अहमदाबाद: गुजरात विधानसभा चुनाव में विजयी महिला उम्मीदवारों की संख्या में पिछली बार की तुलना में मामूली वृद्धि हुई। इस बार 15 महिला उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की, जबकि 2017 के चुनाव में उनकी संख्या 13 थी। चुनाव में सफल 15 महिला विधायकों में से 14 बीजेपी से हैं, जबकि एक कांग्रेस से। इस बार विभिन्न राजनीतिक दलों और निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर कुल 139 महिला उम्मीदवार मैदान में थीं। 2012 के विधानसभा चुनावों में जीतने वाली महिला उम्मीदवारों की संख्या 16 थी। वहीं 2017 के चुनाव में 13 महिलाओं ने जीत हासिल की थी। लेकिन इनमें से एक की दिसंबर 2021 में मौत हो गई, जिसके बाद यह सीट खाली हो गई।
इस बार, भाजपा ने कुल 18 महिलाओं को टिकट दिया था, जबकि कांग्रेस ने 14 ऐसे उम्मीदवारों को मैदान में उतारा था। भाजपा की इन सफल महिला उम्मीदवारों में से कुछ ने अपनी जीत का श्रेय पार्टी कार्यकर्ताओं की कड़ी मेहनत और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी तथा प्रदेश भाजपा प्रमुख सी. आर. पाटिल के नेतृत्व को दिया। सूरत शहर के लिंबायत से जीती भाजपा की संगीता पाटिल ने अपनी जीत का श्रेय ‘पन्ना समिति’ को दिया।
उन्होंने संवाददाताओं से कहा, “पन्ना समिति के ‘ब्रह्मास्त्र’ के कारण पार्टी कार्यकर्ताओं ने घर-घर जाकर चर्चा की। उसकी बदौलत पूरे राज्य में भाजपा को यह सकारात्मक परिणाम मिला। प्रधानमंत्री मोदी की मेहनत, सी. आर. पाटिल का संगठनात्मक कौशल और मुख्यमंत्री भूपेंद्र के विकास कार्य का भी फायदा मिला।” भाजपा उम्मीदवार के रूप में राजकोट ग्रामीण सीट से जीतीं भानुबेन बाबरिया ने शानदार जीत के लिए पार्टी कार्यकर्ताओं की कड़ी मेहनत की सराहना की। उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री मोदी जिस तरह से देश में काम कर रहे हैं उससे लोग खुश हैं। वे शांति और समृद्धि का अनुभव कर रहे हैं। लोग (केंद्रीय गृह मंत्री) अमित शाह, सी. आर. पाटिल और मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल के नेतृत्व से खुश हैं।”
गुजरात विधानसभा के लिए दो चरणों में 1 और 5 दिसंबर को हुए चुनावों में, भाजपा ने 156 सीटें जीतीं, कांग्रेस के खाते में 17 और आम आदमी पार्टी के खाते में पांच सीटें गईं। चुनावों में जीतने वाली महिला उम्मीदवारों में से चार अनुसूचित जाति और दो अनुसूचित जनजाति समुदाय से हैं। आम आदमी पार्टी ने पांच और बहुजन समाज पार्टी ने 12 महिला उम्मीदवारों को टिकट दिया था हालांकि उनमें से कोई भी चुनाव नहीं जीत सका।