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Gujarat News: इंसानियत की मिसाल, अहमदाबाद में हिंदू शख्स को मुस्लिम परिवार ने डोनेट किया बेटे का दिल

कच्छ में पान की दुकान चलाने वाला 25 वर्षीय युवक 22 अप्रैल को रोड एक्सीडेंट में गंभीर रूप से घायल हुआ था। उसे 23 तारीख को सिविल अस्पताल लाया गया था जहां उसे वेंटीलेटर पर रखकर बचाने का प्रयास किया गया, जिसके बाद 25 अप्रैल को युवक को ब्रेन डेड घोषित किया था।

Reported by: Nirnay Kapoor @nirnaykapoor
Published on: April 27, 2022 19:12 IST
52 वर्षीय व्यक्ति में...- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV 52 वर्षीय व्यक्ति में सफलता पूर्वक हार्ट ट्रांसप्लांट

Gujarat News: अहमदाबाद के सिविल हॉस्पिटल में एक 25 वर्षीय ब्रेन डेड घोषित किए गए युवक का हार्ट 52 वर्षीय व्यक्ति में सफलतापूर्वक ट्रांसप्लांट किया गया। कच्छ के 25 वर्षीय मुस्लिम युवक को ब्रेन डेड घोषित किया गया जिसके बाद उसका हार्ट इंदौर के 52 वर्षीय बैंक कर्मचारी शैलेन्द्र सिंह में अहमदाबाद के CIMS हॉस्पिटल के डॉक्टरों द्वारा सफलतापूर्वक ट्रांसप्लांट किया गया है। बता दें कि रूढ़िवादी मान्यताओं की वजह से मुस्लिम समाज में अंगदान करने के लिए कोई तैयार नहीं होता है लेकिन काउंसलिंग टीम की कोशिश से युवक के परिवार का ह्रदय परिवर्तन हुआ और अंगदान का निर्णय लिया गया। जिसके बाद इस मुस्लिम परिवार द्वारा अंगदान किया गया।

22 अप्रैल को रोड एक्सीडेंट में घायल हुआ था युवक

कच्छ में पान की दुकान चलाने वाला 25 वर्षीय युवक 22 अप्रैल को रोड एक्सीडेंट में गंभीर रूप से घायल हुआ था। उसे 23 तारीख को सिविल अस्पताल लाया गया था जहां उसे वेंटीलेटर पर रखकर बचाने का प्रयास किया गया लेकिन निराशा हाथ लगी जिसके बाद 25 अप्रैल को युवक को ब्रेन डेड घोषित किया गया।

काउंसलिंग के बाद अंगदान के लिए तैयार हुआ था मुस्लिम परिवार
सामान्य तौर पर मुस्लिम समाज में रुढ़िवादी मान्यताओ के चलते अंगदान किया नहीं जाता है लेकिन हॉस्पिटल की काउंसलिंग टीम ने अंगदान के बारे में समझाने के लिए युवक के पिता की 2 घंटे तक काउंसलिंग की थी जिसके चलते उनके बेटे के अंगो का दान करने के लिए तैयार हुए थे। उन्होंने हार्ट के साथ-साथ किडनी और लीवर का दान करने की भी इच्छा दिखाई थी लेकिन मेडिकल कारणों से किडनी और लीवर नहीं लिया जा सका।

ब्रेन डेड मरीज के परिवार की 1-3 घंटे तक की जाती है काउंसलिंग
बता दें कि हर एक ब्रेन डेड मरीज के परिवार के लोगों की एक से तीन घंटे तक काउंसलिंग की जाती है, ज़्यादातर मुस्लिम अंगदान के लिए तैयार नहीं होते हैं। इस मुस्लिम परिवार को कुरान जैसे धर्म ग्रंथो और कुछ मुस्लिम स्कॉलर्स द्वारा ''अंगदान से एक इंसान की मदद करना पूरी इंसानियत की मदद करने के बराबर है'' जैसे लिखित उदहारण देने के बाद परिवार ने ये निर्णय लिया था।

मरीज शैलेन्द्र सिंह के हार्ट का पम्पिंग 25% से घटकर 10% हो गया था हालांकि उनका हार्ट ट्रांसप्लांट समय पर हो गया था। भारत में घृणा और सांप्रदायिकता के वातावरण में, अंगदान और हृदय प्रत्यारोपण का यह कार्य एक एक आशा की किरण के समान है। सन्देश साफ़ है- हम सब पहले इंसान बनें और फिर हिंदू या मुस्लिम, सिख, ईसाई आदि।

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