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788 ट्रेनों पर किसान आंदोलन का असर, 352 कैंसिल, कई के रूट बदले

किसान अपनी मांग को लेकर लंबे समय से प्रदर्शन कर रहे हैं। अंबाला मंडल में रेल रुकने से अब तक 788 ट्रेन प्रभावित हुई हैं। इस वजह से लोगों को खासी परेशानी झेलनी पड़ रही है। कई ट्रेनों का रूट अब अंबाला की बजाय चंडीगढ़ कर दिया गया है।

Edited By: Shakti Singh
Published on: April 22, 2024 13:21 IST
Kisan Rail roko andolan- India TV Hindi
Image Source : ANI पटरी पर बैठे किसान

किसानो के रेल रोको आंदोलन के चलते अंबाला मंडल से गुजरने वाली 788 ट्रेनें प्रभावित हुई हैं। 152 मेल एक्सप्रेस और 200 पैसेंजर ट्रेन मिलाकर कुल 352 ट्रेनें रद्द की जा चुकी है। कई ट्रेनें शॉर्ट टर्मिनेट हुई हैं और आधे रास्ते में ही उन्हें रद्द कर दिया गया। इससे यात्रियों की परेशानी और बढ़ गई है, क्योंकि उनके पास कहीं और जाने के लिए ट्रेनों का विकल्प नहीं है। कई ट्रेनों के रूट बदले गए हैं, जो चंडीगढ़ से होकर पंजाब व जम्मू जा रही हैं। रेल अधिकारी के अनुसार ट्रेनों के प्रभावित होने का आंकड़ा लगातार बढ़ रहा है। अंबाला रेलवे स्टेशन पर यात्रियों की भीड़ जमा हो चुकी है। लम्बी दूरी के यात्री अपने छोटे बच्चों के साथ स्टेशन पर ही रुकने को मजबूर है। इससे यात्रियों की परेशानी बढ़ रही हैं और स्टेशन में भी अव्यवस्था फैल रही है।

प्लेटफॉर्म पर सो रहे यात्री

ट्रेनों के रद्द होने से आम लोगों की परेशानी बढ़ गई है। बड़ी संख्या में लोगों को प्लेटफॉर्म पर ही सोते हुए देखा जा सकता है। कई लोग घंटो से रेल का इंतजार कर रहे हैं। अंबाला रेलवे स्टेशन पर यात्रियों की भीड़ लग गई है। कई ट्रेनों को शॉर्ट टर्मिनेट किया गया है। इससे सफर करने वाले यात्रियों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। आलम ये है की स्टेशन पर लोगों को बैठने की जगह नहीं मिल रही है।

क्यों आंदोलन कर रहे हैं किसान?

केंद्र सरकार ने किसानों से फसलों की खरीद से जुड़े कानून में बदलाव करने के लिए कृषि बिल पेश किया था। इस बिल के जरिए हो रहे बदलावों से किसान खुश नहीं थे। इस वजह से आंदोलन की शुरुआत हुई। पहले सिर्फ पंजाब हरियाणा के किसान सड़क पर थे, लेकिन बाद में अन्य राज्यों के किसान भी इसमें शामिल हुए और सरकार को यह बिल वापस लेना पड़ा। इसके बाद किसानों का आंदोलन रुका, लेकिन कुछ समय बाद फिर किसान सड़कों पर आ गए। किसानों की मांग उन किसानों को जेल से छोड़ने की है, जिन्हें आंदोलन के दौरान गिरफ्तार किया गया था। किसान चाहते हैं कि स्वामीनाथन आयोग की सिफारिश के अनुसार न्यूनतम समर्थन मूल्य के कानून बनाए जाएं। किसानों का कर्ज माफ किया जाए और आंदोलन में जिन किसानों की जान गई है। उनके परिवार को मुआवजा देने के साथ किसी एक सदस्य को नौकरी भी दी जाए।

(अंबाला से कृष्ण बाली की रिपोर्ट)

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