Thursday, July 04, 2024
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हरियाणा के सरकारी स्कूलों में 4 लाख फर्जी छात्र, CBI ने दर्ज की FIR, जानें पूरा मामला

हरियाणा के सरकारी स्कूलों में बड़ी संख्या में फर्जी छात्रों के पाए जाने का मामला 8 साल पुराना है। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के आदेश पर ये जांच सीबीआई को सौंपी गई है। सीबीआई ने इस मामले में जांच करते हुए 7 लोगों पर FIR दर्ज की है।

Edited By: Dhyanendra Chauhan @dhyanendraj
Updated on: June 29, 2024 7:51 IST
CBI ने शुरू की जांच- India TV Hindi
Image Source : FILE PHOTO CBI ने शुरू की जांच

हरियाणा के स्कूलों में बड़ी संख्या में फर्जी छात्रों के एडमिशन कराए जाने के मामले में जांच चल रही है। केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने हरियाणा के सरकारी स्कूलों में 2016 में चार लाख फर्जी छात्रों के मामले में शुक्रवार को एफआईआर दर्ज की है। अधिकारियों ने बताया कि पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के आदेश पर 2 नवंबर, 2019 को मामला सीबीआई को सौंप दिया गया था। 

याचिका खारिज होने के बाद CBI ने दर्ज की FIR

इस मामले में सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। सुप्रीम कोर्ट में सीबीआई ने दावा किया था कि जांच के लिए बड़ी संख्या में लोगों की जरूरत पड़ सकती है। यह जांच राज्य पुलिस को सौंपी जानी चाहिए। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी, जिसके बाद सीबीआई ने एफआईआर दर्ज की।

इसलिए की गई हेराफेरी !

हाई कोर्ट को 2016 में बताया गया था कि आंकड़ों के सत्यापन से पता चला है कि सरकारी स्कूलों में विभिन्न कक्षाओं में 22 लाख छात्र थे, लेकिन वास्तव में केवल 18 लाख छात्र ही पाए गए और चार लाख फर्जी दाखिले हुए थे। कोर्ट को यह भी बताया गया कि समाज के पिछड़े या गरीब तबके के छात्रों को स्कूल और मिड डे मील योजना में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए कुछ लाभ दिए जा रहे हैं।

कोर्ट ने कार्रवाई करने के दिए थे आदेश

हाई कोर्ट ने राज्य सतर्कता को 4 लाख अनुपलब्ध छात्रों के लिए धन की संदिग्ध हेराफेरी की जांच के लिए एक वरिष्ठ अधिकारी नियुक्त करने का आदेश दिया था। पीठ ने जिम्मेदारी तय करने और दोष सिद्ध होने पर कार्रवाई करने का आदेश दिया था।

दर्ज की गईं 7 FIR 

 

बता दें कि सतर्कता ब्यूरो की सिफारिशों पर राज्य में 7 एफआईआर दर्ज की गईं। अपने 2019 के आदेश में हाई कोर्ट ने कहा था कि इस मामले में एफआईआर दर्ज होने के बाद भी जांच बहुत धीमी है। इसके बाद कोर्ट ने उचित, गहन और त्वरित जांच के लिए केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) को इन्क्वायरी सौंप दी। कोर्ट ने राज्य सतर्कता को 2 नवंबर, 2019 को अपने आदेश के एक सप्ताह के भीतर सभी दस्तावेज सौंपने को कहा था और सीबीआई को तीन महीने के भीतर स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने को कहा था।

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