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क्यों हुआ था मोरबी पुल हादसा? SIT की जांच में सामने आई बड़ी वजह

एसआईटी की शुरूआती जांच में इस हादसे की कई वजह सामने आई हैं। वहीं इस मामले में मोरबी पुलिस ने ओरेवा ग्रुप के प्रबंध निदेशक जयसुख पटेल सहित दस आरोपियों को भारतीय दंड संहिता की धारा 304, 308, 336, 337 और 338 के तहत पहले ही गिरफ्तार कर चुकी है।

Written By: Sudhanshu Gaur @SudhanshuGaur24
Published : Feb 19, 2023 23:45 IST, Updated : Feb 19, 2023 23:47 IST
Morbi Bridge Accident
Image Source : FILE मोरबी पुल हादसा

अहमदाबाद: गुजरात सरकार द्वारा गठित विशेष जांच दल ने अपनी प्रारंभिक जांच में पाया है कि केबल पर लगभग आधे तारों पर जंग लगना और पुराने सस्पेंडर्स को नये के साथ वेल्डिंग करना उन कुछ प्रमुख खामियों में शामिल थे जिसके कारण पिछले साल मोरबी में झूलते पुल के टूटने का हादसा हुआ था। इस दुर्घटना में 135 व्यक्तियों की मौत हो गई थी। ये निष्कर्ष पांच सदस्यीय एसआईटी द्वारा दिसंबर 2022 में सौंपी गई 'मोरबी पुल हादसे पर प्रारंभिक रिपोर्ट' का हिस्सा हैं। रिपोर्ट को हाल ही में राज्य शहरी विकास विभाग द्वारा मोरबी नगर पालिका के साथ साझा किया गया। 

पिछले साल 30 अक्टूबर को हुआ था यह दर्दनाक हादसा 

मच्छू नदी पर ब्रिटिश काल के पुल के संचालन और रखरखाव के लिए अजंता मैन्युफैक्चरिंग लिमिटेड (ओरेवा ग्रुप) जिम्मेदार था। यह पुल पिछले साल 30 अक्टूबर को टूट गया था। एसआईटी ने पुल की मरम्मत, रखरखाव और संचालन में कई खामियां पाईं हैं। आईएएस अधिकारी राजकुमार बेनीवाल, आईपीएस अधिकारी सुभाष त्रिवेदी, राज्य सड़क एवं भवन विभाग के एक सचिव एवं मुख्य अभियंता और स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग के एक प्रोफेसर एसआईटी के सदस्य थे। एसआईटी ने पाया कि मच्छू नदी पर 1887 में तत्कालीन शासकों द्वारा बनाए गए पुल के दो मुख्य केबल में से एक केबल में जंग की दिक्कत थी और हो सकत है कि इसके लगभग आधे तार 30 अक्टूबर की शाम को केबल टूटने से ‘पहले ही टूट चुके’ हों। 

मार्च 2022 बंद किया गया था पुल 

एसआईटी के अनुसार, नदी के ऊपर की ओर की मुख्य केबल टूट गई, जिससे यह हादसा हुआ। एसआईटी ने यह भी पाया कि रेनोवेशन के दौरान, ‘‘पुराने सस्पेंडर्स (स्टील की छड़ें जो केबल को प्लेटफॉर्म डेक से जोड़ती हैं) को नये सस्पेंडर्स के साथ वेल्ड कर दिया गया था। इसलिए सस्पेंडर्स का व्यवहार बदल गया। इस प्रकार के पुलों में भार वहन करने के लिए एकल रॉड सस्पेंडर्स होने चाहिए।’’ गौरतलब है कि मोरबी नगर पालिका ने सामान्य बोर्ड की मंजूरी के बिना ओरेवा ग्रुप (अजंता मैन्युफैक्चरिंग लिमिटेड) को पुल के रखरखाव और संचालन का ठेका दिया था। उसने पुल को मार्च 2022 में नवीनीकरण के लिए बंद कर दिया था और 26 अक्टूबर को बिना किसी पूर्व अनुमोदन या निरीक्षण के इसे खोल दिया था।

10 आरोपियों की हो चुकी है गिरफ्तारी  

एसआईटी के अनुसार, पुल टूटने के समय पुल पर लगभग 300 व्यक्ति थे, यह संख्या पुल की भार वहन क्षमता से कहीं अधिक थी। हालांकि, इसने कहा कि पुल की वास्तविक क्षमता की पुष्टि प्रयोगशाला रिपोर्ट से होगी। मोरबी पुलिस ओरेवा ग्रुप के प्रबंध निदेशक जयसुख पटेल सहित दस आरोपियों को भारतीय दंड संहिता की धारा 304, 308, 336, 337 और 338 के तहत पहले ही गिरफ्तार कर चुकी है। 

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