Highlights
- दंगा पीड़ितों के बयानों को अपनी मर्जी के मुताबिक लिखा
- तीस्ता के एनजीओ में काम करनेवाले रईस खान का हलफनामा
- नरेंद्र मोदी को बदनाम करने की रची गई साजिश
Teesta Setalvad: गुजरात दंगों (Gujarat Riots) को लेकर नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) को फंसाने की पटकथा लिखने वाली तीस्ता सीतलवाड़ (Teest Setalvad) इस वक्त पुलिस की हिरासत में है और उनसे पूछताछ चल रही है। गुजरात सरकार ने तीस्ता का पूरा कच्चा चिट्ठा सामने लाने के लिए एसआईटी का गठन कर दिया है। नरेंद्र मोदी के खिलाफ लिखी गई झूठी स्क्रिप्ट अब धीरे-धीरे सामने आ रही है। इस बात का खुलासा हो रहा है कि मोदी के खिलाफ गवाहों को सिर्फ भड़काया या बहकाया नहीं गया बल्कि पूरी की पूरी गवाही ही बदल दी गई। मतलब मोदी के बारे में दंगा पीड़ित कुछ और कह रहे थे जबकि मोदी विरोधियों ने उसे कुछ और कहकर लिखवा दिया। यह सारी बात रईस खान ने बताई जो कभी तीस्ता सीतलवाड़ का राइट हैंड हुआ करता था। रईस खान ने इस मामले में तीस्ता सीतलवाड़ के खिलाफ हलफनामा भी दायर कराया है। रईस तीस्ता के एनजीओ में ही काम करता था। उसने यह खुलासा किया है कि मोदी को बदनाम करने के लिए पूरी स्क्रिप्ट लिखी गई है। उसने बताया कि तीस्ता और कांग्रेस ने मिलकर मोदी को बदनाम करने की पूरी साजिश रची। रईस खान ने कहा था कि सोनिया गांधी ने दंगा पीड़ितों से कहा कि आप तीस्ता सीतलवाड़ के साथ मिलकर काम कीजिए।
रईस खान ने तीस्ता के खिलाफ खोला मोर्चा
साल 2010 में रईस खान एफिडेविट दाखिल कर तीस्ता खिलाफ मोर्चा खोल दिया। उसने आरोप लगाया कि तीस्ता जो एफिडेविट तैयार करती थी उसे नोटरी करवा कर अपने पास रख लेती थी। 2002 से 2012 तक वह लगातार ऐसा करती रही। तीस्ता ने पीड़ितों के नाम पर मनमुताबिक बयान लिखे। मोदी के खिलाफ मनमुताबिक स्क्रिप्ट बनाई। पीड़ितों को पता भी नहीं होता था कि उनके नाम पर किस तरह के बयान लिख रही है। तीस्ता अपनी मर्जी से पीड़ित की जानकारी के बिना ही बयान नोट करती थी। वही पीड़ित जब एसआईटी के सामने पेश होते थे तो उनके बयान हलफनामे में कही गई बातों से बिल्कुल अलग होते थे।
हलफनामे से बिल्कुल अलग बयान
तीस्ता ने मोहम्मद शरीफ नाम के चश्मदीद का जो हलफनामा तैयार किया उसमें खुद ये लिखा कि मोहम्मद शरीफ ने पुलिस स्टेशन में बलात्कार के पीड़ितों से मुलाकात की। जिनलोगों पर हमला हुआ और जिनके घर जला दिए गए उन लोगों से मुलाकात की। मगर जब मोहम्मद शरीफ SIT के सामने गया तो उसने घटना वाली रात पुलिस स्टेशन में ऐसी किसी भी मुलाकात से इंकार कर दिया।
एसआईटी के सामने चश्मदीदों ने कहा-ऐसा नहीं कहा
इसी तरह तीस्ता ने एक और चश्मदीद नन्नूमियां के हलफनामे में ये फिट कर दिया कि वो ज़िन्दा जलाए गए 5 लोगों का चश्मदीद है और जब यही नन्नूमियां SIT के सामने पेश हुए तो साफ साफ कहा कि उनके सामने किसी की हत्या नहीं हुई। तीस्ता ने बादशाह कुरैशी नाम के शख्स को अपने हलफनामे में नरोदा पाटिया हिंसा का चश्मदीद लिख दिया मगर SIT के सामने बादशाह कुरैशी मुकर गया।
तीस्ता की मोदी विरोधी पार्टियों से सेटिंग !
तीस्ता सीतलवाड़ ने दंगा पीड़ितों के कंधों पर बंदूक रखकर मोदी पर कई सालों तक जिस तरह से हमला किया और जैसी साज़िशें रचीं उसमें वो अकेली नहीं थीं। तीस्ता की मोदी विरोधी राजनीतिक दलों से भी सीक्रेट सेटिंग थी। तीस्ता के सबसे बड़े राज़दार रहे रईस ख़ान ने इसको लेकर भी बहुत बड़ा खुलासा किया है। रईस ख़ान का दावा है कि तीस्ता सीतलवाड़ सिर्फ अपने मन के मुताबिक दंगा पीड़ितों के हलफनामे में मोदी के खिलाफ झूठी स्क्रिप्ट फिट नहीं किया करती थी बल्कि कांग्रेस आलाकमान की तरफ से भी बाकायदा डिक्टेट किया जाता था कि मोदी के खिलाफ कौन सा टेक्स्ट जोड़ना है।
आईपीएस और बुद्धिजीवियों को खेमा अभियान में शामिल
अब गुजरात दंगों को लेकर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद तीस्ता का भी खेल ख़त्म होता दिख रहा है और उसे मोदी के खिलाफ अभियान चलाने का ऑर्डर देने वालों का चेहरा भी उजागर हो रहा है। रईस ख़ान ने आगे और भी कई विस्फोटक दावे किए। कांग्रेस से लेकर लेफ्ट तक और IPS ऑफिसर्स से लेकर बड़े बड़े बुद्धिजीवियों तक ये लोग आपस में एक-दूसरे से गहरे जुड़े हुए थे। मोदी के सारे सियासी दुश्मन एक पेज पर आकर गुजरात दंगों पर पॉलिटिकल स्क्रिप्ट लिखा करते थे और उसे देश दुनिया में फैलाया करते थे।
पूछताछ के दौरान चुप्पी साधे रहे तीस्ता और आरबी श्रीकुमार
आपको बता दें कि गुजरात दंगों को लेकर एसआईटी द्वारा पीएम मोदी को क्लीन चिट दिए जाने के फैसले को बरकरार रखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने उन लोगों पर कार्रवाई करने का आदेश दिया था जो मनगढ़ंत झूठ फैलाकर इस मामले को गरमाए रखना चाहते हैं। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद गुजरात क्राइम ब्रांच ने तीस्ता सीतलवाड़ और रिटायर्ड आईपीएस आरबी श्रीकुमार को गिरफ्तार कर लिया। बताया जाता है कि तीस्ता सीतलवाड़ और आर बी श्रीकुमार पूछताछ के दौरान अधिकतर समय चुप्पी साधे रहे और उन्होंने गुजरात में 2002 के दंगों के सिलसिले में दर्ज प्राथमिकी के अनुसार सबूत गढ़ने में अपनी कथित भूमिका के बारे में कुछ भी बताने से इनकार कर दिया।