सोमनाथ मंदिर. गुजरात में इन दिनों सोशल मीडिया पर एक वीडियो जमकर वायरल हो रहा है। इस वीडियो में एक शख्स द्वारा फैलाए जा रहे जहर पर लोग नाराजगी भी व्यक्त कर रहे हैं। वीडियो वायरल होने के बाद सोमनाथ पुलिस भी हरकत में आई है और जांच पड़ताल में जुट गई है। बता दें कि गुजरात में सोशल मीडिया पर एक वीडियो जमकर वायरल हो रहा है, इस वीडियो में एक शख्स नजर आ रहा है जो इस्लामिक वेशभूषा में है और खुद सेल्फी मोड में एक वीडियो शूट कर रहा है। वो वीडियो में सोमनाथ मंदिर की तरफ इशारा कर ऐसी बाते कर रहा है, जिससे बड़ी संख्या में लोगों ने आपत्ति जताई है।
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वायरल हो रहे वीडियो में दिखाई रहा शख्स कहता है कि ये सोमनाथ मंदिर है, जिसे महमूद गजनवी की तारीख जो आप पढ़ते हैं हजरात और पढ़नी चाहिए हमें, मोहम्मद इबने-कासिम, अल्लाह का शुक्र है कि मुसलमानों की जो तारीख है, वो रोशन तारीख है, हमें किसी भी अतीबार से न दबने की, न झुकने की किसी भी अतीबार से नहीं है। अल्हम्दुलिल्लाह, हमारे असलाफ ने बड़े नुमाया कारनामे अंजाम दिए थे। हमें चाहिए कि हम उन कारनामों को खुद भी पढ़ें और दूसरों को भी उसको पढ़ाएं और दिखाएं कि हमारे कारनामे, अल्हम्दुलिल्लाह रोशन बाब के अंदर लिखे हुए हैं।
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वो इतने पर ही नहीं रुकता, आगे कहता है कि अब जरूरत है कि जो नसल इस वक्त में जो नसल-ए-नौह चल रही है ये भी अपने असलाफ की, अपने आबो अवदाद की, वो तारीखी कारनामे, जिस तरीके से मोहम्मद इबने-कासिम ने दरिया को पार किया और पूरे हिंदुस्तान को फतह किया और इसी तरह महमूद गजनवी ने बड़ा काम किया है। तो अल्लाह के अहसान है कि तमाम के तमाम अल्लाह के वली थे इसमें कोई शक नहीं है। आज की तारीख उन्हें भले ही चोर और डाकू कहे या इसी तरीके से जो भी कुछ कहती रहे लेकिन हमेशा तारीख ने उन्हीं को मुंसिफ और इसी तरीके से इंसाफ पसंद और दीन की इशाद करने वाला, इस्लाम की इशाद करने वाला पाया है। ये तमाम का तमाम समुंदर आप हजरात देख रहे हैं और जिसके मुताल्लिक कहा गया, वैसे तो वो शेर तवकुफ के हवाले से है, "कि दूर बैठा कोई तो दुआएं देता है, मैं डूबता हूं समुंदर उछाल देता है।"
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इसके बाद वीडियो बना रहा शख्स सोमनाथ मंदिर की तरफ इशारा करते हुए कहता है कि ये सामने आप सोमनाथ का मंदिर देख रहे हैं। यहां से तकरीबन आधा किलोमीटर दूर है। अभी हम वहां भी गए थे। अलहमदुल्लिहा हमारे असलाफ की, हमारे आवोहवदाद की रोशन तारीख है। आप हजरात उस तारीख को देखिए पढ़िए और वो मिसरा यादि किजिए कि "जो कौम अपनी तारीख को मिटा देती है, तारीख भी उस कौम को सोफा-ए-हस्ती से मिटा देती है"। तो जरूरत है कि नौजवान तबका खुसूसन अपनी तारीख को पढ़े, अपनी तारीख को देखे, अपने आबाओ-हजदाद के वो अजीम कारनामे, जो वो इस सरजमीन ए हिंदुस्तान के ऊपर कर के गए हैं दिखा के गए हैं और आने वाली कौम के लिए मसाल-ए-राह हैं तो हमें चाहिए कि हम जरूर उन चीजों को पढ़ें, उन चीजों को देखें।
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