राजकोट: गुजरात में पश्चिमी रेलवे के भावनगर डिवीजन में रेलवे को लोको पायलट अलर्ट मोड में हैं। उन्होंने पिछले एक सप्ताह में पिपावाव बंदरगाह की ओर जाने वाली रेलवे लाइनों पर कम से कम आठ शेरों की जान बचाई। गिर पूर्व और शेत्रुंजी वन प्रभागों की सावरकुंडला और लिलिया रेंज में अक्सर वन्यजीव ट्रेनों की चपेट में आकर जान गवां देते हैं। यह रूट वन्यजीवों के लिए बेहद घातक सबित हुई है। खासतौर से पिपावाव बंदरगाह को जोड़ने वाली मालगाड़ियों की आवाजाही के चलते बड़ी संख्या में वन्यजीव ट्रेन की चपेट में आ जाते हैं।
अप्रैल से अब तक 42 शेरों की बचाई जान
भावनगर डिवीजन द्वारा जारी एक बयान में कहा गया है, 'भावनगर रेलवे डिवीजन शेरों और वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए निरंतर प्रयास कर रहा है। डिवीजन के निर्देशों के अनुसार, ट्रेन चलाने वाले लोको पायलटों ने गति सीमा के दिशानिर्देशों का पालन करते हुए और सावधानी से गाड़ी चलाते हुए पिछले एक सप्ताह में ट्रैक पर आठ शेरों और अप्रैल से अब तक 42 शेरों की जान बचाई है।'
ट्रैक पर शेर देखते ही लगाई ब्रेक
16 अगस्त को एक मालगाड़ी के लोको पायलट संजय राम ने गढ़कड़ा-सावरकुंडला सेक्शन पर एक शेर को देखा। उन्होंने इमरजेंसी ब्रेक लगाई और वन विभाग को यह जानकारी दी कि रेल ट्रैक पर शेर है। वन विभाग से मंजूरी मिलने के बाद ही ट्रेन ने अपनी यात्रा फिर से शुरू की।
15 अगस्त को भी ट्रैक पर दिखे शेर
इसी तरह, 15 अगस्त को लोको पायलट वनलिया सुधीर ने लीलिया मोटा-दमनगर सेक्शन के बीच ट्रेन रोक दी। एक वन ट्रैकर ने उन्हें लाल बत्ती का संकेत दिया। थोड़ी देर बाद, तीन शेर रेलवे ट्रैक को पार कर गए, जो ट्रेन के रुकने की जगह से लगभग 100 मीटर दूर थे।
भावनगर डिवीजन के सूत्रों ने कहा कि लोको पायलट को वन रक्षक से ऑल-क्लियर सिग्नल मिलने के बाद ही ट्रेन आगे बढ़ी। 14 अगस्त को लोको पायलट जितेंद्र पंचाल ने राजुला-विजपडी सेक्शन के बीच ट्रैक पर दो शेर के बच्चों को बैठे देखा। उन्होंने इमरजेंसी ब्रेक लगाया, जिससे ट्रेन शावकों के स्थान से मुश्किल से 100 मीटर दूर रुक गई।