अहमदाबाद: गुजरात के स्कूलों में अब बच्चे श्रीमद्भगवद्गीता का भी पाठ करेंगे। रिपोर्ट्स के मुताबिक, गुजरात सरकार ने भारत की सांस्कृतिक विरासत को बढ़ावा देने के लिए स्कूलों में 'भगवद गीता' पर एक पाठ्यपुस्तक लॉन्च की है। इस पाठ्यपुस्तक को अगले शैक्षणिक वर्ष से कक्षा 6 से 8 तक के पाठ्यक्रम में शामिल किया जाएगा। इस बारे में जानकारी देते हुए प्रदेश के शिक्षा मंत्री प्रफुल्ल पंशेरिया ने शुक्रवार को कहा कि यह फैसला 3 साल पहले केंद्र सरकार द्वारा शुरू की गई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुरूप है।
‘छात्रों में गर्व की भावना विकसित होगी’
पंशेरिया ने अपनी सोशल मीडिया पोस्ट में कहा कि राज्य शिक्षा विभाग ने कक्षा 6 से 8 तक के पाठ्यक्रम में 'श्रीमद्भगवद्गीता' के आध्यात्मिक सिद्धांतों और मूल्यों को एक पूरक पाठ्यपुस्तक के रूप में शामिल करने का निर्णय लिया है। इस निर्णय के लिए मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल का आभार व्यक्त करते हुए गुजरात के शिक्षा मंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि इस कदम से छात्रों में गर्व की भावना विकसित होगी और भारत की समृद्ध प्राचीन संस्कृति और ज्ञान परंपराओं के साथ उनका एक मजबूत संबंध विकसित होगा।
'2 अतिरिक्त भागों पर भी काम जारी'
पंशेरिया ने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि धर्मग्रंथ पर आधारित पूरक पाठ्यपुस्तक छात्रों में नैतिक मूल्य स्थापित करेगी। उन्होंने कहा कि यह पाठ्यपुस्तक, जिसका पहला भाग कक्षा 6 से 8 तक के लिए है, जल्द ही देश भर के स्कूलों में बांटी जाएगी। उन्होंने कहा कि कक्षा 9 से 12 तक के छात्रों के लिए 2 अतिरिक्त भागों पर भी काम चल रहा है। पंशेरिया ने कहा, 'प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के मार्गदर्शन में 'राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020' के तहत लिया गया यह निर्णय छात्रों में मूल्यों को बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।'
2022 में ही सरकार ने किया था ऐलान
बता दें कि मार्च 2022 में गुजरात सरकार ने राज्य विधानसभा में घोषणा की थी कि भगवद गीता पूरे राज्य में कक्षा 6 से 12 तक के स्कूल पाठ्यक्रम का हिस्सा बनेगी। इसके बाद अब 2023-2024 के शैक्षणिक वर्ष के लिए श्रीमद्भगवद्गीता को पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है।