हरियाणा में विधानसभा चुनाव के लिए तारीखों का ऐलान हो गया है। इसके साथ ही सभी पार्टियां चुनाव की तैयारियों में जुट गई हैं। राज्य में एक ही चरण में 1 अक्टबूर को वोट डाले जाएंगे। नतीजे 4 अक्टूबर को घोषित होंगे। बता दें कि भाषाई आधार पर पंजाब से अलग होकर 1966 में हरियाणा एक अलग राज्य बना था। इसके बाद 1967 में विधानसभा के चुनाव हुए थे।
चुनावी अखाड़े में रिकॉर्ड प्रत्याशी
अब तक हुए हर चुनाव में प्रत्याशियों के आंकड़े घटते-बढ़ते रहे हैं, लेकिन एक दिलचस्प आंकड़ा ऐसा है जो अब तक नहीं टूटा है। दरअसल, साल 1996 में हुए 8वें विधानसभा चुनाव में उतरे प्रत्याशियों की संख्या अब तक रिकॉर्ड है। इस विधानसभा चुनाव में कुल 2608 कैंडिडेट चुनाव मैदान में उतरे थे, जो एक रिकॉर्ड है। यह रिकॉर्ड अब तक बरकरार है। इस साल 2381 उम्मीदवारों की जमानत जब्त हुई थी।
बीजेपी 10 साल से सत्ता में काबिज
2019 के विधानसभा चुनाव में हरियाणा की 90 सीटों में से बीजेपी 40 सीटें जीतीं थी। लगातार 10 साल से बीजेपी हरियाणा की सत्ता में काबिज है। तीसरी बार सत्ता में वापसी की उम्मीद कर रही है। हालांकि, इस बार बीजेपी के सामने कई चुनौतियां हैं, जिनको पार पाना आसान नहीं है। सत्ता विरोध लहर के मद्देनजर बीजेपी ने कुछ माह पहले मुख्यमंत्री का चेहरा बदलकर खुद को फिर से मैदान में लाने की कोशिश की है।
कैसा रहा लोकसभा चुनाव का प्रदर्शन?
हाल के लोकसभा चुनावों में हरियाणा में विपक्षी वोटों के एकजुट होने से बीजेपी की सीटों की संख्या घटकर 5 रह गई और बाकी सीटें कांग्रेस के खाते में चली गईं। पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा ने राज्य में सभी 10 सीट पर जीत हासिल की थी। हालांकि, सत्तारूढ़ पार्टी के नेताओं को उम्मीद है कि अब छोटी पार्टियां अधिक वोट हासिल करेंगी, जैसा कि अक्सर विधानसभा चुनावों में होता है। वहीं, कांग्रेस नेताओं को विश्वास है कि 1 अक्टूबर को होने वाले राज्य विधानसभा चुनावों में राष्ट्रीय मुद्दों की अनुपस्थिति में भाजपा से दूरी रखने वाले मतदाताओं की लामबंदी और तेज होगी।
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