सिरसाः हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार अभियान जोर पकड़ चुका है। सिरसा विधानसभा सीट पर भी चुनाव प्रचार जोर-शोर से जारी है। सिरसा सीट से 13 उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं। तीन उम्मीदवारों का नामांकन रद्द किया गया था जबकि दो उम्मीदवारों ने अपना पर्चा वापस ले लिया। इनमें बीजेपी उम्मीदवार का नाम भी शामिल है। बीजेपी उम्मीदवार ने कहा था कि वह पार्टी आलाकमान के निर्देश पर नामांकन वापस ले रहे हैं। चुनाव मैदान में मुख्य रूप से हरियाणा लोकहित पार्टी के नेता गोपाल कांडा, कांग्रेस के गोकुल सेतिया, जेजेपी से पवन शेरपुरा और आम आदमी पार्टी के श्याम सुंदर मेहता शामिल हैं।
गोपाल कांडा और गोकुल सेतिया में मुख्य मुकाबला
सिरसा में मुख्य मुकाबला हरियाणा लोकहित पार्टी के उम्मीदवार और पूर्व मंत्री गोपाल कांडा और कांग्रेस प्रत्याशी गोकुल सेतिया के बीच माना जा रहा है। वहीं, जेजेपी और आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार भी मुकाबले को रोचक बनाने की कोशिश कर रहे हैं। गोपाल कांडा और गोकुल सेतिया का घर आमने-सामने है और चुनावी मैदान में भी दोनों आमने-सामने हैं।
2019 में सेतिया ने दी थी कांडा को कड़ी चुनौती
साल 2019 के विधानसभा चुनाव में गोपाल कांडा ने जीत दर्ज की थी। गोकुल सेतिया निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर कांडा के सामने कड़ी चुनौती पेश की थी। 2019 में गोकुल सेतिया बीजेपी में थे लेकिन जब पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दिया तो निर्दलीय लड़ गए। अभी हाल में ही गोकुल सेतिया को भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कांग्रेस में शामिल कराया और टिकट भी उन्हें मिल गया।
गोकुल सेतिया भी राजनीतिक परिवार से आते हैं। वह पूर्व मंत्री और कांग्रेस नेता लछमन दास अरोड़ा के पोते हैं। 2014 के विधानसभा चुनाव से पहले उनका परिवार कांग्रेस से अलग हो गया था। गोकुल की मां सुनीता सेतिया ने तब भाजपा के टिकट पर सिरसा से चुनाव लड़ा था लेकिन हार गईं थीं।
क्यों है कड़ा मुकाबला
हरियाणा लोकहित पार्टी के उम्मीदवार गोपाल कांडा का इनेलो ने आधिकारिक तौर पर समर्थन दिया है। वहीं बीजेपी का उम्मीदवार सिरसा से चुनाव नहीं लड़ रहा है। वहीं, गोपाल सेतिया मजबूती के साथ चुनाव लड़ रहे हैं। उनके बारे में बताया जाता है कि सेतिया पिछला चुनाव बेशक हार गए थे लेकिन क्षेत्र में सक्रिय रहे और लोगों से लगातार मिलते-जुलते भी रहे। गोकुल सेतिया पिछले चुनाव में निर्दलीय के तौर पर मामूली वोट वोट से हार गए थे लेकिन इस बार उन्हें कांग्रेस का कोर वोट भी मिलेगा जोकि पिछले चुनाव में शायद नहीं मिला था। इस बार भी गोकुल सेतिया और गोपाल कांडा के बीच कड़ा मुकाबला देखा जा रहा है।
सिरसा का चुनावी इतिहास
2019 में गोपाल कांडा को 44,915 वोट मिले थे। जबकि निर्दलीय गोकुल सेतिया को 44,313 वोट मिले थे। वहीं बीजेपी को 30 हजार 142 तो कांग्रेस को 10 हजार 111 वोट मिले थे। साल 2014 में सिरसा से इनेलो के मक्खन लाल सिंगला ने चुनाव जीता था। उस दौरान कांडा को 43,635 वोट के साथ दूसरे नंबर पर थे। बीजेपी को 38 हजार से ज्यादा वोट मिले थे। वहीं कांग्रेस करीब 10 हजार वोट पाई थी।
सिरसा में सेतिया परिवार और कांडा परिवार का रहा है दबदबा
2009 के चुनाव में यहां से गोपाल कांडा ने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर जीत दर्ज की थी। वहीं, 2000 और 2005 में गोकुल सेतिया के दादा लछमन दास अरोड़ा ने कांग्रेस के टिकट जीत दर्ज की थी। 1996 में बीजेपी के गणेशी लाल ने जीत दर्ज की थी। वहीं 1991 में लछमन दास अरोड़ा ने कांग्रेस के टिकट पर जीत हासिल की थी। 1987 में हजर चंद ने जीत दर्ज की थी। वहीं 1982 में लछमन दास अरोड़ा ने निर्दलीय के तौर पर जीत दर्ज की थी।