भारतीय वैज्ञानिकों ने हाल ही में मंगल ग्रह की सतह पर तीन गड्ढे यानी क्रेटर्स खोजे हैं। यह खोज अहमदाबाद के फिजिकल रिसर्च लैबोरेटरी (PRL) के वैज्ञानिकों ने की है। तीन में से एक क्रेटर का नाम PRL के पूर्व निदेशक और बाकी दो क्रेटर्स का नाम उत्तर प्रदेश और बिहार के शहरों के नाम पर रखा गया है। अंतरराष्ट्रीय खगोलीय संघ (IAU) ने इन नामों को मंजूरी दे दी है। ये तीनों क्रेटर्स मंगल के थारसिस इलाके में मौजूद हैं, जो ज्वालामुखियों से भरा हुआ है।
थारिस ज्वालामुखी क्षेत्र में स्थित
अब इन गड्ढों (क्रेटर) को लाल क्रेटर, मुरसान क्रेटर और हिलसा क्रेटर के नाम से जाना जाएगा। भारत सरकार के अंतरिक्ष विभाग की एक इकाई पीआरएल ने बुधवार को एक विज्ञप्ति में कहा कि तीन क्रेटर मंगल ग्रह के थारिस ज्वालामुखी क्षेत्र में स्थित हैं। थारिस मंगल ग्रह के पश्चिमी गोलार्ध में भूमध्य रेखा के पास केंद्रित विशाल ज्वालामुखीय पठार है। पीआरएल के निदेशक अनिल भारद्वाज ने एक विज्ञप्ति में कहा कि पीआरएल की सिफारिश पर अंतरराष्ट्रीय खगोलीय संघ (आईएयू) के एक कार्य समूह ने 5 जून को लाल क्रेटर, मुरसान क्रेटर और हिलसा क्रेटर नाम देने के प्रस्ताव को मंजूरी दी। मुरसान और हिलसा क्रमशः उत्तर प्रदेश और बिहार में स्थित शहर हैं।
लाल क्रेटर: 65 KM चौड़े इस क्रेटर का नाम PRL के पूर्व निदेशक, प्रोफेसर देवेंद्र लाल के नाम पर रखा गया है। वह 1972 से 1983 के बीच PRL के डायरेक्टर थे। प्रोफेसर लाल की गिनती भारत के प्रमुख कॉस्मिक रे भौतिक वैज्ञानिकों में होती है।
मुरसान क्रेटर: 10 KM चौड़ा यह क्रेटर लाल क्रेटर के पूर्वी रिम पर टिका हुआ है। इसे यह नाम उत्तर प्रदेश के एक कस्बे से मिला है, जहां PRL के वर्तमान निदेशक डॉ. अनिल भारद्वाज का जन्म हुआ था। डॉ. भारद्वाज देश के नामी प्लैनेटरी साइंटिस्ट हैं।
हिलसा क्रेटर: यह क्रेटर भी 10 KM चौड़ा है और लाल क्रेटर के पश्चिमी रिम पर ओवरलैप करता है। इसका नाम बिहार के एक कस्बे के नाम पर रखा गया है। हिलसा (बिहार) में ही PRL के एक और वैज्ञानिक डॉ. राजीव रंजन भारती का जन्म हुआ था। डॉ. रंजन भारतीय उस टीम का हिस्सा हैं, जिसने इन क्रेटर्स की खोज की है।
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