हरियाणा विधानसभा चुनाव के विधानसभा चुनाव के नतीजों का ऐलान हो गया है और बीजेपी ने सूबे में जीत की हैट्रिक लगा दी है। सूबे की सभी 90 विधानसभा सीटों पर एक फेज में 5 अक्टूबर को मतदान संपन्न हुआ था। इसमें हरियाणा की हाई प्रोफाइल सीटों में से एक सिरसा भी थी, जो रोहतक लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र का हिस्सा है। सिरसा एक जनरल सीट है। हरियाणा लोकहित पार्टी (HLP) और कांग्रेस इस निर्वाचन क्षेत्र में मुख्य दल थे। सिरसा में चौंकाने वाला नतीजा आया और सूबे के पूर्व गृह मंत्री गोपाल कांडा चुनाव हार गए। उन्हें कांग्रेस नेता गोकुल सेतिया ने 7234 मतों के अंतर से हराया। सेतिया को 79020 और कांडा को 71786 वोट मिले।
2019 के विधानसभा मे HLP के गोपाल कांड ने 602 वोटों के अंतर से इस सीट पर जीत हासिल की थी। उन्हें 44,915 वोट मिले थे। उन्होंने निर्दलीय उम्मीदवार गोकुल सेतिया को हराया था, जिन्हें 44,313 वोट मिले थे। चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस में शामिल हुए गोकुल सेतिया को सिरसा से टिकट मिला था।
मुकाबला किसके बीच?
उरी विधानसभा सीट में कुल 13 उम्मीदवार अपनी किस्मत आजमा रहे थे, जिसमें 6 निर्दलीय थे। HLP की तरफ से गोपाल कांडा, कांग्रेस से गोकुल सेतिया, आम आदमी पार्टी से श्याम सुंदर चुनाव लड़े। इनके अलावा लिबरल सोशलिस्ट पार्टी से मनीराम, JNJP से पवन शेरपुरा, बुलंद भारत पार्टी से जयवीर सिंह, जन सेवक क्रांति पार्टी से योगेश अजीब ने चुनाव लड़ा। ओम प्रकाश और सीए दरवेश स्वामी ने निर्दलीय चुनाव लड़ा।
सिरसा में किसका दावा मजबूत?
राज्य के सबसे लोकप्रिय और चर्चित विधानसभा क्षेत्रों में से एक सिरसा सीट पर कड़ी टक्कर देखने को मिली। इस सीट पर भाजपा के चुनाव नहीं लड़ने से सीधा मुकाबला गोपाल कांडा और कांग्रेस के अतुल सेतिया के बीच ही था। HLP पिछले 5 सालों से हरियाणा में बीजेपी की अगुवाई वाली NDA सरकार का समर्थन कर रही थी। हरियाणा की 90 सदस्यीय विधानसभा में सिरसा एकमात्र ऐसी सीट थी, जहां सत्तारूढ़ बीजेपी ने अपना उम्मीदवार नहीं उतारा। 2019 के विधानसभा चुनाव में भी हरियाणा लोकहित पार्टी के गोपाल कांडा ने जीत दर्ज की थी। तब गोकुल सेतिया ने कांडा के खिलाफ निर्दलीय के तौर पर चुनाव लड़ा था। इस बार भी गोकुल सेतिया कांग्रेस उम्मीदवार थे और उन्होंने अपनी पिछली हार का बदला कांडा से ले लिया।
हरियाणा के विधानसभा चुनाव के नतीजों पर पूरे देश की नजर थी। सियासी दलों के अलावा पूरे देश की जनता ये देखना चाहती थी कि हरियाणा की जनता के मन में क्या है और वह किस पार्टी को अपना नेता मानती है। हालांकि अब यह साफ हो गया है कि जनता ने एक बार फिर बीजेपी के हाथों में सूबे की सत्ता सौंपी है।