Haryana Assembly Elections 2024: हरियाणा विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच गठबंधन को लेकर चल रही बातचीत अब टूट की कगार तक पहुंच चुकी है। सूत्रों के मुताबिक दोनों दलों के बीच सीटों को लेकर सहमित नहीं बन पा रही है। ऐसी स्थिति में आम आदमी पार्टी ने फैसला लिया है कि वह हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए 50 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। पार्टी रविवार को अपने उम्मीदवारों की पहली लिस्ट जारी कर देगी। वहीं सूत्रों के मुताबिक अगले एक से दो दिनों में कांग्रेस और बीजेपी के कई नेता आम आदमी पार्टी में शामिल होंगे।
कांग्रेस 10 सीटें देने को तैयार नहीं
सूत्रों के मु्ताबिक हरियाणा में आम आदमी पार्टी 10 सीटें मांग रही थी जबकि कांग्रेस आम आदमी पार्टी को 10 सीटें देने को तैयार नहीं है। आम आदमी पार्टी के सूत्रों का कहना है कि पार्टी को कांग्रेस का फॉर्मूला मंजूर नहीं है। हरियाणा में नामांकन भरने की आखिरी तारीख 12 सितंबर है।
लोकसभा चुनाव दोनों ने साथ मिलकर लड़ा था
दरअसल, हाल में संपन्न लोकसभा चुनाव में कांग्रेस और आप ने हरियाणा में भी गठबंधन के साथ चुनाव लड़ा था। कांग्रेस ने राज्य की 10 में से 9 लोकसभा सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे थे जबकि आम आदमी पार्टी के हिस्से में केवल कुरुक्षेत्र की लोकसभा सीट आई थी।हरियाणा में विधानसभा की कुल 90 सीटें हैं। आम आदमी पार्टी लोकसभा चुनाव की तरह 9:1 के फॉर्मूले पर विधानसभा चुनाव में कुल 10 सीटें चाहती है। लेकिन कांग्रेस पार्टी को यह फॉर्मूला मंजूर नहीं है। इसलिए सीट शेयरिंग पर पेंच फंसा हुआ् है और बातचीत लगभग टूट की कगार पर है।
उम्मीद कायम है-राघव चड्ढा
हरियाणा में आप और कांग्रेस के गठबंधन पर प्रतिक्रिया देते हुए आम आदमी पार्टी (आप) के नेता और राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा ने कहा, "देखिए, अभी बातचीत चल रही है। हमें उम्मीद है कि देशहित में, राष्ट्रहित में और हरियाणा के हित में निश्चित रूप से गठबंधन होगा। हम उस दिशा में हरसंभव प्रयास कर रहे हैं।" हरियाणा में गठबंधन में देरी होने के सवाल पर राघव चड्ढा ने कहा, ''चर्चाएं चल रही हैं, इस पर बॉल बाय बॉल कमेंट्री नहीं हो सकती है। उम्मीद कायम है।''
हरियाणा में 'आप' और कांग्रेस के बीच गठबंधन पर जारी चुप्पी को लेकर सियासी जानकार तरह-तरह के दावे भी कर रहे हैं। सियासी जानकारों का मानना है कि लोकसभा चुनाव के दौरान दिल्ली में 'आप' और कांग्रेस पार्टी ने गठबंधन करके चुनाव लड़ा था। दोनों दलों ने दावा किया था कि दिल्ली की सभी सात सीटों पर जीत निश्चित है। हालांकि, चुनावी नतीजों में सभी सात सीटों पर भाजपा के प्रत्याशियों ने कब्जा जमा लिया। इसके तुरंत बाद कांग्रेस और 'आप' के बीच गठबंधन खत्म होने का ऐलान भी कर दिया गया।