बॉलीवुड एक्ट्रेस अदा शर्मा ने हाल ही में एक इंटरव्यू में यह खुलासा किया कि उन्हें एन्ड्रोमेट्रियोसिस की बीमारी है। एक फिल्म की शूटिंग के दौरान एन्ड्रोमेट्रियोसिस की वजह से उन्हें 48 दिनों तक पीरियड आए। बता दें, एन्ड्रोमेट्रियोसिस महिलाओं में होने वाली एक गंभीर बीमारी है। पीएसआरआई अस्पताल के वरिष्ठ सलाहकार और (एंडोस्कोपिक स्त्री रोग विशेषज्ञ ) डॉ. राहुल मनचंदा बता रहे हैं कि कैसे इस बीमारी में गर्भाशय का टिशू एंडोमेट्रियम शरीर के दूसरे अंगों में भी बढ़ने लगता है जिससे महिलाओं को पीरियड और प्रेग्नेंसी में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। चलिए जानते हैं इसके लक्षण और बचाव के उपाय।
क्या है एंडोमेट्रियम?
गर्भाशय (यूटरस) के अंदर की परत को मेडिकल भाषा में 'एंडोमेट्रियम’ कहते हैं। दरअसल, गर्भाशय में एक बाहरी परत होती है जिसे मायोमेट्रियम कहा जाता है और एक इनर लाइनिंग परत होती है जिसे एंडोमेट्रियम कहते हैं। बता दें एंडोमेट्रियम आपके यूटरस की अंदरूनी परत के साथ चिपका होता है। जब पीरियड आता है तब ये परतें आपके गर्भाशय की दीवारों से अलग होकर बाहर निकल जाती है
एंडोमेट्रियोसिस के लक्षण
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पीरियड होने पर बहुत तेज दर्द होना
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पीरियड में पेट और पीठ में ऐंठन आना
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पीरियड्स में हैवी ब्लीडिंग होना
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कंसीव करने में परेशानी
शरीर के किन अंगों में बढ़ते हैं एंडोमेट्रियम टिशूज?
एंडोमेट्रियोसिस होने पर ये टिशूज यूटरस की परत के अलावा दूसरे अंगों में भी बढ़ने लगते हैं। खासकर, जब यह यूटरस के बाहर, फैलोपियन ट्यूब, ओवरी, इंटेस्टाइन और पेल्विक कैविटी के भीतर भी विकसित हो सकते हैं और असहनीय दर्द का कारण बन सकते हैं
एन्ड्रोमेट्रियोसिस से हो सकती हैं ये परेशानियां:
अगर आपको पीरियड में बहुत ज़्यादा दर्द हो रहा है तो इसे सामान्य न समझें। दरअसल, ये टिशूज संवेदनशील होते हैं जिससे पीरियड के दौरान बहुत तेज दर्द होता है, पीरियड कई दिनों तक हो सकता है और यूटरस में सूजन भी आ सकती है। साथ ही एंडोमेट्रियोसिस की वजह से कई ऑर्गन्स डैमेज हो सकते हैं। इन टिशूज की वजह से आपका ओवेरियन सिस्ट, इंटेस्टाइन, यूरिनरी ब्लैडर, डाई फ्रेम और लंग्स बुरी तरह प्रभावित हो सकता है।
एंडोमेट्रियोसिस के कारण और बचाव के उपाय
एंडोमेट्रियोसिस नामक ये बीमारी महिलाओं को किसी भी उम्र में हो सकती है। ये पीरियड्स की शुरुआत में हो सकती है तो मेनोपॉज के समय भी उभर सकती है। यहां तक पुरुष भी इसका शिकार हो सकते हैं। डॉक्टर डॉ. राहुल मनचंदा कहते हैं कि यह एक क्रोनिक डिज़ीज़ है इसलिए जितनी जल्दी इसका इलाज़ हो आपके लिए बेहतर होगा। अगर आपको शरीर में पीरियड से जुड़े कोई भी लक्षण नजर आएं तो बिना देरी किए अपने डॉक्टर को दिखाएं