गुजरात के भरूच और अंकलेश्वर टाउन को बाढ़ से काफी नुकसान पहुंचा है। कई लोगों की ओर से ये दावा किया जा रहा है कि ये भीषण बाढ़ एक मानव सर्जित आपदा थी। ऐसी भी अफवाह उड़ाई जा रही है कि सरदार सरोवर नर्मदा निगम लिमिडेट के इंजीनियर्स ने 17 सितम्बर को पूर्ण जलाशय स्तर को हासिल करने के लिए जानबूझ कर डैम से पानी का ऑउटफ्लो रोक कर रखा और बाद में काफी पानी छोड़ा गया जिससे डाउनस्ट्रीम के हालात बन गए। तो क्या ये सच में एक मानव निर्मित आपदा है? आइए जानते हैं इस दावे का पूरा सच...
अपने आप नहीं ले सकते फैसला
सरदार सरोवर परियोजना मल्टी-स्टेट प्रोजेक्ट है और इसका रूल-लेवल भी डायनैमिक है। इसे नर्मदा कंट्रोल ऑथरिटी के तहत काम करने वाली सरदार सरोवल रजरवोयर रेगुलेशन कमेटी द्वारा तय किया जाता है। इस कमिटी में सभी राज्यों के सदस्य हैं जो कि बारिश की स्थिति, पावर रिक़्वायर्मेंट और डैम की सेफ्टी देखकर रूल लेवल तय करते हैं। इस कारण कोई भी निर्णय गुजरात सरकार या इसके इंजीनियर्स अपने आप नहीं ले सकते।
क्यों मचा है हंगामा?
15 से 17 सितम्बर के बीच मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र नर्मदा बेसिन में आने वाले ज़्यादातर जिलों में अति भारी बारिश हुई थी। साथ ही स्टॉर्म नर्मदा बेसिन के समान्तर आगे बढ़ा जिसके कारण अप स्ट्रीम में आने वाली बाढ़ और बारिश का पानी जमा हुआ। एमपी के डैम पहले से ही 85% से 90% तक भरे हुए थे। इस कारण 15-17 सितम्बर की बारिश से आने वाला पानी के बाद तुरंत परिस्थिति की गंभीरता के अनुसार पानी छोड़ना शुरू किया गया। अपस्ट्रीम में डैम से पानी छोड़ने पर सरदार सरोवर डैम का लेवल 16 सितम्बर सुबह से बढ़ने लगा। इंदिरा सागर और सरदार सरोवर डैम के बीच में भी भारी बारिश होने पर 16 सितम्बर के 11 बजे 5.79 लाख क्यूसेक फ्लड का इनफ्लो शुरू हो गया था जो और भी बढ़ कर रात के 11 बजे करीब करीब 21.72 लाख (2172803)हो गया। बीते दो दिनों के नैरेटिव को देखा जाए तो ऐसा लगेगा की इस स्थिति के बावजूद जानबूझ कर 17 सितम्बर को डैम का FRL यानी 138.68 मीटर तक भरने के लिए इंजीनियर्स द्वारा डाउनस्ट्रीम में पानी छोड़ना शुरू नहीं किया गया था। हालांकि, ये बात तथ्यों के हिसाब से सही नहीं है।
यहां समझें पूरा प्रोसेस
इंदिरा सागर डैम से पानी का आउट-फ्लो 16 सितम्बर को सुबह 7 बजे से बढ़ना शुरू हुआ। बता दें की इंदिरासागर छोड़े गए पानी को सतदार सरोवर तक पहुंचने में 20 घटे लगते हैं पर क्योंकि दोनों डैम्स के बीच में भी भारी बारिश का पानी सरदार सरोवर में आना शुरू हो गया था। इस कारण डाउनस्ट्रीम में वार्निंग देने के बाद 16 सितम्बर के 10 बजे 45 हज़ार क्यूसेक पानी सरदार सरोवर के डाउनस्ट्रीम में छोड़ा जाना शुरू हो गया था जो क्रमशः बढ़ाकर दोपहर के 2 बजे 4 लाख क्यूसेक, 5 बजे 8 लाख क्यूसेक और रात को 12 बजे 16 लाख क्यूसेक किया गया था। ये भी बता दें कि 16 सितम्बर को सुबह 10 बजे, सरदार सरोवर डैम से पानी छोड़ा जाना शुरू हुआ था तब डैम में पानी का लेवल FRL यानि 138.68 से तक नहीं पहुंचा था। ये 136 मीटर से भी नीचे था।
जलाशय को पूर्ण सतह तक कब भर गया?
