हरियाणा में संपन्न हुए विधानसभा चुनाव के नतीजे मंगलवार को आएंगे। उससे पहले एग्जिट पोल के आंकड़ों से कांग्रेस पार्टी गदगद है। इस बीच, इस बात को लेकर अटकलें तेज हो गई हैं कि कांग्रेस की जीत की स्थिति में मुख्यमंत्री कौन बनेगा? इस पद के दोनों प्रमुख दावेदारों भूपेंद्र सिंह हुड्डा और कुमारी शैलजा ने सोमवार को यह साफ किया कि अंतिम फैसला आलाकमान को करना है। हुड्डा और शैलजा ने यह भी कहा कि कांग्रेस आलाकमान का फैसला उन्हें मंजूर होगा।
दरअसल, मतगणना से पहले ये हुड्डा और शैलजा ये दोनों नेता मीडिया से मुखातिब हुए और मुख्यमंत्री पद के लिए अपनी सीधी दावेदारी पेश करने से बचते हुए गेंद आलाकमान के पाले में डालते दिखें। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने एक बार फिर दोहराया कि वह न तो ‘टायर्ड’ हैं और न ही ‘रिटायर्ड’ हैं। हुड्डा ने संवाददाताओं से बातचीत में यह भी कहा कि मुख्यमंत्री पद को लेकर कांग्रेस आलाकमान के फैसले को पार्टी के सभी नेता मानेंगे। कांग्रेस महासचिव कुमारी शैलजा ने हरियाणा विधानसभा चुनाव के नतीजों की घोषणा से एक दिन पहले सोमवार को कहा कि मुख्यमंत्री पद के लिए दावा कोई भी कर सकता है, लेकिन इसका फैसला आखिरकार पार्टी आलाकमान को ही करना है। उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस आलाकमान पार्टी के हित को भी ध्यान में रखते हुए फैसला करेगा और यह निर्णय सबको मानना होगा।
हुड्डा और शैलजा के इर्द-गिर्द सिमटी चर्चा
शैलजा पिछले दिनों मुख्यमंत्री पद के लिए दावा पेश कर चुकी हैं। हुड्डा और शैलजा के साथ ही कांग्रेस महासचिव रणदीप सुरजेवाला भी कुछ हफ्ते पहले तक मुख्यमंत्री पद की रेस में शामिल थे, लेकिन अब चर्चा हुड्डा और शैलजा के इर्द-गिर्द ही सिमट कर रह गई है। कांग्रेस आलाकमान के लिए हुड्डा और शैलजा में से किसी एक को चुनना बड़ी चुनौती होगी, क्योंकि दोनों के साथ अपने-अपने राजनीतिक समीकरण और दूरगामी निहितार्थ जुड़े हैं। जाट समुदाय से आने वाले हुड्डा हरियाणा में कांग्रेस के सबसे बड़े नेता के रूप में देखे जाते हैं। संगठन, कार्यकर्ताओं से जुड़ाव, लोकप्रियता, प्रशासनिक अनुभव और राजस्थान एवं हरियाणा में जाट समुदाय का कांग्रेस के प्रति झुकाव, कुछ ऐसे फैक्टर हैं, जो हुड्डा की दावेदारी को प्रबल बनाते हैं।
साधारण बहुमत मिला तो कौन होगा CM?
दूसरी तरफ लोकसभा चुनाव में दलित समुदाय के एक बड़े हिस्से का कांग्रेस को समर्थन, राहुल गांधी द्वारा सामाजिक न्याय एवं संविधान के प्रति बार-बार प्रतिबद्धता जताना, दलित महिला को मुख्यमंत्री बनाने के राष्ट्रव्यापी संदेश, कुछ ऐसे कारक हैं, जो कुमारी शैलजा की दावेदारी को पुख्ता बनाते हैं। कांग्रेस में मुख्यमंत्री पद को लेकर पेंच फंसने पर अतीत में कई बार ऐसा भी देखा गया कि कोई छुपा रुस्तम सामने आ गया। हाल-फिलहाल में यह पंजाब में देखा गया था, जब पार्टी ने तीन साल पहले दलित नेता चरणजीत सिंह चन्नी को मुख्यमंत्री बनाया था। राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि कांग्रेस आलाकमान के मनमाफिक फैसले के लिए यह भी जरूरी है कि कांग्रेस को प्रचंड बहुमत मिले, क्योंकि पार्टी को साधारण बहुमत मिलता है, तो फिर हुड्डा का पलड़ा भारी हो सकता है, क्योंकि उम्मीदवारों में उनके समर्थकों की संख्या अधिक मानी जाती है। (भाषा इनपुट के साथ)
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