Highlights
- सभी पार्टियां इस समय पाटीदारों को लुभाने में लगी हुई हैं
- 1970 के बाद से पाटीदारों की भूमिका मजबूत होने लगी
- 2017 के विधानसभा चुनावों में 51 पाटीदार विधायक बने
PM Modi Gujarat Visit : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गृह राज्य गुजरात में आगामी कुछ महीनों में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। गुजरात ही वह राज्य है जहां मुख्यमंत्री के रूप में अपनी दमदार परफॉर्मेंस का लोहा मनवाकर नरेंद्र मोदी ने दिल्ली के लिए दावेदारी पेश की थी। नरेंद्र मोदी 2001 में में गुजरात के मुख्यमंत्री बने और 2014 आते-आते वह देश के सर्वाधिक लोकप्रिय नेता के रूप में प्रधानमंत्री की कुर्सी पर आसीन हुए। मोदी भले ही गांधीनगर से दिल्ली चले गए, लेकिन गुजरात की राजनीति पर उनकी छाप आज भी है। मोदी के अलावा जो एक और फैक्टर इस सूबे की राजनीति को प्रभावित करता है, वह है पाटीदार समुदाय का समर्थन।
प्रधानमंत्री ने किया 200 बेड के हॉस्पिटल का उद्घाटन
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह शनिवार से 2 दिन के गुजरात दौरे पर हैं। मोदी ने शनिवार की सुबह सरदार पटेल सेवा समाज द्वारा निर्मित मल्टी स्पेशलिटी अस्पताल का उद्घाटन किया है। 200 बेड का यह अस्पताल राजकोट-भावनगर हाइवे पर 40 करोड़ रुपये की लागत से बना है। गुजरात में पाटीदार समुदाय वैसे तो लगभग पूरे सूबें अपना थोड़ा-बहुत असर रखता है, लेकिन राजकोट और उसके आसपास के जिलों में यह समुदाय काफी ताकतवर है। बीजेपी आगामी चुनावों के लिए इस समुदाय को साधने में जुटी हुई है और पीएम के गुजरात दौरे को इसी से जोड़कर देखा जा रहा है।
हॉस्पिटल के उद्घाटन कार्यक्रम से क्या संदेश मिला?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के गुजरात में जो कार्यक्रम हैं, उनके केंद्र में कहीं न कहीं पाटीदार समाज ही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिस हॉस्पिटल का उद्घाटन किया, उसके कार्यक्रम में भी राज्य के विभिन्न हिस्सों से पाटीदार समाज के लोग शामिल हुए। बीजेपी भले ही इसे जनकल्याण से जुड़ा कार्यक्रम बता रही हो, लेकिन सियासी विशेषज्ञों को मानें तो यह पाटीदार वोटरों को साधने के लिए पार्टी की बड़ी कोशिश है। बीजेपी इसके जरिए कहीं न कहीं पाटीदार समुदाय के लोगों को खुश करने की कोशिश कर रही है।
गुजरात की सियासत में क्या है पाटीदारों की अहमियत?
गुजरात की कुल आबादी का लगभग 12 प्रतिशत पाटीदार हैं। संख्या में भले ही पाटीदारों की आबादी आदिवासियों से कम हो, जो कि राज्य की आबादी का 15 फीसदी हैं, लेकिन राज्य में सामाजिक-आर्थिक और राजनीतिक तौर पर यही सबसे सशक्त समुदाय है। 2017 के विधानसभा चुनावों की बात करें तो 182 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस और बीजेपी से 51 पाटीदार विधायक जीतकर आए थे, जो राज्य में इनकी सामाजिक और राजनीतिक ताकत को बताने के लिए काफी है। पाटीदारों के सामने एक तीसरे विकल्प के रूप में आम आदमी पार्टी भी उभर रही है, और यही वजह है कि सभी पार्टियां इस समय पाटीदारों को लुभाने में लगी हुई हैं।
पाटीदार समुदाय से 17 में से 5 मुख्यमंत्री
गुजरात के 61 साल के राजनीतिक इतिहास को देखा जाए को 17 में से 5 मुख्यमंत्री पाटीदार समुदाय से रहे हैं। वर्तमान मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल भी पाटीदार समुदाय से आते हैं। चिमनभाई पटेल राज्य के सबसे पहले पाटीदार मुख्यमंत्री थे। उनके पहले गुजरात के सभी मुख्यमंत्री या तो व्यापारी या ब्राह्मण समुदाय से थे। चिमनभाई के बाद बाबूभाई जशभाई पटेल, केशुभाई पटेल और फिर आनंदीबेन पटेल ने गुजरात की गद्दी संभाली। देखा जाए तो 1970 के बाद से राज्य की राजनीति में पाटीदारों की भूमिका मजबूत होती गई और यही वजह है कि बीजेपी इस समुदाय को अपने साथ रखने में भरपूर जोर लगा रही है।
कितना असरदार साबित हो सकता है मोदी फैक्टर?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी निर्विवादित रूप से देश के सबसे लोकप्रिय नेता हैं, और गुजरात तो उनका गृह राज्य है। गुजरात में आज भी नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता किसी भी स्थानीय नेता से मीलों आगे है। नरेंद्र मोदी की यह लोकप्रियता किसी जाति या समुदाय से ऊपर उठकर है, और यही वजह है कि विधानसभा चुनाव मेंअपेक्षाकृत खराब प्रदर्शन करने के बावजूद लोकसभा चुनाव में बीजेपी वहां 2 बार से क्लीन स्वीप कर रही है। ऐसे में देखा जाए तो नरेंद्र मोदी का गुजरात में होना, और पाटीदारों से जुड़े अस्पताल का उद्घाटन करना, निश्चित तौर पर समुदाय में एक बड़ा संदेश देगा।