Saturday, October 26, 2024
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सोमनाथ मंदिर के पास बुलडोजर एक्शन मामले में मुस्लिम पक्ष को राहत नहीं, सुप्रीम कोर्ट ने दिया ये आदेश

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को गुजरात सरकार से कहा कि गिर सोमनाथ के आसपास की जमीनों पर किसी तीसरे पक्ष का अधिकार न बनाया जाए।

Edited By: Mangal Yadav @MangalyYadav
Updated on: October 26, 2024 15:01 IST
सोमनाथ मंदिर के पास अवैध बस्तियों को ध्वस्त करने की फाइल फोटो- India TV Hindi
Image Source : PTI सोमनाथ मंदिर के पास अवैध बस्तियों को ध्वस्त करने की फाइल फोटो

नई दिल्ली: गिर सोमनाथ जिले में सोमनाथ मंदिर के पास अवैध इमारतों पर बुलडोजर एक्शन मामले में मुस्लिम पक्ष को सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मिली है। कोर्ट ने कहा कि यह सरकारी जमीन है और इस पर कब्जा अगले आदेश तक सरकार का ही रहेगा। वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार को अतिक्रमण मुक्त कराई जमीन को किसी तीसरे पक्ष को आवंटित करने से रोक दिया है। यह जमीन बड़े पैमाने पर अतिक्रमण अभियान चलाने के बाद खाली हुई थी।

न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति के वी विश्वनाथन की पीठ ने गुजरात सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता का बयान दर्ज किया कि अगले आदेश तक जमीन का कब्जा सरकार के पास रहेगा और किसी तीसरे पक्ष को आवंटित नहीं किया जाएगा।

कोर्ट ने नहीं दिया स्टे ऑर्डर

न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति के वी विश्वनाथन की पीठ ने गुजरात सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की दलीलें सुनने के बाद बुलडोजर एक्शन वाली जमीन पर कोई स्टे ऑर्डर पारित नहीं किया। मुस्लिम पक्षकारों के वकील ने अंतरिम यथास्थिति आदेश पारित किए जाने का अनुरोध किया था। कोर्ट ने कहा कि इस मामले को देखते हुए हमें कोई अंतरिम आदेश पारित करना आवश्यक नहीं लगता। 

हाई कोर्ट से मुस्लिम पक्ष को नहीं मिली थी राहत

पीठ गुजरात हाई कोर्ट के उस आदेश के खिलाफ याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें मुस्लिम धार्मिक ढांचों के ध्वस्तीकरण के संदर्भ में यथास्थिति बनाए रखने के आदेश को अस्वीकार कर दिया गया था। सुप्रीम कोर्ट गुजरात के प्राधिकारियों के खिलाफ उस अवमानना ​​याचिका पर भी सुनवाई कर रही है जिसमें अंतरिम रोक के बावजूद और पूर्व अनुमति के बिना राज्य में आवासीय एवं धार्मिक संरचनाओं का अवैध ध्वस्तीकरण किए जाने का आरोप लगाया गया है। 

11 नवंबर को होगी अगली सुनवाई

इस याचिका पर अगली सुनवाई 11 नवंबर को होगी। जूनागढ़ की औलिया-ए-दीन समिति की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने सुनवाई की शुरुआत में कहा कि एक विशेष समुदाय से संबंधित संरचनाओं को ध्वस्त कर दिया गया है लेकिन वहां सरकारी भूमि पर बने मंदिरों को छोड़ दिया गया है। उन्होंने दावा किया कि संरक्षित स्मारकों को इस आधार पर ध्वस्त कर दिया गया कि वे एक जल निकाय- अरब सागर के निकट थे। सॉलिसिटर जनरल ने इन दलीलों का विरोध करते हुए कहा कि केवल उन संरचनाओं को ध्वस्त किया गया है जो अतिक्रमित सरकारी भूमि पर बनाई गई थीं और कानून के तहत संरक्षित नहीं थीं। 

(इनपुट- भाषा)

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