के बाद पुरुषों के हारमोंस में आती गिरावट के चलते उनके मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर गहरा असर पड़ता है। पुरुषों के शरीर में सबसे महत्वपूर्ण हार्मोन की बात की जाए तो टेस्टोस्टेरोन का नाम सबसे पहले आता है।
टेस्टोस्टेरोन नामक का हॉर्मोन अंडकोष में पैदा होता है और आमतैर पर इसे मर्दानगी से जोड दिया आमतौर पर इसे मर्दानगी से जोड़ दिया जाता है। देखा जाए तो इस हार्मोन का सीधा कनेक्शन किसी पुरुष की यौन क्षमता के साथ साथ उसके स्टेमिना, आक्रामकता, लाइफस्टाइल, शरीर के बालों और बॉडी से है।
टेस्टोस्टेरोन की कमी सीधे तौर पर किसी के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य से जुड़ी है और उम्र बढने के साथ साथ पुरुों में इस हार्मोन की कमी होती जाती है। खासकर 40 साल के बाद ये दो फीसदी की दर से गिरता जाता है, अगर ध्यान दिया गया तो ये बरकरार भी रखा जा सकता है।
चलिए आपको बताते हैं कि टेस्टोस्टेरोन की कमी से क्या होता है।
टेस्टोस्टेरोन की कमी से पुरुषों में आमतौर पर 40 साल के बाद या कभी कभी पहले भी हाइपोगोनडिज़म नामक बीमारी हो जाती है। हाइपोगोनडिज़म भी दरअसल बीमारी नहीं है, ये टेस्टोस्टोरोन कम होने से शरीर पर आए बदलाव को ही कहा जा सकता है लेकिन इसका सीधा असर शरीर पर पड़ता है इसलिए इसके कई नुकसान हैं।
टेस्टोस्टेरोन की कमी से शरीर पर आने वाले संकेत -
याद्दाश्त की कमी, बार बार भूलने की आदत
थकान हावी होना
स्टेमिना में गिरावट
अवसाद और स्ट्रेस होना
बात बात पर चिड़चिड़ापन
पसीना ज़्यादा आना
यौन संबंध बनाने की इच्छा कम होना
नपुंसकता की शिकायत होना
कसरत, वर्कआउट करते वक्त जल्दी थक जाना
दाढ़ी और मूंछों के बाल की ग्रोथ कम होना
किससे जुड़ा है हाइपोगोनडिज़म
हाइपोगोनडिज़म 40 की उम्र से पहले अगर शरीर पर हावी होता है तो समझिए कि आप या तो मोटापे के शिकार हो रहे हैं या गलत लाइफस्टाइल के।
इतना ही नहीं कई तरह के कारणों से भी टेस्टोस्टेरोन हॉर्मोन में कमी आती है और व्यक्ति हाइपोगोनडिज़म का शिकार होता है। हाइपोगोनडिज़म की वजह बनते हैं जिसके कारण टेस्टोस्टेरोन का लेवल कम होता है
1.अगर किसी किस्म का इन्फेक्शन हुआ है
2. लीवर और किडनी में बीमारी से जूझ रहे हैं
3. शराब की लत
4. धूम्रपान
5. तंबाकू गुटखा की लत
6. रात को देर से सोने या कम सोने
7. कोई कीमोथेरपी या रेडिएशन थेरपी से गुजरे हैं
अगर आप ऊपर दिए गए शारीरिक और मानसिक संकेतों से गुजर रहे हैं तो आप खून की जांच करवा कर अपने शरीर में टेस्टोस्टेरोन के स्तर का पता लगा सकते हैं। इसके बाद हार्मोन की स्थिति सुधारने के लिए डाक्टरी सलाह ली जा सकती है।