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राष्‍ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने श्रीमद राजचंद्र मिशन धरमपुर का किया दौरा, लोगों को बताया जीवन जीने का तरीका

द्रौपदी मुर्मू आदिवासी समुदाय से पहली राष्ट्रपति हैं और आदिवासी समुदायों के उत्थान के लिए कार्य करती हैं। श्रीमद् राजचंद्र मिशन धरमपुर वर्षों से दक्षिण गुजरात के आदिवासी लोगों के उत्थान के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य, महिला विकास आदि क्षेत्रों में सफलतापूर्वक कई कार्य कर रहा है, जिसके लिए राष्ट्रपति ने प्रसन्नता व्यक्त की।

Edited By: Khushbu Rawal @khushburawal2
Published on: February 15, 2024 16:01 IST
droupadi murmu- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का हार और शॉल से सम्मान किया गया।

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने दक्षिण गुजरात के वलसाड में श्रीमद राजचंद्र मिशन धरमपुर का दौरा किया। यह पहली बार है कि जब स्वतंत्रता के बाद भारत के किसी राष्ट्रपति ने इस आदिवासी तालुके का दौरा किया है। पूज्य गुरुदेव श्री राकेशजी के आमंत्रण को स्वीकार कर राष्ट्रपति ने दक्षिण गुजरात में उनके आध्यात्मिक मुख्यालय की यात्रा की। श्रीमद राजचंद्र मिशन धरमपुर द्वारा आयोजित इस भव्य कार्यक्रम में गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत, कैबिनेट मंत्री डॉ. कुबेर डिंडोर, राज्य मंत्री जगदीश पांचाल, जनजाति विकास अभिकरण के प्रमुख सचिव श्री डॉ. ए.एस. मुरली कृष्ण सहित गणमान्य व्यक्तियों ने भाग लिया। इस दौरान भव्य 'राज सभागृह' में उपस्थित हजारों ने राष्ट्रपति का उत्साहपूर्वक स्वागत किया। इसके बाद ट्रस्टी द्वारा राष्ट्रपति का हार और शॉल से सम्मान किया गया, साथ ही आदिवासी समुदाय के लोगों द्वारा सुंदर डांगी नृत्य भी प्रस्तुत किया गया।

द्रौपदी मुर्मू आदिवासी समुदाय से पहली राष्ट्रपति हैं और आदिवासी समुदायों के उत्थान के लिए कार्य करती हैं। श्रीमद् राजचंद्र मिशन धरमपुर वर्षों से दक्षिण गुजरात के आदिवासी लोगों के उत्थान के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य, महिला विकास आदि क्षेत्रों में सफलतापूर्वक कई कार्य कर रहा है, जिसके लिए राष्ट्रपति ने प्रसन्नता व्यक्त की।

राष्ट्रपति मुर्मू ने अपने संबोधन में क्या कहा?

अपने संबोधन में माननीय राष्ट्रपति ने कहा, श्रीमद राजचंद्र जी एक महान संत, कवि, दार्शनिक और समाज सुधारक थे। उनके पदचिन्हों पर चलते हुए गुरुदेव श्री राकेश जी ने आध्यात्मिक क्षेत्र में अभूतपूर्व कार्य किया है। मुझे यह जानकर प्रसन्‍नता हुई कि गुरुदेव राकेश जी के मार्गदर्शन में, श्रीमद राजचंद्र मिशन धरमपुर, विश्‍व भर में 200 से अधिक स्थानों पर सक्रिय है। उन्होंने कहा कि यह मिशन आत्म-ज्ञान का मार्ग प्रशस्‍त करने के लिए प्रयासरत है। आपके इन पुनीत कार्यों का मानव-कल्याण में महान योगदान है। उन्होंने कहा, इस सोच के साथ काम करते हुए कि इस आदिवासी क्षेत्र में जो वंचित, शोषित और पीड़ित हैं, उन्हें भी वो सारी सुविधाएं मिलें जो हमें शहरों में मिल रही हैं, मैं पूज्य गुरुदेव श्री राकेशजी को बधाई देती हूं।

'आध्यात्मिक संपत्ति को धीरे-धीरे भूलते जा रहे लोग'

राष्ट्रपति ने आगे कहा, आज बहुसंख्‍यक लोग भौतिक सुख के पीछे भाग रहे हैं। वे भूल गए हैं कि उन्हें जीवन में वास्तव में क्या चाहिए। हम अपनी आध्यात्मिक संपदा को धीरे-धीरे भूलते जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमें स्‍मरण रखना चाहिए कि धनोपार्जन के साथ-साथ मानसिक शांति, समभाव, संयम और सदाचार भी अत्‍यन्‍त आवश्‍यक है। उन्होंने कहा कि यदि हम अपने मूल स्‍वभाव की ओर जाएं, तो आज विश्व में व्याप्त अनेक समस्याओं के समाधान प्राप्त हो सकते हैं। लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि हम आधुनिक विकास को त्‍याग दें। इसका अर्थ है कि हम आध्यात्मिकता के मार्ग पर चलते हुए आधुनिक विकास को अपनाएं।

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