पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट का एक फैसला काफी सुर्खियों में है। नगर निगम को दोषी ठहराते हुए पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने 53 वर्षीय एक व्यक्ति की विधवा और बच्चों को 4 लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया है। पांच साल पहले एक पेड़ उसके ऑटो-रिक्शा पर गिर गया था। इस कारण ऑटो रिक्शा के ड्राइवर की मौत हो गई थी।
नगर निगम ने पेड़ों की सही से नहीं की देख-रेख
हाई कोर्ट के जज विनोद एस भारद्वाज की खंडपीठ ने कहा कि पेड़ मृतक नरेश कुमार पर गिर गया। उसकी असामयिक मृत्यु हो गई। चंडीगढ़ नगर निगम यह साबित करने में विफल रहा कि पेड़ों की उचित तरीके से छंटाई की गई थी। जान-माल के लिए खतरा पैदा करने वाली शाखाओं को नहीं हटाया गया था। नगर निगम की इस चूक के कारण यह घटना घटी। इसलिए याचिकाकर्ताओं को 4 लाख रुपये का अंतरिम मुआवजा देना होगा।
दो महीने के अंदर दिया जाए मुआवजा
इसके साथ ही कोर्ट के आदेश में कहा गया कि अंतरिम मुआवजा इस आदेश की प्रमाणित प्रति प्राप्त होने की तारीख से दो महीने की अवधि के भीतर याचिकाकर्ताओं को दिया जाए। ऐसा न करने पर याचिकाकर्ता याचिका दायर करने की तारीख से राशि पर 6 प्रतिशत प्रति साल की दर से ब्याज पाने के हकदार होगा।
इस बीच हाई कोर्ट ने स्पष्ट किया कि चंडीगढ़ नगर निगम को अंतिम रूप से दी गई राशि में से अंतरिम मुआवजे की मूल राशि को अलग करने का अधिकार होगा, लेकिन यदि कोर्ट द्वारा निर्धारित मुआवजा आदेशित अंतरिम मुआवजे से कम है तो कोई वसूली नहीं होगी।
25 लाख रुपये के मुआवजे की थी मांग
बदा दें कि हाई कोर्ट का यह आदेश उषा और उसके बच्चों द्वारा दायर याचिका पर पारित किया गया, जिसमें नगर निगम की ओर से लापरवाही के कारण उसके पति नरेश कुमार की मृत्यु के लिए 25 लाख रुपये के मुआवजे की मांग की गई थी।
जुलाई 2019 में पेड़ गिरने से हुई थी मौत
याचिका में कहा गया है कि 53 वर्षीय कुमार चंडीगढ़ के सेक्टर-37 स्थित सरकारी स्कूल के बाहर खड़े होकर उन बच्चों का इंतजार कर रहे थे जिन्हें वे घर से स्कूल लाते-ले जाते थे। 11 जुलाई, 2019 को दोपहर 1.30 से 2 बजे के बीच जब ऑटो-रिक्शा चालक अपने तिपहिया वाहन में स्कूल के सामने बच्चों का इंतजार कर रहा थे, तभी एक पेड़ उसके ऑटो पर गिर गया। इससे उसके सिर पर चोटें आईं। उसे तुरंत चंडीगढ़ के सेक्टर 16 स्थित सरकारी मल्टी स्पेशियलिटी अस्पताल ले जाया गया। उसकी हालत गंभीर होने के कारण उसे चंडीगढ़ के पीजीआईएमईआर रेफर कर दिया गया, लेकिन वहां पहुंचने पर उसे मृत घोषित कर दिया गया।
मृतक की पत्नी ने कहा, नगर निगम की थी लापरवाही
मृतक की पत्नी ने दलील दी कि उनके पति की मृत्यु अप्रत्याशित घटना के कारण हुई है। इसमें उनकी ओर से कोई लापरवाही नहीं थी, बल्कि यह पूरी तरह से चंडीगढ़ नगर निगम की लापरवाही के कारण हुई है।