देश में ठंड दस्तक दे चुकी है। ऐसे में राजधानी दिल्ली में फिर पर्यावरण प्रदूषण फिर तेजी बढ़ रहा है। दिल्ली सरकार इसका बड़ा कारण हरियाणा, पंजाब और यूपी में जलाई जा रही पराली को मानती है। इसे लेकर कई राज्यों की सरकारों ने पराली न जलाने के आदेश भी दिए हैं, पर फिर भी किसान हैं कि मानने का नाम नहीं ले रहे हैं। एक ऐसा ही मामला हरियाणा के रोहतक से आ रहा है। यहां 3 किसान अपने खेतों में पराली जला रहे थे। कमाल की बात तो ये रही कि प्रशासन ने इसे सैटेलाइट के जरिए पकड़ा। इसके बाद इन पर एक्शन लिया गया।
सेटेलाइट के जरिए खेतों पर नजर
दरअसल, रोहतक जिले में 3 किसान अपने खेतों में पराली जला रहे थे। चूंकि प्रशासन ने पहले से ही बता रखा है कि सेटेलाइट के जरिए पराली जलाने वाले किसानों पर नजर रखी जा रही है। ऐसे में सैटेलाइट के जरिए प्रशासन ने तीनों घटनाओं को पता चला, जिसके फौरन बाद NGT (नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल) के नियमानुसार तीनों किसानों पर कार्रवाई की गई। प्रशासन ने पराली जलाने वाले 3 किसानों को सोमवार को नोटिस जारी किया और सभी से 2500 रूपए पर्यावरण क्षतिपूर्ति चार्ज वसूला। इसकी जानकारी डीसी अजय कुमार ने दी है।
"फसल अवशेषों को न जलाएं"
डीसी अजय कुमार ने किसानों से आहृान करते हुए कहा कि पर्यावरण को शुद्ध बनाए रखने के लिए फसल अवशेषों को न जलाएं। किसान फसल अवशेषों का कृषि यंत्रों की सहायता से उचित प्रबंधन कर प्रोत्साहन राशि पा सकते हैं। इन परालियों को मिट्टी में मिलाकर भूमि की उपजाऊ शक्ति भी बढ़ा सकते हैं। जानवरों के चारे के लिए किसान के खेत से पराली लाने के लिए जिले की सभी रजिस्टर्ड गौशालाओं को 15 हजार रुपये की राशि किराए के रूप में दिए जाने का सरकार द्वारा प्रावधान है, इसका भी लाभ ले सकते हैं।
सीएम ने दी चेतावनी
बीते दिन राज्य के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने पराली जलाने के मुद्दे पर मीडिया से बात करते हुए कहा कि पराली को बेचा जाना चाहिए, इसे जलाने का कोई कारण नहीं है। खट्टर ने कहा कि हम ऐसे सभी किसानों से बात करेंगे और उन्हें समझाएंगे। खट्टर ने आगे चेतावनी देते हुए कहा कि अगर वे इसके बाद भी नहीं समझेंगे तो हम उनके साथ सख्ती से पेश आएंगे।
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