गुरुग्राम: डायबिटिक बच्ची के माता-पिता ने आरोप लगाया है कि गुरुग्राम के मैक्स अस्पताल के डॉक्टरों ने सर्जरी के बाद लड़की के गले में करीब 8 से 10 इंच की पट्टी छोड़ दी थी। बच्ची की उम्र 8 बताई गई है। माता-पिता ने अस्पताल के खिलाफ सेक्टर-29 पुलिस स्टेशन में शिकायत भी दर्ज कराई है। इसके बाद गुरुग्राम में जिला स्वास्थ्य अधिकारियों ने एक मेडिकल बोर्ड का गठन किया। मामले की जांच हो रही है।
'दिक्कत होने पर अस्पताल लाने की भी सलाह दी गई थी'
परिजनों का आरोप है कि अस्पताल की ओर से इस तरह की लापरवाही से उनकी बेटी के गले में दर्द हुआ। आरोपों का खंडन करते हुए मैक्स अस्पताल के एक प्रवक्ता ने अपने बयान में कहा कि 30 जनवरी को मैक्स अस्पताल, गुरुग्राम में एंडोस्कोपिक एडेनोइडेक्टोमी के साथ टॉन्सिल्लेक्टोमी के लिए 8 वर्षीय एक मरीज का ऑपरेशन किया गया था। अस्पताल के प्रवक्ता ने कहा, "यह एक सामान्य क्लिनिकल चरण है। मरीज के परिवार को पांच दिनों के बाद आगे के चरण को पूरा करने सलाह दी गई थी, इसमें पट्टी को हटाया जाना था। इस दौरान किसी भी तरह की दिक्कत होने पर मरीज को अस्पताल लाने की भी सलाह दी गई थी।
मरीज के इलाज में कोई कमी नहीं मिली: समिति
बच्ची को 5वें दिन फॉलो-अप के लिए डॉ. विशेष मल्होत्रा के क्लिनिक में लाया गया, जहां डॉक्टर ने पट्टी हटाई। इस मुलाकात में परिजनों ने बच्ची के इलाज को लेकर चिंता जताई। प्रवक्ता ने कहा, "अस्पताल ने तुरंत मामले के डॉक्टरों की एक टीम की समीक्षा की। इसके बाद मरीज के परिवार को अस्पताल आने और टीम से मिलने के लिए कहा। वे योजना के मुताबिक अस्पताल नहीं गए। समिति को पहली नजर में मरीज के इलाज में कोई कमी नहीं मिली। मैक्स अस्पताल, गुरुग्राम इलाज में कमी के किसी भी आरोप से इनकार किया है।
'अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद गले में तेज दर्द शुरू हुआ'
पुलिस से की शिकायत में माता-पिता ने कहा, "सर्जरी 30 जनवरी को हुई थी और अगले दिन अस्पताल से छुट्टी मिलने के तुरंत बाद उसके गले में तेज दर्द शुरू हो गया। जब हमने डॉक्टर से कॉन्टैक्ट किया, तो हमें बताया गया कि कुछ भी नहीं है।" शिकायत में उन्होंने डॉ. विशेष मल्होत्रा का नाम लिया, जिनसे वे 6 फरवरी को फिर मिले, जब उन्होंने मेडिकल गेज को हटा दिया और केवल नर्सिंग स्टाफ को दोषी ठहराया।
'डिस्चार्ज नोट में पट्टी कब हटाया जाना चाहिए, जिक्र नहीं'
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि अस्पताल के डिस्चार्ज नोट में पट्टी या इसे कब हटाया जाना चाहिए, इसका कोई जिक्र नहीं है। पिता ने बताया कि जब हमने डॉक्टर से इस लापरवाही के बारे में पूछा, तो उन्होंने नर्सिंग स्टाफ को दोषी ठहराया। उन्होंने कहा कि जब हमें पता चला कि डॉक्टर मल्होत्रा और उनकी टीम सर्जरी के बाद मेरी बेटी के गले में पट्टी का टुकड़ा भूल गई है, तो हम हैरान रह गए। गुरुग्राम के मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ. वीरेंद्र यादव ने कहा कि शिकायत को आगे की जांच के लिए मेडिकल बोर्ड फॉर नेग्लिजेंस को भेज दिया गया है।
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