नयी दिल्ली: हरियाणा में अवैध रूप से भूजल निकालने का मामले में राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) अब एक्शन में आ गया है। एनजीटी मे रेवाड़ी जिले के औद्योगिक शहर बावल में ‘मित्सुई किंगजोकू कंपोनेंट्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड’ द्वारा कथित तौर पर अवैध रूप से भूजल निकालने के मामले में एक समिति से तथ्यात्मक रिपोर्ट मांगी है। एनजीटी एक याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें दावा किया गया है कि परियोजना प्रस्तावक (पीपी) केंद्रीय भूजल प्राधिकरण (सीजीडब्ल्यूए) के अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) की शर्तों का उल्लंघन कर रहा है, जिसमें यह निर्दिष्ट किया गया है कि कितनी मात्रा में भूजल निकाला जा सकता है।
याचिका में कहा गया है कि कि सीजीडब्ल्यूए ने पहले ही क्षेत्र को 'अत्यधिक दोहन वाले क्षेत्र' के रूप में वर्गीकृत कर रखा है। एनजीटी के अध्यक्ष जस्टिस ए. के.गोयल की पीठ ने कहा कि याचिका के अनुसार, पिछले साल नवंबर में अधिकरण के पहले के आदेश में सीजीडब्ल्यूए को निर्देश दिया गया था कि वह पीपी द्वारा शर्तों का पालन नहीं किए जाने के संबंध में उपचारात्मक कार्रवाई करे, जिसमें परियोजना लागत के 0.5% के बराबर मुआवजा वसूलना भी शामिल है।
दो महीने के अंदर सौंपनी होगी रिपोर्ट
पीठ ने कहा, “हमें सीजीडब्ल्यूए, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी), राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (पीसीबी) और जिला मजिस्ट्रेट, रेवाड़ी की एक संयुक्त समिति से मामले में तथ्यात्मक रिपोर्ट चाहिए।” पीठ ने कहा कि रिपोर्ट दो महीने के अंदर सौंपी जानी चाहिए। राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड इस मामले में समन्वय और अनुपालन के लिए नोडल एजेंसी होगा। मामले को 10 जुलाई को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध कर दिया गया है।
इनपुट-भाषा