एक बार फिर देशभर में वक्फ बोर्ड और उसके स्वामित्व वाली संपत्तियों को दिए गए अधिकारों का मुद्दा सुर्खियों में है। मोदी सरकार वक्फ बोर्ड एक्ट में बदलाव करने के लिए बिल लोकसभा में पेश कर चुकी है जिसका फिलहाल संसदीय संयुक्त समिति (JPC) अभ्यास कर रही है। केंद्रीय कैबिनेट ने वक्फ बोर्ड एक्ट में कई बदलावों को हरी झंडी दे दी है। कहा जा रहा है कि सरकार जिस तरह से वक्फ बोर्ड एक्ट में संशोधन कर रही है, उससे वक्फ बोर्ड की किसी भी संपत्ति को ' वक्फ संपत्ति ' बनाने की शक्तियां कम हो जाएंगी। JPC के सदस्य सभी पहलुओं को समझने के लिए कई राज्यीं का दौरा भी कर रहे हैं। शुक्रवार को JPC की टीम गुजरात पहुंचने वाली है। गुजरात सरकार JPC के सामने सभी तथ्य रखने वाली है कि क्यों गुजरात में वक्फ सम्पत्तियों से जुड़े विवादित मामलों की संख्या इतनी ज्यादा है। फिलहाल गुजरात में वक्फ ट्राइब्यूनल के सामने 2000 से ज्यादा मामले लंबित पड़े हैं।
गुजरात में वक्फ बोर्ड की कितनी संपत्तियां?
गुजरात में वक्फ बोर्ड की संपत्तियों की संख्या 45 हजार से ज्यादा है, जिनमें अचल संपत्ति 39 हजार से ज्यादा है जबकि बाकी चल संपत्ति है। आश्चर्य की बात तो ये है कि इस संपत्ति सूची में न केवल कब्रिस्तान, मस्जिद, मदरसे बल्कि आवासीय घर, कृषि भूमि, दुकानें, प्लॉट, तालाब आदि भी शामिल हैं। अगर इस संपत्ति की कीमत बाजार मूल्य पर मानी जाए तो यह आंकड़ा करोड़ों में पहुंच सकता है।
वक्फ बोर्ड के अंतर्गत आती है दान की गई संपत्ति
हर धर्म में दान देने की परंपरा है। इस्लाम में भी जब कोई व्यक्ति अपनी संपत्ति किसी धार्मिक उद्देश्य के लिए देता है तो वह संपत्ति वक्फ बोर्ड के अंतर्गत आ जाती है। यह संपत्ति चल या अचल किसी भी रूप में हो सकती है जिसकी देखरेख और प्रबंधन वक्फ बोर्ड द्वारा किया जाता है। देश के हर राज्य में एक वक्फ बोर्ड है। बिहार और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में अलग-अलग सुन्नी और शिया वक्फ बोर्ड हैं। वक्फ बोर्ड पर समय-समय पर निजी संपत्ति के अलावा दूसरे धर्मों की संपत्ति पर भी दावा करने का आरोप लगता रहा है। हालांकि वक्फ बोर्ड इस बात से हमेशा इनकार करता रहा है।
एक विश्लेषण के अनुसार गुजरात में, वक्फ बोर्ड के पास 39,940 अचल संपत्तियां हैं जिनमें सबसे अधिक अहमदाबाद में 15,425, इसके बाद सूरत में 8,453 और भरूच में 4,163 संपत्तियां हैं। वक्फ बोर्ड के पास कृषि योग्य भूमि भी है जिसमें गुजरात के आंकड़े बेहद दिलचस्प हैं। भरूच जिले में वक्फ बोर्ड के स्वामित्व वाली भूमि की संख्या सबसे अधिक है। इस संपत्ति का नंबर 918 है (बीघा या हेक्टेयर में नहीं) इसके बाद सूरत में 714, वडोदरा में 371 और कच्छ में 355 हैं।
वक्फ के स्वामित्व वाले शैक्षणिक संस्थान-
वक्फ के स्वामित्व वाले शैक्षणिक संस्थान भी हैं जिसमे अहमदाबाद और भरूच में वक्फ बोर्ड के स्वामित्व वाले 7-7 स्कूल हैं। इसके अलावा धार्मिक शिक्षा देने वाले कुल 19 दारुल उलूम हैं जिसमें सूरत में 6 , अहमदाबाद में 4 , वडोदरा और अमरेली में 2-2 जबकि भरूच , कच्छ, पाटण, खेड़ा और बनासकांठा में 1-1 दारुल उलूम है जबकि वक्फ बोर्ड के अंतर्गत कुल 392 मदरसे आते हैं। सूरत और भरूच में इसके 64-64 मदरसे है, जबकि अहमदाबाद में 49 और कच्छ में 30 मदरसें वक्फ बोर्ड के पास है। पूरे गुजरात में वक्फ बोर्ड के तहत 12,395 आवासीय घर हैं जिनमें सबसे ज्यादा 6451 घर अहमदाबाद में है। उसके बाद सूरत में 3373 , भरूच में 851 और कच्छ में 424 आवासीय मकान हैं।
