अंबाला: चंडीगढ़ को लेकर पंजाब-हरियाणा के बीच सियासी घमासान छिड़ गया है। यहां तक कि चंडीगढ़ के मुद्दे पर हरियाणा और पंजाब के बीजेपी नेता भी आमने-सामने हैं। पंजाब के बीजेपी नेता सुनील जाखड़ और पंजाब के मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने जहां चंडीगढ़ पर पंजाब का हक बताया है वहीं, हरियाणा के मंत्री और सीनियर बीजेपी नेता अनिल विज ने कहा कि चंडीगढ़ पर हरियाणा का भी हक है।
अनिल विज ने पंजाब से मांगा हिंदी भाषी क्षेत्र और SYL का पानी
कैबिनट मंत्री अनिल विज ने पंजाब द्वारा चंडीगढ़ पर दावा जताए जाने पर कहा कि उन्हें गलतफहमी है, उन्हें पंजाब और हरियाणा का इतिहास नहीं पता है। चंडीगढ़ पंजाब का तभी हो सकता है जब हिंदी भाषी क्षेत्र हरियाणा को मिल जाएं। हमें SYL का पानी मिले, अन्यथा तब तक चंडीगढ़ जितना उनका है उतना ही हमारा भी है।
विज बोले- पहले बंटवारे का एग्रीमेंट लागू करें
इससे पहले चंडीगढ़ का मामला हरियाणा विधानसभा में भी गूंजा। सदन से बाहर निकले पर अनिल विज ने कहा कि जब तक पंजाब हिंदी क्षेत्र हरियाणा को वापस नहीं दे देगा तब तक हरियाणा का हक चंड़ीगढ़ पर बना रहेगा। विज ने कहा कि पंजाब-हरियाणा बंटवारे पर बना एग्रीमेंट को पंजाब सरकार लागू करे। उन्होंने आरोप लगाया कि पंजाब के नेता राजनीति के लिए इस तरह की बयानबाजी कर रहे हैं।
क्यों दोनों राज्य हैं आमने-सामने
बता दें कि पंजाब और हरियाणा की संयुक्त राजधानी चंडीगढ़ में हरियाणा का नया विधानसभा परिसर स्थापित करने के कदम ने क्षेत्र में एक राजनीतिक विवाद खड़ा कर दिया है। पंजाब के राजनीतिक दलों ने इस कदम की निंदा करते हुए कहा है कि यह पंजाब की मांगों और भावनाओं का अपमान है। केंद्र शासित प्रदेश ने पिछले साल हरियाणा को अपनी विधानसभा स्थापित करने के लिए 10 एकड़ जमीन की पेशकश की थी। यह तब जोर पकड़ा जब कथित तौर पर केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने कथित तौर पर परिसर के लिए 10 एकड़ जमीन के बदले में हरियाणा सरकार द्वारा चंडीगढ़ प्रशासन को दी गई 12 एकड़ जमीन के लिए पर्यावरण मंजूरी दे दी।
दरअसल, यह मुद्दा विवादास्पद है क्योंकि पंजाब ने हमेशा चंडीगढ़ पर दावा किया है। आंदोलन के बाद 1966 में पंजाब का विभाजन हुआ था। संसद ने 1966 में एक कानून पारित किया जिसके तहत हरियाणा अस्तित्व में आया और चंडीगढ़ को संयुक्त राजधानी और अस्थायी केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया।
इनपुट- एएनआई