किसान आंदोलन के 200 दिन पूरे होने पर पहलवान विनेश फोगाट शंभू बॉर्डर पर किसानों के विरोध स्थल पर पहुंचीं। उन्होंने कहा, "200 दिन हो गए हैं जब से वे यहां बैठे हैं। यह देखकर दुख होता है। वे सभी इस देश के नागरिक हैं। किसान देश को चलाते हैं। उनके बिना कुछ भी संभव नहीं है, एथलीट भी नहीं। अगर वे हमें खाना नहीं खिलाएंगे, तो हम प्रतिस्पर्धा नहीं कर पाएंगे। कई बार हम असहाय होते हैं और कुछ नहीं कर पाते हैं। हम इतने बड़े स्तर पर देश का प्रतिनिधित्व करते हैं, लेकिन हम अपने परिवार के लिए कुछ नहीं कर पाते हैं। भले ही हम उन्हें दुखी देखते हों। मैं सरकार से आग्रह करती हूं कि उन्हें सुनना चाहिए। उन्होंने पिछली बार अपनी गलती स्वीकार की थी। उन्हें अपने वादे पूरे करने चाहिए। अगर लोग इस तरह सड़कों पर बैठे रहेंगे तो देश आगे नहीं बढ़ेगा।"
विनेश फोगाट ने कहा "आज मैं सिर्फ किसानों के मुद्दे पर ही बात करूंगी राजनीति पर कोई बात नहीं होगी। मैं भी किसान परिवार से हूं। मुझे पता है कि किसानों को क्या दिक्कत होती है। खिलाड़ी होने से पहले मैंने भी खेत में काम किया है। मुझे पता है कि मेरी मां ने कैसे हमें पाला है। अगर किसान खाना नहीं देंगे तो खिलाड़ियों को भी खाने को क्या मिलेगा। कांग्रेस के टिकट देने पर कहा आज कोई राजनीतिक बयान नहीं। सरकार को बड़ा दिल दिखाना चाहिए और बातचीत करनी चाहिए।"
विनेश को संघर्ष के बावजूद नहीं मिले नतीजे
विनेश फोगाट पिछले साल जनवरी के महीने में ही अन्य पहलवानों के साथ बृजभूषण सिंह के खिलाफ धरने पर बैठी थीं। पहलवानों ने लगातार लंबे समय तक बृजभूषण सिंह के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। उनके ऊपर यौन शोषण जैसे गंभीर आरोप लगाए, लेकिन कुश्ती संघ में बृजभूषण का दबदबा नहीं खत्म कर सके। इससे जुड़ा एक पोस्टर भी चर्चा में रहा था। इसके बाद पेरिस ओलंपिक में भी विनेश ने विश्व चैंपियन को हराकर सफर शुरू किया और फाइनल में जगह बनाई। हालांकि, उनका वजन 50 किलोग्राम से ज्यादा हो गया। इसे कम करने के लिए उन्होंने हर संभव कोशिश की, लेकिन अंत में उनका वजन 100 ग्राम ज्यादा रह गया और वह ओलंपिक से डिसक्वालिफाई हो गईं। विनेश को मेडल के बिना लौटना पड़ा और उन्होंने कुश्ती से संन्यास का ऐलान कर दिया।