अहमदाबाद: गुजरात के मोरबी पुल हादसे की तरह ही अहमदाबाद शहर के लोगों को एक और ब्रिज हादसे का डर सताने लगा है। अहमदाबाद शहर के बीचों-बीच हाटकेश्वर छत्रपति शिवाजी महाराज ब्रिज के कंस्ट्रक्शन में करप्शन का मामला सामने आया है। घटिया सामग्री के इस्तेमाल से बने ब्रिज के गिरने का खतरा मंडराने लगा है। महज 5 साल में ही पुल को 9 बार मरम्मत के लिए बंद किया गया, जिससे शहर के लोग परेशान हैं।
3 अलग-अलग एजेंसियां कर चुकी हैं धांधली की जांच
इधर अहमदाबाद म्युनिसिपल कॉरपोरेशन अब तक तीन अलग-अलग एजेंसियों से पुल निर्माण में हुई धांधली की जांच करा चुका है और चौथी बार IIT रूड़की की टीम से जांच कराई जा रही है। अब इस रिपोर्ट के बाद ये तय होगा कि पुल को गिराया जाए या फिर जनता के लिए खोल दिया जाए। 50 साल की गारंटी के साथ शुरू हुआ यह पुल महज 5 साल में ही जर्जर हो गया। गुजरात के मोरबी पुल हादसे के अभी एक साल भी नहीं बीते हैं और दूसरे हादसे की आहट सुनाई देने लगी है।
पुल निर्माण में घटिया सामग्री इस्तेमाल की गई
अहमदाबाद के पुल के कंस्ट्रक्शन में करप्शन के चौंकाने वाले खुलासे के बाद पुल के डिजाइन की जांच कर रही IIT RURKEE की टीम के निर्देश पर डिजाइन इंस्पेक्शन टीम और अहमदाबाद म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन के जॉइंट सर्वे में सामने आये एक डॉक्युमेंट से पता चलता है कि ब्रिज के डिजाइन स्पेसिफिकेशन के हिसाब से कंस्ट्रक्शन करने वाली कम्पनी ने डाइमेंशन को फॉलो ही नहीं किया। कंस्ट्रक्शन के दौरान इंटरनल डाइमेंशन 200 mm तक बदल गया और पुल के निर्माण में घटिया दर्जे का मटीरियल भी यूज़ किया गया।
भ्रष्टाचार का खामियाजा शहर के लोग भुगत रहे
इस पुल के जरिए अहमदाबाद शहर के हजारों लोग शहर के एक छोर से दूसरे छोर तक का सफर करते थे, लेकिन पुल के बंद होने के बाद उन्हें परेशानी हो रही है। स्थानीय लोगों का मानना है कि जब नरेंद्र मोदी गुजरात के सीएम थे तब कोई भी निर्माण कंपनी इस तरह की लापरवाही की हिमाकत नहीं करती थी, लेकिन अब भ्रष्टाचार की बातें सामने आ रही हैं। घटिया मटेरियल और करप्शन का खामियाजा शहर के लोगों को भुगतना पड़ रहा है। महज 5 साल में इस पुल को 9 बार मरम्मत की खातिर बंद किया जा चुका है।
‘पुल निर्माता कंपनी को ब्लैकलिस्टेड करे सरकार’
पुल में घटिया सामग्री के निर्माण की बात सामने आने के बाद भी इसे बनाने वाले कोंट्रेक्टर अजय इंजीनियरिंग इन्फ्रा प्राइवेट लिमिटेड के खिलाफ अभी तक कोई एक्शन नहीं लिया गया है, जिससे लोगों में नाराजगी है। उधर विपक्ष अब आरोप लगा रहा है की पुल की क्वॉलिटी के बारे में रिपोर्ट म्युनिसिपालिटि को सितंबर में मिल गई थी, लेकिन चुनाव के चलते उसे जारी नहीं किया गया। सरकार से पुल निर्माण में लगी कंपनी को ब्लैकलिस्टेड करने की मांग की जा रही है। लोगों का कहना है कि सरकार पुल निर्माण कंपनी को बैन कर दे।
IIT रूड़की की जांच रिपोर्ट आने में लगेगा वक्त
3 अलग-अलग एजेंसियों से जांच कराए जाने के बाद अब अहमदाबाद म्यूनिसिपल कॉरपोरेशन IIT रूड़की के पास जांच के लिए गई है। ऐसे में पहले की जांच एजेंसियों की रिपोर्ट के बाद एक्शन नहीं लिए जाने को लेकर सवाल उठना लाजिमी है। IIT रूड़की की जांच रिपोर्ट आने में अभी कुछ दिन का वक्त लगेगा। अहमदाबाद म्यूनिसिपल कॉरपोरेशन की स्टैंडिंग कमिटी के चेयरमैन ने भी पुल में बार-बार आ रही खराबी के बाद लापरवाही की बात मानी है, लेकिन उन्हें जांच एजेंसी के रिपोर्ट का इंतजार है।
50 साल तक पुल के चलने का था दावा
बहरहाल आईआईटी रूड़की के रिपोर्ट के बाद यह तय हो पाएगा कि अहमदाबाद के लोगों के लिए इस पुल को खोला जाए या फिर खतरे को देखते हुए इसे धराशायी कर दिया जाए। 2015 में काम शुरू करने के बाद नवंबर 2017 में यह पुल बनकर तैयार हुआ था। उस समय कहा गया था कि यह पुल कम से कम 50 साल तक चलेगा लेकिन पिचले 5 साल में ही इसमें कुल 6 बार गड्ढे पड़ चुके हैं। इस पुल में टूट-फूट होने का सिलसिला 2021 में शुरू हुआ और आखिर में अगस्त 2022 में डैमेज होने के बाद इसकी सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए इसे बंद किया गया।