गुजरात में मां बनने के लिए एक महिला ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया लेकिन महिला ने हाईकोर्ट में ऐसी डिमांड रखी जिसे सुनकर जज भी आश्चर्य में पड़ गईं। महिला ने कोर्ट में कहा कि मेरी उम्र अब 40 साल हो चुकी है और अब नहीं तो फिर कब मैं मां बन पाऊंगी। मैं जल्द से जल्द मां बनना चाहती हूं और इसके लिए कुछ भी कर सकती हूं। महिला का पति से तलाक हो चुका है और उसने हाईकोर्ट से मांग कि उससे अलग रह रहे पति का स्पर्म दिलाई जाए।
महिला ने ये भी कहा कि अगर मेरा एक्स पति उसके लिए तैयार नहीं होता तो उसे किसी दूसरे स्पर्म डोनर से स्पर्म लेने की अनुमति दी जाए, ताकि वह आईवीएफ के माध्यम से जल्द से जल्द मां बन सके। महिला ने हाईकोर्ट में इसके लिए दलील रखी कि मां बनना उसका मौलिक अधिकार है और वक्त बीतने के साथ उसके मां बनने की संभावनाएं कम होती जा रही हैं।
जस्टिस ने महिला को दी ये सलाह
महिला की अर्जी पर सुनवाई करते हुए जस्टिस संगीता विसेन ने उससे पूछा कि क्या उसका पति तलाक का मुकदमा दायर करने के बाद उसकी मदद करने को तैयार होगा? इसके साथ ही अदालत ने आश्चर्य जताते हुए कहा कि एक ऐसे व्यक्ति को निर्देश कैसे जारी किया जाए? जो अपनी को तलाक देने के लिए केस दायर कर चुका है। ऐसे में हम उसे कैसे मां बनाने के लिए स्पर्म (शुक्राणु) दान करने के लिए निर्देश दे सकते हैं।
जस्टिस ने कहा कि महिला को पहले दो मुकदमों (तलाक का मुकदमा और वैवाहिक अधिकारों की बहाली) के लिए निचली अदालत में जाना चाहिए और वहां उसका फैसला लेना चाहिए। जस्टिस की इस टिप्पणी के बाद भी जब महिला के वकील ने हाईकोर्ट से हस्तक्षेप करने पर जोर दिया तो जस्टिस विसेन ने कहा कि उस महिला का पति तलाक चाहता है, इसलिए वह सहायता के लिए उससे मदद नहीं मांग सकती। उसकी मदद की बजाय वह खुद ही किसी स्पर्म डोनर की तलाश कर सकती है।