हरियाणा के सिरसा जिले में डेरा जगमालवाली परिसर सहित कई स्थानों पर गुरुवार को भारी संख्या में पुलिस बल तैनात रहा। पिछले सप्ताह डेरा जगमालवाली प्रमुख बहादुर चंद वकील के निधन के बाद कल डेरा परिसर में भोग की रस्म हुई। वकील के निधन के बाद डेरा जगमालवाली (मस्ताना शाह बलोचिस्तानी आश्रम) में उत्तराधिकार विवाद के कारण शांति भंग की आशंका के मद्देनजर राज्य सरकार ने बुधवार को सिरसा में मोबाइल इंटरनेट सेवाएं गुरुवार आधी रात तक के लिए निलंबित कर दी थीं।
डेरा पर नियंत्रण के लिए 2 गुटों में रस्साकशी
वकील का लंबी बीमारी के बाद एक अगस्त को एक निजी अस्पताल में निधन हो गया था जिसके बाद वीरेंद्र सिंह और गुरप्रीत सिंह के नेतृत्व में दो गुटों में डेरा पर नियंत्रण के लिए रस्साकशी शुरू हो गई। डेरे के अनुयायी हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश और राजस्थान में हैं। सिरसा की अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक दीप्ति गर्ग ने कहा कि किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिए हरियाणा सशस्त्र पुलिस और रैपिड एक्शन फोर्स सहित सुरक्षा कर्मियों की कुल 16 कंपनियां तैनात की गई हैं। उन्होंने बताया कि अन्य जिलों से भी पुलिस कर्मियों को तैनात किया गया है। डेरा परिसर में वकील के लिए 'अंतिम अरदास' की गई और वहां बड़ी संख्या में उनके अनुयायी पहुंचे।
डेरा प्रमुख की हत्या की साजिश रचने का आरोप
वकील के निधन के बाद डेरा अनुयायी और सूफी गायक बीरेंद्र सिंह ने दावा किया कि वकील की वसीयत के अनुसार उन्हें अगला डेरा प्रमुख नामित किया गया है। हालांकि, दूसरे गुट ने उनके दावे को खारिज कर दिया और वकील की मौत पर भी सवाल उठाया तथा बीरेंद्र पर डेरा प्रमुख की हत्या की साजिश रचने का आरोप लगाया। डेरा अनुयायी जसदेव बिश्नोई ने गुरुवार को दावा किया कि डेरा प्रमुख के साथ रहने वाले बीरेंद्र ने कभी भी अनुयायियों को नहीं बताया कि वकील किस बीमारी से पीड़ित थे। उन्होंने वकील की मौत की सीबीआई से जांच की मांग की।
बहादुर चंद वकील का जन्म 10 दिसंबर 1944 को चौटाला गांव में हुआ था। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा अपने पैतृक स्थान पर ही पूरी की और बाद में हिसार के दयानंद कॉलेज से पढ़ाई की। वे 1968 में डेरा जगमालवाली में शामिल हुए और अगस्त 1998 में इसके प्रमुख नियुक्त किए गए।