Highlights
- मध्यप्रदेश के बडवानी में दर्ज हुई FIR
- आदिवासियों की शिक्षा के नाम मिले फंड के मिसयूज का आरोप
- मेधा पाटकर ने इंदौर की अदालत में अपनी आय 6,000 बताई थी
Medha Patkar FIR: गुजरात के सरदार सरोवर डैम को रोकने के प्रयास करने वाली मेधा पाटकर को कई लोग एक क्रांतिकारी के रूप में जानते होंगे, लेकिन हाल ही में नर्मदा बचाओ आंदोलन की आड़ में, आदिवासी बच्चों के शिक्षण और पोषण के नाम पर मेधा पाटकर और उनके साथ जुड़े अन्य लोगों के खिलाफ 3 दिन पहले मध्यप्रदेश के बडवानी में धोखाधड़ी की शिकायत पर पुलिस FIR दर्ज किया गया है। नर्मदा नवनिर्माण अभियान के नाम पर रजिस्टर्ड मेधा पाटकर की NGO के सभी ट्रस्टियों के खिलाफ भी पुलिस कंप्लेंट दर्ज हुई है।
12 लोगों के खिलाफ दर्ज हुई है FIR
मेधा पाटकर समेत कुल 12 लोगों के खिलाफ FIR दर्ज हुई है। इस पुलिस कंप्लेंट में मेधा के अलावा ट्रस्टी परवीन रूमी जहांगीर, विजया चौहान, कैलाश अवास्या, मोहन पाटीदार, आशीष मण्डलोई, केवल सिंह बसावे, संजय जोशी, श्याम पाटिल, सुनीति एस आर, नुरजी पदवी और केसव वासवे के नाम शामिल हैं।
प्रीतमराज बडौले ने की शिकायत
प्रीतमराज बडौले द्वारा की गई इस शिकायत में 2007 से 2022 के दौरान मेधा पाटकर और उनके साथी ट्रस्टियों ने धोखाधड़ी और गबन जैसे कई अपराधों को अंजाम दिया है। मेधा नर्मदा घाटी के लोगों के भलाई के लिए मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र के आदिवासी बच्चों को प्राइमरी स्कूली शिक्षा देने के अलावा आवासीय स्कूल बनाने का दावा करती रहीं, लेकिन सच्चाई कुछ और ही निकली।
मेधा पाटकर अपने सहयोगियों के साथ मिलकर बेईमानी और धोखे से जनता में ऐसा प्रचार कर रही थी की ट्रस्ट द्वारा किए जा रहे सामाजिक कार्यों के लिए दान की आवश्यकता है। जनता इस तरह की बातों पर भरोसा कर इस ट्रस्ट में नाम और आश्रय जैसे कारणों के लिए भारी मात्रा में डोनेशन देती रही। लेकिन ये पैसे राजनितिक और राष्ट्र विरोधी एजेंडे पर खर्च किया जा रहा था।
कई बैंक खातों में मिली है गड़बड़ी
इस ट्रस्ट का एक सेविंग अकाउंट बैंक ऑफ़ इंडिया की शाखा चर्च गेट मुंबई में है, जिसका खाता नबंर 10101000064503 है। इसकी साइनिंग ऑथोरिटी परवीन रूमी जहाँगीर, विजया चौहान, संजय जोशी और एन. ए.अदारक हैं। पिछले 14 सालों में इस ट्रस्ट को कुल 13,52,59,304 रुपयों का डोनेशन मिला और ये पैसा खर्च भी किया गया, लेकिन पैसा कहां से आया और कहां गया इसका कोई लिखित जवाब नहीं है। यहां तक की ट्रस्ट द्वारा बताए गए ऐसे एक भी आवासीय स्कूल नहीं मिला है।
इस ट्रस्ट ने कोरोना महामारी के दौरान मजगाओ डॉक लिमिटेड से मिले 65 लाख रुपये भी खर्च किए हैं, जिनका भी कोई हिसाब नहीं मिला है। इसी कंपनी से मिली बड़ी राशि CSR के तहत नर्मदा जीवनशाला के बच्चों और कर्मचारियों के खाने पर खर्च की जानी थी लेकिन ये भी नहीं हुआ। साथ ही SBI बैंक के अकाउंट नंबर 32920379006 जो नर्मदा जीवन शाला के नाम से है उसमे भी 70 लाख रुपयों का भी कोई लिखित हिसाब नहीं है।
इसी तरह NNA के 3 खाते क्रमश: 992210100010051,1010100064503,101011000107 से कुल 1.69 करोड़ नगद निकाले गए हैं। ऐसे ही जांच के दौरान सामने आया है की ट्रस्टियों ने भी बड़ी मात्रा में नगदी निकाली है। जीवन शालाओं को चलाने के नाम पर नंदुरबार जिले में 61 लाख रुपयों का खर्च दिखाया है, जिसे किसी भी तरह से उचित नहीं ठहराया जा सकता। इसके अलावा ट्रस्ट द्वारा बनाए गए सभी 10 खातों में एनएनए के वित्तीय लेनदेन में एक संदिग्ध पैटर्न दिखा है जिससे 4.7 करोड़ रूपये की राशि नियमित और अज्ञात सोर्स द्वारा निकाले गए हैं। इससे भी संदेहस्पद तो ये है की ये 11 हजार से 1.5 लाख रुपये तक की राशि समान है।
अदालत में 6,000 रुपये प्रति वर्ष बताई थी आय
कुल मिलकर मेधा पाटकर ने अपनी ब्रांड इमेज बनाने के लिए इकोलॉजिकल प्रोटेक्शन के नाम पर सरकार की महत्त्वकांक्षी योजनाओं के खिलाफ योजना बनाई और उससे मिले लोकप्रियता से डोनेशन भी खूब लिया। मेधा पाटकर ने इंदौर की एक अदालत में अपनी आय लगभग 6,000 रुपये प्रति वर्ष बताई थी लेकिन उनके निजी खाते में 2007-08 से 2021-22 में 19,25,711 रुपये प्राप्त हुए हैं। यहां तक की एनएनए सभी ट्रस्टियों के नाम पर भी ऐसा ही कुछ मामला देखने आया है। फैक्ट और हालत को ध्यान में रखते हुए IPC की धारा-120,467,477A,406,120B के तहत मामला दर्ज किया गया है। साथ ही इन धाराओं के साथ धारा-420 भी लगाई गई है।