हरियाणा ने पराली जलाने के मामले में पंजाब सरकार के दावे की पोल खोल दी है। दरअसल, हरियाणा सरकार ने नासा की सैटेलाइट इमेज जारी की है, जिसमें पंजाब में हरियाणा से दोगुने से भी ज्यादा पराली जलाने के मामले दिख रहे हैं। वहीं, नासा की इमेज में हरियाणा में पंजाब से आधे एक्टिव फायर के केस दिख रहे हैं। हालांकि, पंजाब में कम पराली जलाने का दावा लगातार किया जा रहा है।
क्या है पंजाब सरकार का दावा?
पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान के नेतृत्व वाली आप सरकार का दावा है कि राज्य में धान की पराली जलाने की समस्या के समाधान के लिए कई अहम कदम उठाए गए हैं। इसके लिए सरकार की ओर से आंकड़े भी जारी किए गए हैं। पंजाब सरकार ने दावा किया है कि साल 2022 में सितंबर-अक्टूबर के दौरान 5798 पराली जलाने की घटनाएं दर्ज की गईं, जो कि 2023 में इन महीनों में घटकर 2704 हो गई है। यह कमी करीब 53 फीसदी है।
इन वजहों केस कम होने के दावे
31 लाख हेक्टेयर में धान की खेती करने वाला राज्य पंजाब 20 मिलियन टन धान का भूसा पैदा करता है। इस चुनौती से निपटने के लिए पंजाब सरकार की ओर से दावा किया गया कि इन-सीटू (ऑन-फील्ड) और एक्स-सीटू (ऑफ-फील्ड) धान के भूसे प्रबंधन में पहल को लागू किया। इन-सीटू प्रबंधन पहल में किसान समूहों के लिए 8 फीसदी सब्सिडी और व्यक्तिगत किसानों के लिए 50 फीसदी सब्सिडी पर फसल अवशेष प्रबंधन (सीआरएम) मशीनों का प्रावधान शामिल है।
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पंजाब में 1.35 लाख सीआरएम मशीनें
सितंबर में कटाई के मौसम से काफी पहले राज्य ने 24,000 मशीनों की खरीद को मंजूरी दे दी, जिनमें से 16,000 मशीनें पहले से ही किसानों के उपयोग में है। प्रत्येक ब्लॉक में कस्टम हायरिंग सेंटर की स्थापना के लिए जिलों को 7.15 करोड़ का आवंटन किया गया, जिससे यह सुनिश्चित किया गया कि छोटे और सीमांत किसानों को सीआरएम मशीनें मुफ्त प्रदान की जाएं। वर्तमान में राज्य में 1.35 लाख सीआरएम मशीनें हैं और उनके उपयोग को अधिकतम करने के लिए ठोस प्रयास चल रहे हैं।
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