16 सितंबर को सुबह 8 बजे डैम में पानी का इनफ्लो 1.6 लाख क्यूसेक से बढ़ कर रात 11 बजे करीब करीब 22 लाख क्यूसेक हो गया था। सुबह 8 बजे डैम में पानी का लेवल था 135.42 मीटर और रात में 11 बजे डैम में पानी का लेवल था 137.94 मीटर। इससे कुछ घंटे पहले ही डैम की सेफ्टी और downstream के इलाकों को को ध्यान में रखते हुए सरदार सरोवर में से 15 लाख क्यूसेक से भी ज्यादा पानी छोड़ा गया था। इसे से कुछ घंटों के लिए कम भी किया गया और फिर बढ़ा कर 18 लाख 50 क्यूसेक तक भी ले जाया गया जिससे लोकल ऐमिन्स्ट्रेशन को समय मिले और डाउनस्ट्रीम के गांव और भरूच में फ्लड से होने नुकसान को कम किया जा सके। ऐसे भी सवाल किए जा रहे हैं कि 22 लाख क्यूसेक पानी होने के बावजूद 18 लाख क्यूसेक ही क्यों छोड़ा गया। ऐसा इसलिए क्योंकि 18 लाख के फ्लड में भरुच में नर्मदा का लेवल 42 फ़ीट पहुँच गया और अंकलेश्वर तथा भरुच शहर के कई इलाके पानी में डूब गए यदि उस समय पूरा 22 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया होता तो और भी बुरा हाल होता।
इंजीनियर्स के पास समय कम था
सरदार सरोवर में ये 24 घंटों के भीतर हो रहा था। इस कारण इंजीनियर्स को डैम और गांव/शहर सबकुछ बचाना था। बता दें कि उससे पहले तो पुरे जुलाई के आखरी हफ्ते और पुरे अगस्त में करीब 37 दिन तक बारिश नहीं हुई थी और सरदार सरोवर डैम भी सिर्फ 78% तक ही भरा था। इस कारण 4 लाख क्यूसेक पानी डैम में स्टोर करके और ज्यादा नुकसान होने से बचाया जा सका। 17 शाम के बाद और 18 सितम्बर को सिस्टम मध्यप्रदेश से हट कर गुजरात की तरफ आया जिससे डैम में पानी इनकम कम होना शुरू हुई और 18 की सुबह से सिर्फ 6 लाख क्यूसेक पानी नदी में छोड़ा गया। बता दें कि भरुच के निचले इलाको और पुराने शहर तक पानी 17 सितंबर की सुबह घुसा और अंकलेश्वर की सोसाइटीज में 17 तारीख रात 9 बजे के बाद घुसा। इसके बाद 18 तारीख को सुबह 10 बजे के बाद पानी उतरना भी शुरू हो गया। एक सवाल ये भी उठ रहा है कि 6 सितंबर से 15 सितंबर तक रिवर बेड पॉवर हाउस बंद क्यों रखा गया? इसके साथ ही ऐसा कहा जा रहा है कि 17 सितम्बर तक डैम को पूरा भरने के लिए डैम में बिजली का उत्पादन तक बंद कर दिया गया। बता दें कि इन तारीखों के दौरान बारिश ही नहीं हो रही थी और डैम का स्टोरेज भी काफी कम था। उस वक्त तो ये चिंता लगी हुई थी की यदि यही स्थति रही तो आगे पीने और सिंचाई के पानी की समस्या पैदा होगी।
यहां पढ़ें जरूरी फैक्ट्स
6 सितंबर को नर्मदा बेसिन में 23.72 MAF (मिलयन एकर फीट) पानी संग्रहित हुआ था। इसके अनुसार, गुजरात राज्य के हिस्से में चालू वर्ष में 7.72 MAF जत्था ही मिलने की संभावना थी। ये सामान्य वर्ष में मिलने वाले 9 MAF की तुलना में अपर्याप्त है जिस कारण गुजरात को पीने के पानी एवं सिंचाई के पानी के लिए विषम परिस्थिति का सामना करना पड़ सकता था। 14 सितंबर को नर्मदा बेसिन में कुल 24.70 MAF जत्था था जिसके हिसाब से भी गुजरात का हिस्सा 7.94 MAF था। उससे पहले के समय की स्थिति को ध्यान में रखते हुए गुजरात राज्य के लिए पीने के पानी एवं सिंचाई के पानी की विषम स्थिति का निर्माण न हो उसके लिए रिवर बेड पॉवर हाउस में पानी छोड़ कर बिजली उत्पादन करने के बदले पानी बचाना ज्यादा जरुरी समझा गया। नर्मदा कण्ट्रोल ऑथरिटी में RBPH यानी रिवर बेड पावर हाउस बंद करने के लिए 6 सितंबर को ही निवेदन किया गया था। 14 सितंबर को सेंट्रल वाटर कमीशन द्वारा 2 लाख क्यूसेक की इनकम की सूचना दी गई थी लेकिन इंदिरा सागर के UPSTREAM एवं इंदिरा सागर और सरदार सरोवर के बीच में भी भारी बारिश होने के कारण सरदार सरोवर में मैक्सिमम 21.72 लाख क्यूसेक तक पानी डैम में आ गया। अगर रिवर बेड पॉवर हाउस 6 से 15 सितंबर तक चालू भी होता तो सिर्फ 120 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी ही इस्तेमाल होता औऱ उतना कुशन सरदार सरोवर जलाशय में उपलब्ध होता। कारण शुरुआत के दो दिन में सिर्फ 20,000 क्यूसेक आउट ग्लो घटता जो 18.60 लाख क्यूसेक आउट फ्लो के सामने काफी मार्जिनल था। इससे बाढ़ के रुकने की संभावना नहीं थी।
क्या वॉर्निंग नजरअंदाज हुई?
