Monday, December 16, 2024
Advertisement
  1. Hindi News
  2. हेल्थ
  3. रेडी टू ईट स्नैक्स की लत आपकी अच्छी खासी सेहत पर पड़ सकती है भारी, जानें क्या कहती है रिपोर्ट?

रेडी टू ईट स्नैक्स की लत आपकी अच्छी खासी सेहत पर पड़ सकती है भारी, जानें क्या कहती है रिपोर्ट?

अगर आप भी रेडी टू ईट स्नैक्स के दीवाने हैं तो यह खबर आपके लिए है।आपको इस तरह के स्नैक्स को खाने से पहले दस बार क्यों सोचना चाहिए। जानें इस लेख के ज़रिए।

Written By: Poonam Yadav @R154Poonam
Published : Dec 16, 2024 16:48 IST, Updated : Dec 16, 2024 17:05 IST
क्यों नहीं खाना चाहिए रेडी-टू-ईट स्नैक्स- India TV Hindi
Image Source : SOCIAL क्यों नहीं खाना चाहिए रेडी-टू-ईट स्नैक्स

दुनिया भर में पेश किए जाने वाले सुविधाजनक भोजन और खाने के लिए तैयार नाश्ते के एक सर्वेक्षण के अनुसार, न्यूट्रिशन रिसर्चर ने पाया कि पाँच में से चार खाद्य पदार्थ लेबल पर दिए गए पोषण संबंधी दावों को पूरा करते हैं, लेकिन उनमें से ज़्यादातर सामग्री वसा और कार्बोहाइड्रेट हैं। अध्ययन के अनुसार, सभी नाश्ते के अनाज, दलिया मिक्स, सूप मिक्स और हेल्दी फ्रिंक्स में 70% से अधिक कैलोरी में कार्बोहाइड्रेट शामिल हैं। बता दें, ड्रिंक्स में सबसे ज़्यादा कार्बोहाइड्रेट सामग्री थी, जो 100 ग्राम में 35 से 95 ग्राम तक थी। टेलीग्राफ की रिपोर्ट के अनुसार, प्रति 100 ग्राम में औसतन 15.8 ग्राम प्रोटीन के साथ, अध्ययन किए गए पेय मिश्रण में प्रोटीन का स्तर सबसे अधिक था। प्रति 100 ग्राम 12.2 ग्राम प्रोटीन के औसत के साथ इडली मिक्स दूसरे स्थान पर रहा। कॉर्न, आलू, सोया या गेहूं से बने रेडी-टू-ईट एक्सट्रूडेड स्नैक्स में सबसे अधिक फ़ैट का औसत स्तर पाया गया (28 ग्राम प्रति 100 ग्राम।)

क्या कहा गया है स्टडी में?

चेन्नई के चिकित्सक आर.एम.अंजना ने कहा कि हमारे स्टडी में खाद्य पदार्थों में सुधार की बहुत ज़्यादा आवश्यकता है। इनमें कार्बोहाइड्रेट कम हो और प्रोटीन की मात्रा ज़यादा होनी चाहिए और जब तक ऐसा नहीं होता, उपभोक्ताओं को ऐसे खाद्य पदार्थों को सावधानी से चुनना चाहिए या ऐसे फूड्स को खरीदने से बचना छाइये। चेन्नई में मद्रास डायबिटीज रिसर्च फाउंडेशन में छह अलग-अलग खाद्य श्रेणियों से 432 शोध के लिए चुने गए।जिनमें इडली मिक्स, ब्रेकफास्ट सीरियल्स, दलिया मिक्स, सूप मिक्स, हेल्थ बेवरेज मिक्स और एक्सट्रूडेड स्नैक्स को शामिल किया गया।

वैज्ञानिकों के अनुसार, कुछ सामान जो पैकेजिंग पर प्रोटीन या फाइबर जैसे पोषक तत्वों के बारे में दावा करते हैं, वे भारतीय खाद्य सुरक्षा मानक प्राधिकरण (FSSAI) द्वारा स्थापित मानकों का पालन नहीं करते हैं। अंजना ने यह भी कहा कि जो उत्पाद साबुत अनाज होने का दावा करते हैं, लेकिन उनकी सामग्री में उन्हें नहीं दर्शाया जाता है, तो ऐसे दावे भ्रामक हैं। इसलिए उपभोक्ताओं को पैकेज पर किए गए दावों को ही नहीं, बल्कि सामग्री को भी पढ़ना चाहिए।

क्या कहता है बाजार विश्लेषण?

यूनियन साइंस एंड टेक्नोलॉजी मिनिस्ट्री के स्टडी के मुताबिक़, न्यूकिल्यर फैमिली बढ़ने, व्यस्त कार्यक्रम, लंबी यात्रा और घंटों काम करने की वजह से पूरे भारत में रेडी-टू-ईट स्नैक्स खाद्य पदार्थों की मांग बढ़ी है।एक बाजार विश्लेषण के अनुसार, खाद्य उद्योग का राजस्व 2021 में $58 बिलियन था और 2022 और 2027 के बीच प्रति वर्ष 9.5% की वृद्धि होने का अनुमान है। एक अलग बाजार अनुसंधान फर्म के अनुसार, अकेले एक्सट्रूडेड स्नैक्स का बाजार 2023 में $570 मिलियन का था और 2032 तक $1 बिलियन तक पहुँच जाएगा।

मद्रास डायबिटीज रिसर्च फाउंडेशन में पोषण वैज्ञानिक शोभना शनमुगम ने कहा, "रेडी टू इट फ़ूड में ज़्यादातर खाद्य पदार्थों को केवल गर्म करने या पानी में उबालन होता है और वे मिनटों में खाने के लिए तैयार हो जाते हैं -यही उनकी लोकप्रियता में योगदान दे रहा है। ऐसे में हमें फ़ूड मैट्रिक्स को फिर से डिजाइन करने की आवश्यकता है - हमें कम वसा वाले एक्सट्रूडेड स्नैक्स, कम सोडियम और अधिक फाइबर वाले सूप और ऐसे सभी खाद्य पदार्थों में प्रोटीन की मात्रा में समग्र वृद्धि की आवश्यकता है। जैसे दाल में प्रोटीन की मात्रा को बढ़ाया जाए । इससे कीमत बढ़ सकती है लेकिन यह अस्वास्थ्यकर खाद्य पदार्थों का सेवन करने से कहीं बेहतर है।

 

Latest Health News

India TV पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज़ Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। News in Hindi के लिए क्लिक करें हेल्थ सेक्‍शन

Advertisement
Advertisement
Advertisement