Thursday, November 21, 2024
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हरियाणा के इन जिलों में मोबाइल इंटरनेट सेवा पर फिर बढ़ी पाबंदी, SMS भी नहीं भेज पाएंगे

हरियाणा के अतिरिक्त मुख्य सचिव ने कहा कि राज्य में मौजूदा कानून व्यवस्था की स्थिति की समीक्षा के बाद पाया गया कि अंबाला, कैथल, जींद, हिसार, सिरसा, कुरुक्षेत्र और फतेहाबाद में हालात अब भी तनावपूर्ण बने हुए हैं।

Edited By: Mangal Yadav @MangalyYadav
Updated on: February 20, 2024 8:14 IST
मोबाइल इंटरनेट सेवा पर फिर बढ़ी पाबंदी- India TV Hindi
Image Source : FILE- ANI मोबाइल इंटरनेट सेवा पर फिर बढ़ी पाबंदी

चंडीगढ़ः हरियाणा सरकार ने एक बार फिर से अंबाला, कुरुक्षेत्र, कैथल, जींद, हिसार, फतेहाबाद और सिरसा में मोबाइल इंटरनेट और एक साथ कई मैसेज भेजने पर पाबंदी बढ़ी है। इससे पहले, 13, 15 और 17 फरवरी को मोबाइल इंटरनेट सेवाओं के निलंबन की अवधि को बढ़ाया था। 

एक साथ कई मैसेज भी नहीं भेज पाएंगे

सरकार की तरफ से जारी आदेश के अनुसार, किसानों के ‘दिल्ली चलो’ मार्च के मद्देनजर सात जिलों में मोबाइल इंटरनेट सेवा एवं एक साथ काफी संख्या में ‘एसएमएस’ भेजने पर लगी पाबंदी सोमवार को और एक दिन के लिए बढ़ा दिया गया है। 

मुख्य सचिव ने बताई बैन की वजह

हरियाणा के अतिरिक्त मुख्य सचिव ने कहा कि राज्य में मौजूदा कानून व्यवस्था की स्थिति की समीक्षा के बाद पाया गया कि अंबाला, कैथल, जींद, हिसार, सिरसा, कुरुक्षेत्र और फतेहाबाद में हालात अब भी तनावपूर्ण बने हुए हैं। इंटरनेट सेवाओं का दुरुपयोग कर भड़काऊ सामग्री और अफवाहें फैलाकर इन जिलों में सार्वजनिक संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने तथा कानून-व्यवस्था की समस्या उत्पन्न किये जाने की आशंका है।

हरियाणा-पंजाब बॉर्डर पर डटे हैं किसान

बता दें कि संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी और कर्ज माफी सहित अपनी अन्य मांगों के लिए केंद्र पर दबाव बनाने को लेकर 'दिल्ली चलो' मार्च का नेतृत्व कर रहे हैं। हजारों की संख्या में किसान पंजाब-हरियाणा शंभू बॉर्डर पर डटे हैं। पिछले सप्ताह किसानों की सुरक्षा बलों के साथ झड़पें हुई थीं।

क्या है किसानों की मुख्य मांगे

किसान एमएसपी की कानूनी गारंटी के अलावा स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करने, किसानों और खेत मजदूरों के लिए पेंशन, कृषि ऋण माफी, बिजली दरों में कोई बढ़ोतरी नहीं करने, पुलिस मामलों को वापस लेने , 2021 की लखीमपुर खीरी हिंसा के पीड़ितों के लिए ‘न्याय’, भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 2013 बहाल करने और 2020-21 के आंदोलन के दौरान मारे गए किसानों के परिवारों को मुआवजा देने की मांग कर रहे हैं।

इनपुट-भाषा 

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