करनाल: आपने भी सुना होगा कि मेहनत रंग लाती है। आप बस लगन से संघर्ष करो और उसका फल आपको जरूर मिलेगा। करनाल के एक छोटे से परिवार आने वाले 2 साइंटिस्ट्स ने देश सिर गर्व से ऊंचा कर दिया है। करनाल छोटे से परिवार से आने वाले दीपांशु गर्ग और उनकी पत्नी व इसरो की टीम ने चंद्रयान-3 की चांद पर सफल लैंडिंग कराकर एक मिसाल कायम की है। दीपांशु गर्ग का परिवार करनाल के कलेंदरी गेट पर रहता है। परिवार ने बताया कि दीपांशु का बचपन संघर्ष में ही बीता है। दिपांशु के पिता एक कपड़े की दुकान पर काम करते थे और मां घर पर रहती थी। मां की तबियत खराब रहती थी, लेकिन पढ़ाई से लेकर हर क्षेत्र में दीपांशु अच्छे नंबर लेकर आता था। एक वक्त ऐसा भी था कि दीपांशु के परिवार के पास किताबों के लिए पैसे नहीं होते थे तो उनके चाचा किताबें दिलवाने में उसकी मदद करते थे।
कुछ अलग करने की चाह ने किया कमाल
दीपांशु ने अपनी स्कूलिंग करनाल से ही पास की। उसके बाद इंजीनियरिंग की और प्राइवेट नौकरी शुरू कर दी, पर दीपांशु के कुछ अलग करने की चाह ने उसे इस मुकाम पर पहुंचा दिया। वो ऐसा कुछ करने की जरूरत में लगा हुआ था जो उसके आस पास किसी ने नही किया था और उसके लिए वो नौकरी के साथ पढ़ाई करता रहता था। उसने ISRO का एग्जाम दिया और वहां उसे सफलता मिली और ISRO की टीम में उसने जगह बनाई, करीब 2017 में उसने इसरो में ज्वाइन किया , और वहीं पर ISRO में काम कर रही वैज्ञानिक ऐश्वर्या से उनकी शादी हुई। दोनों इसरो की उस टीम में काम कर रहे थे जिसने चंद्रयान-3 को चांद पर भेजा है।
चंद्रयान-2 असफलता पर हुए थे निराश
जब चंद्रयान-2 असफल हुआ तब दीपांशु व उनकी पत्नी काफ़ी निराश भी हुए, लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और उनकी मेहनत रंग लाई और चंद्रयान-3 चांद पर बिल्कुल सफल लैंड हुआ। उनके पिता और माता उनके साथ वहीं रहते हैं, परिवार के बाकी लोगों ने उनसे बात भी की और यह उनके लिए खुशी का पल भी था। वहां से दोनों की तस्वीरें भी सामने आई। उनके परिवार के सदस्यों ने बताया कि अब उनकी टीम एक और मिशन के काम पर लग जाएगी। आज परिवार में खुशी है। मिठाई बांटी जा रही व केक काटा जा रहा है।
(रिपोर्ट- अमित भटनागर)