एक चर्चा ये भी ज़ोरों पर है कि सरदार सरोवर एथोरिटीज ने CWC यांनी सेंट्रल वाटर कमीशन की वॉर्निंग को भी नजरअंदाज किया। लगातार ये क्लेम किया जा रहा है की डैम एथोरिटी को 14 से ही पानी छोड़ना शुरू कर देना चाहिए था। यहां एक बात और समझने की जरुरत है की इंटर स्टेट प्रोजेक्ट होने के कारण इसमें पानी आने की सारी फोरकास्टिंग CWC द्वारा होती है। 14 सितंबर से पानी इसलिए नहीं छोड़ा गया क्योंकि 12 सितंबर को CWC के फोरकास्ट NO 7 के अनुसार 24 घंटे में 118 MCM (मिलियन कुबिक मीटर) पानी डैम में आने का अनुमान था लेकिंग आया सिर्फ 57.78 MCM। जबकि डैम में उस वक्त कुशन यानी स्टोरेज क्षमता थी 1211 MCM। फिर भी डैम से 33 MCM पानी छोड़ा गया। 13 और 14 सितंबर को CWC की तरफ से कोई फोरकास्ट या वार्निंग ज़ारी नहीं की गयी थी।
पानी अनुमान के आधार पर नहीं छोड़ा जाता
15 सितम्बर की CWC द्वारा दो फोरकास्ट जारी किये गए थे। पहला सुबह 10.20 बजे (फोरकास्ट NO 8) जिसके अनुसार अगले 24 घंटों में 145 MCM पानी डैम में आने का अनुमान था और दूसरा रिवाईज्ड 16.30 बजे (फोरकास्ट NO 8R) जिसकेअनुसार CWC द्वारा इनफ्लो की बढ़ा कर 175 MCM किया गया और आया कुल 248.92 MCM क्योंकि उस वक्त भी डैम की स्टोरेज क्षमता या कुशन 1127 MCM बचा हुआ था , डैम से 33.94 MCM पानी ही छोड़ा गया। यहां एक बात और भी गौर करने वाली है की कभी किसी भी डैम से पानी अनुमान के आधार पर नहीं छोड़ा जाता ऐक्चुयल फ्लो के आधार पर छोड़ा जाता है।
कब बदली परिस्थिति
असली परिस्थिति 15 सितम्बर देर रात 10 बजे के बाद से बदलनी शुरू हुई जब देर रात तथा 16 सितम्बर के दिन CWC 4 रिवाईज़्ड फोरकास्ट इशू किये। फोरकास्ट NO 9 , 10, 10R, 11 & 11R ये चार फोरकास्ट CWC द्वारा जारी किये गए जिसमे महज 24 घंटों के भीतर भीतर डैम में इनफ्लो के अनुमान को 155 MCM से रिवाइज करते हुए पहले 720 मक्म तक फिर दूसरे में 2390 MCM और 16 तारीख को रात 22.30 पर जारी हुए चौथे बुलेटिन में 2720 MCM तक बढ़ाया गया। लेकिन इस दौरान ऐक्चुयल पानी आया 4426.64 MCM इस पूरे पीरियड में डैम के स्टोरेज क्षमता को ध्यान में रखते हुए डैम से कुल 4202 MCM पानी छोड़ा गया। उल्लेखनीय है की परिस्थिति को देखते हुए डैम एथोरिटीज़ द्वारा वार्निंग ज़ारी करके, स्टेज बाई स्टेज बढ़ाते हुए और डैम की स्टोरेज क्षमता का उपयोग करते हुए लगातार पानी छोड़ा गया। क्योंकि अगर आपके पास स्टोरेज क्षमता है तो कभी भी एक साथ पानी नहीं छोड़ा जाता DOWNSTREAM में वार्निंग ज़ारी करते हुए उसे स्टेज बाई स्टेज बढ़ाया जाता है ताकि मिनिमम डैमेज हो। उसी हिसाब से 17 सितंबर को एक पानी के बढ़ने और घटने के हिसाब से फ्लो को मैनेज किया गया।
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