हरियाणा के नूंह जिले में हिंसा के बाद पुलिस दंगाईयों के गिरफ्तारी में जुट गई है। पुलिस ने इस मामले में 188 लोगों की गिरफ्तारी कर चुकी है और अन्य की तलाश में जुट गई है। पुलिस इसी के तहत अब जिले में काम करने आए बाहरी लोगों की आईडी की कंफर्म करने में जुट गई है। जानकारी दे दें कि अधिकारियों द्वारा रोहिंग्याओं की झुग्गी-झोपड़ियों को तोड़े जाने के एक दिन बाद ही पुलिस ने उनका रिकॉर्ड तैयार करना शुरू कर दिया है। साथ ही नूंह पुलिस 31 जुलाई को जिले में हुई हिंसा में उनकी भूमिका की भी चेक कर रही है, बता दें कि इस हिंसा में 6 लोगों की मौत हो गई और 88 घायल हो गए थे।
ड्रोन निगरानी भी शुरू
नूंह के एसपी नरेंद्र बिरजानिया ने कहा, "हम सांप्रदायिक झड़पों में उनकी कथित संलिप्तता के साथ-साथ पूर्ववृत्त को भी वेरीफाई कर रहे हैं।" पिछले हफ्ते नूंह के ताऊरू में तोड़फोड़ अभियान के दौरान, वहां के लोगों ने कहा था कि उनके पास असम और बंगाल की आईडी हैं और उन्होंने सालों पहले नूंह में अपने आशियाने बनाए थे। उन्होंने यह भी दावा किया था कि वे हिंसा में शामिल नहीं हुए थे। जानकारी के मुताबिक, नूंह पुलिस ने आरोपियों का पता लगाने और एविडेंस जुटाने के लिए अरावली पहाड़ियों की ड्रोन से निगरानी भी शुरू कर दी है।
दोषी के खिलाफ सख्त कार्रवाई
एसपी ने आगे कहा, “कानूनी उद्देश्य के लिए आईडी को वेरीफाई करने की जरूरत है। वे दंगों में शामिल थे या नहीं, यह जांच के बाद ही पता चलेगा। जांच के दौरान जो भी दोषी मिलेगा उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। पुलिस ने गांव के सरपंचों से अपील की है कि अगर उन्हें हाल की हिंसा में किसी की संलिप्तता के बारे में जानकारी है तो वे उन्हें पुलिस के सामने सरेंडर करने में मदद कर सकते हैं।'' क्राइम ब्रांच ने गुरुवार को ताऊरू इलाके में एक मुठभेड़ के बाद हाल की अशांति में कथित संलिप्तता के आरोप में दो व्यक्तियों को गिरफ्तार किया। पुलिस ने बताया कि संदिग्धों की पहचान नूंह के गवारका गांव निवासी मुनफेद और सैकुल के रूप में हुई है। पुलिस इस मामले में अब तक दर्ज 57 एफआईआर के करीब 188 आरोपियों को पकड़ चुकी है।
(इनपुट- आईएएनएस)
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