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Yashwant Sinha| देश में अघोषित आपातकाल है, नाममात्र का राष्ट्रपति संविधान नहीं बचाएगा : सिन्हा

Yashwant Sinha: यशवंत सिन्हा, 18 जुलाई को होने जा रहे राष्ट्रपति चुनाव से पहले गुजरात में कांग्रेस विधायकों का समर्थन मांगने के लिए गए थे। उन्होंने कहा कि नाममात्र का (Rubber Stamp) राष्ट्रपति संविधान को बचाने की कभी कोशिश नहीं करेगा।

Edited By: Akash Mishra
Published on: July 08, 2022 18:50 IST
Yashwant Sinha(File Photo)- India TV Hindi
Image Source : PTI Yashwant Sinha(File Photo)

Highlights

  • आज, संवैधानिक मूल्य और प्रेस सहित लोकतांत्रिक संस्थाएं खतरे में हैं: सिन्हा
  • 'देश में वर्तमान में अघोषित आपातकाल है'
  • 'मुर्मू छह साल झारखंड की राज्यपाल रही थीं, इससे वहां आदिवासियों के जीवन में बदलाव नहीं आया'

Yashwant Sinha: राष्ट्रपति चुनाव में विपक्षी दलों के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा ने शुक्रवार को कहा कि संवैधानिक मूल्य (वैल्यू) और लोकतांत्रिक संस्थाएं देश में खतरे का सामना कर रही हैं। उन्होंने आगे कहा कि नाममात्र का (Rubber Stamp) राष्ट्रपति संविधान को बचाने की कभी कोशिश नहीं करेगा। सिन्हा, 18 जुलाई को होने जा रहे राष्ट्रपति चुनाव से पहले गुजरात में कांग्रेस विधायकों का समर्थन मांगने के लिए गए थे। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि इस चुनाव में उनके और BJP नीत NDA की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू के बीच मुकाबला सिर्फ इस बारे में नहीं है कि अगला राष्ट्रपति कौन बनेगा। सिन्हा ने कहा, "यह लड़ाई अब एक कहीं अधिक बड़ी लड़ाई में तब्दील हो गई है। यह इस बारे में है कि क्या वह व्यक्ति राष्ट्रपति बनने के बाद संविधान बचाने के लिए अपने अधिकारों का उपयोग करेगा/करेगी। और यह स्पष्ट है कि नाममात्र का राष्ट्रपति ऐसा करने की कभी कोशिश नहीं करेगा।" 

लाल कृष्ण आडवाणी और अटल बिहारी वाजपेयी ने आपातकाल के खिलाफ लड़ी थी लड़ाई 

सिन्हा ने कहा, "आज, संवैधानिक मूल्य और प्रेस सहित लोकतांत्रिक संस्थाएं खतरे में हैं। देश में वर्तमान में अघोषित आपातकाल है। लाल कृष्ण आडवाणी और अटल बिहारी वाजपेयी ने (1975 से 1977 के बीच) आपातकाल के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी और इसके लिए वे जेल भी गए थे। आज उनकी ही पार्टी  ने देश में आपातकाल थोप दिया है। यह विडंबना ही है।" उन्होंने BJP की निलंबित प्रवक्ता नुपुर शर्मा का समर्थन करने को लेकर हाल में दो लोगों की हत्या किए जाने की घटनाओं पर नहीं बोलने के लिए PM नरेंद्र मोदी की भी आलोचना की। सिन्हा ने आरोप लगाया, "दो हत्याएं हुईं, मेरे सहित हर किसी ने इसकी निंदा की। लेकिन ना तो प्रधानमंत्री और ना ही गृह मंत्री (अमित शाह) ने एक शब्द बोला। वे चुप हैं क्योंकि वे वोट पाने के लिए इस तरह के मुद्दों को ज्वलंत बनाए रखना चाहते हैं।" 

यह लड़ाई विभिन्न विचारधाराओं के बीच है: सिन्हा

सिन्हा ने दावा किया कि एक आदिवासी (मुर्मू) के देश के शीर्ष संवैधानिक पद हासिल करने से भारत में जनजातीय समुदायों के जीवन में बदलाव नहीं आएगा। उन्होंने कहा, "यह मायने नहीं रखता है कि कौन किस जाति या धर्म से आता है। सिर्फ यह बात मायने रखती है कि कौन व्यक्ति किस विचारधारा का प्रतिनिधित्व करता है और यह लड़ाई विभिन्न विचारधाराओं के बीच है। हालांकि, वह छह साल झारखंड की राज्यपाल रही थीं लेकिन इससे वहां आदिवासियों के जीवन में बदलाव नहीं आया।"

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