गुजरात में वक्फ बोर्ड द्वारा आधिकारिक तौर पर 2235 प्लॉट हैं। बता दें कि सूरत में सबसे ज्यादा 700 प्लॉट वक्फ बोर्ड के पास हैं। इसके बाद भरूच में 694 प्लॉट और वडोदरा में 293 प्लॉट हैं। गुजरात में वक्फ बोर्ड की देखरेख में 168 ईदगाहें हैं, जिनमें से सबसे ज्यादा 101 ईदगाहें कच्छ में स्थित हैं। भारत की वक्फ संपत्ति प्रबंधन प्रणाली देश भर में अपनी संपत्तियों पर नजर रखती है। WAMSI की वेबसाइट पर दी गई जानकारी के मुताबिक वक्फ संपत्ति देशभर में फैली हुई है, लेकिन ज्यादातर राज्यों में वक्फ संपत्ति का पूरी तरह से सर्वे नहीं हुआ है। वक्फ संपत्ति पर भी बड़े पैमाने पर कब्जा किया गया है।
गुजरात में वक्फ बोर्ड अंतर्गत संपत्ति-
कृषि भूमि– 3264
बिल्डिंग– 653
दरगाह, मकबरें– 1734
दारुल उलूम– 19
कब्रिस्तान– 983
आवास– 12, 395
ईदगाह– 168
मदरसा– 392
मस्जिद– 2999
प्लॉट– 2235
स्कूल– 22
दुकानें– 6841
अन्य– 8235
कुल– 39,940
क्या है वक्फ बोर्ड?
वक्फ शब्द अरबी भाषा से आया है, जिसका मतलब होता है समर्पण करना या रोकना। इस मामले में वक्फ का मतलब है कि जमीन-जायदाद या ट्रस्ट से आम इंसान का कल्याण करना। वक्फ शब्द उस जायदाद के लिए इस्तेमाल किया जाता है जो इस्लाम में आस्था रखने वाले दान करते हैं। वक्फ बोर्ड वह बोर्ड है जो वक्फ संस्थाओं पर नजर रखता है। यह एक स्वायत्त बोर्ड है और स्वयं के वित्त पोषण पर चलता है। पहले के समय में जब लोग वक्फ (धर्म के नाम पर अपनी संपत्ति दान) करते थे, तो लोग बच्चों के बजाय अल्लाह के नाम पर वक्फ करते थे ताकि इससे होने वाली आय का उपयोग बोर्ड द्वारा प्रबंधित मस्जिद-मदरसों में काम करने वाले कर्मचारियों और इमामों के वेतन में किया जा सके।
वर्तमान में लगभग 13 से 14 हजार ट्रस्ट गुजरात राज्य वक्फ बोर्ड के साथ पंजीकृत हैं। वक्फ बोर्ड में पंजीकृत संपत्तियों का स्वामित्व संस्थानों के पास होता है और वक्फ बोर्ड द्वारा निगरानी की जाती है ताकि यदि ट्रस्टियों के बीच कोई संघर्ष, विवाद, अवैध दबाव या विवाद हो तो वक्फ बोर्ड ऐसे मामलों का समाधान कर सके। गुजरात राज्य वक्फ बोर्ड 1995 में वक्फ बोर्ड के लिए नया अधिनियम लागू होने के बाद से काम कर रहा है। मुस्लिम संस्थाएं और मदरसे वक्फ बोर्ड में पंजीकृत होते हैं।
विवादों को कैसे सुलझाता है वक्फ बोर्ड?
वक्फ बोर्ड विवादों को कैसे सुलझाता है, इस बात पर गौर करें तो वक्फ बोर्ड में हर हफ्ते विवाद के मामलों की सुनवाई होती है। इस बीच दोनों पक्ष अपना-अपना पक्ष रखते हैं, जिसके आधार पर वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष, सीओ और सदस्य मामले की सुनवाई करते हैं और मामले को अगले बोर्ड में रखते हैं व उसके अनुसार निर्णय लिया जाता है। जहां आवश्यक हो वहां प्रशासक नियुक्त किया जाता है। वक्फ बोर्ड में पंजीकृत संस्थाओं की आय का 1 से 7 प्रतिशत हिस्सा वक्फ फंड नामक फंड में दिया जाता है। वक्फ बोर्ड का प्रबंधन इसी स्व-निर्मित निधि से किया जाता है। गुजरात राज्य द्वारा वक्फ बोर्ड को एक कार्यालय दिया गया है। जब कोई वक्फ बोर्ड के सामने यह सबूत पेश करता है कि वह संपत्ति हमारे पूर्वजों या परदादाओं द्वारा वक्फ की गई थी। अगर उनका सबूत सही है तो वक्फ बोर्ड उसे रजिस्टर कर लेता है।
अगर गुजरात की तुलना अन्य राज्यों से की जाए तो गुजरात वक्फ बोर्ड के पास 39,940 अचल संपत्तियां हैं। इस सूची में गुजरात देश में आठवें स्थान पर है जबकि देश में चल संपत्ति के मामले में गुजरात तमिलनाडु के बाद दूसरे स्थान पर है।
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