कोरोना काल में जिस एक शब्द का इस्तेमाल सबसे ज्यादा हुआ वो है इम्यूनिटी। इसे हिंदी में रोग प्रतिरोधक क्षमता भी कहते हैं। यानी कि ये वो शक्ति है जो शरीर को किसी भी वायरस से लड़ने की ताकत देती है। जिससे कि आप किसी भी बीमारी की चपेट में आने से बचे रहते हैं। कोरोना काल में लोगों ने अपनी इसी इम्यूनिटी को और ज्यादा मजबूत करने के लिए काढ़ा, फल तो कई सब्जियों को भी अपनी डाइट में शामिल किया। लेकिन क्या आप जानते हैं इम्यूनिटी 3 प्रकार की होती है। जानिए इम्यूनिटी के प्रकार के बारे में और ये भी जानें कि कौन सी इम्यूनिटी सबसे ज्यादा ताकतवर होती है।
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एक्टिव इम्यूनिटी
अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर ये एक्टिव इम्यूनिटी क्या होती है। दरअसल, बॉडी को एक्टिव इम्यूनिटी तब मिलती है जब शरीर किसी बीमारी या फिर किसी संक्रमण के संपर्क में आता है। यानी कि जब कोई बैक्टीरिया या फिर वायरस शरीर के अंदर आकर स्वस्थ सेल्स को नष्ट करने लगता है तो हमें जन्म के साथ मिली एंटीबॉडी और इम्यून सेल्स वायरस को नष्ट करने लगते हैं। कई बार ऐसा होता है कि आपको संक्रमण की गिरफ्त से बाहर निकलने में थोड़ा वक्त लग जाए। लेकिन जब अगली बार ये वायरस आपके शरीर के संपर्क में आएगा तो शरीर के इम्यून सेल्स इम्युन मेमोरी की सहायता से इसे तुरंत नष्ट कर देगा। एक्टिव इम्यूनिटी को ही रोग प्रतिरोधक क्षमता का सबसे मजबूत और ताकतवर प्रकार माना जाता है। ये लंबे वक्त तक शरीर को किसी भी बीमारी की चपेट में आने से बचाए रखता है।
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पैसिव इम्यूनिटी
सीडीसी के अनुसार पैसिव इम्यूनिटी वो होती है जब आपके शरीर को बाहरी मदद से एंटीबॉडीज दी जाती है। जैसे कि एंटीबॉडी युक्त खून चढ़ाना। ये इम्यूनिटी कुछ हफ्तों से लेकर महीनों तक शरीर में बनी रहती है। हालांकि इसका सबसे बड़ा फायदा ये होता है कि शरीर के अंदर जाते ही ये एंटीबॉडीज शरीर को रोगों बचने की सुरक्षा देना शुरू कर देती है।
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हर्ड इम्यूनिटी
डब्ल्यूएचओ के अनुसार ये संक्रामक बीमारियों के खिलाफ अप्रत्यक्ष सुरक्षा देती है। हालांकि वायरस से संक्रमित और मरने वाली संख्या में इजाफा होता है। इसी कारण डब्ल्यूएचओ इसकी सलाह नहीं देता।